कर्ज के अंधेरे से उजाले की ओर: किसानों के लिए राहत की नई किरण
राजस्थान की मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत योजना 2025-26 किसानों को भूमि विकास बैंक के माध्यम से ब्याज माफी प्रदान करती है। 1 जुलाई 2024 तक अवधिपार ऋण वाले पात्र किसान 30 सितंबर 2025 तक मूलधन चुकाकर 100% ब्याज और दंड माफी पा सकते हैं, जिसमें 119 किसानों ने आवेदन किया और 61 ने 1.02 करोड़ रुपये के कर्ज बंद किए।

राजस्थान के किसानों और लघु उद्यमियों के लिए राज्य सरकार ने एक बड़ी राहत की घोषणा की है। मुख्यमंत्री अवधिपार ब्याज राहत एकमुश्त समझौता योजना 2025-26 के तहत भूमि विकास बैंक लिमिटेड के माध्यम से किसानों को करोड़ों रुपये के कर्ज से मुक्ति का अवसर मिलेगा। यह योजना उन काश्तकारों के लिए वरदान साबित होगी, जो समय पर मूलधन का भुगतान करने के बावजूद ब्याज के बोझ तले दबे हुए थे।
योजना का लाभ और पात्रता
इस योजना का लाभ उन किसानों को मिलेगा, जिनका ऋण 1 जुलाई 2024 तक अवधिपार (ओवरड्यू) हो चुका है और जिन्होंने 2014-15 की ब्याज अनुदान योजना के तहत कर्ज नहीं लिया। पात्र किसानों को 100 प्रतिशत ब्याज और दंडनीय ब्याज माफ किया जाएगा, बशर्ते वे योजना की अवधि के भीतर मूलधन और बीमा प्रीमियम की पूरी राशि जमा करा दें।
प्रदेश में कई किसान प्राकृतिक आपदाओं, फसल हानि या बाजार में गिरावट जैसी समस्याओं के कारण समय पर ब्याज का भुगतान नहीं कर पाए। उनके लिए यह योजना नई शुरुआत का मौका लेकर आई है।
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119 किसानों ने योजना के तहत आवेदन किया है।
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61 किसानों ने अपने ऋण खाते पूरी तरह बंद करवा लिए हैं।
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इन किसानों को 1.02 करोड़ रुपये की ब्याज छूट प्रदान की गई है।
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कुल 505 ऋणी सदस्य इस योजना के लिए पात्र माने गए हैं।
योजना की शर्तें और भुगतान प्रक्रिया
पात्र किसानों को बैंक की ओर से एक विवरण प्रपत्र भेजा जा रहा है, जिसमें देय मूलधन, ब्याज, छूट राशि और जमा करने योग्य राशि की पूरी जानकारी शामिल है। किसानों को 30 जून 2025 तक कुल देय राशि का कम से कम 25 प्रतिशत हिस्सा जमा कराना होगा। शेष राशि को अधिकतम तीन किस्तों में 30 सितंबर 2025 तक जमा किया जा सकता है।
ध्यान देने योग्य बात यह है कि 1 जुलाई 2024 के बाद की कोई भी किस्त इस योजना के तहत छूट के लिए योग्य नहीं होगी।
यह योजना उन किसानों के लिए सुनहरा अवसर है, जो आर्थिक तंगी के कारण अपने कर्ज के ब्याज को नहीं चुका पाए। सरकार और भूमि विकास बैंक लिमिटेड का यह कदम न केवल किसानों को कर्ज के बोझ से मुक्ति दिलाएगा, बल्कि उन्हें अपनी खेती और व्यवसाय में नए सिरे से निवेश करने का मौका भी प्रदान करेगा।