डॉक्टर या जल्लाद? 'डॉक्टर डेथ' की खौफनाक - 100 हत्याएं, मगरमच्छों को शव खिलाने वाला सीरियल किलर और किडनी रैकेट!

देवेंद्र शर्मा, जिसे "डॉक्टर डेथ" के नाम से जाना जाता है, एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से खूंखार सीरियल किलर और अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का सरगना बन गया। उस पर 100 से अधिक हत्याओं और 125 अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के आरोप हैं। शवों को मगरमच्छों को खिलाकर सबूत मिटाने वाला यह अपराधी 2020 और 2023 में पैरोल से फरार हो गया था। वह दौसा के एक आश्रम में पुजारी बनकर छिपा था, जहां से दिल्ली पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया। यह खबर समाज में डॉक्टरों पर भरोसे, अवैध अंग व्यापार, और पैरोल सिस्टम की खामियों पर सवाल उठाती है।

May 21, 2025 - 13:53
डॉक्टर या जल्लाद? 'डॉक्टर डेथ' की खौफनाक - 100 हत्याएं, मगरमच्छों को शव खिलाने वाला सीरियल किलर और किडनी रैकेट!

एक डॉक्टर से अपराधी 

उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ के पुरैनी गांव का रहने वाला 67 वर्षीय देवेंद्र शर्मा, जिसे "डॉक्टर डेथ" के नाम से जाना जाता है, कभी एक आयुर्वेदिक डॉक्टर था। उसने 1984 में बिहार से बीएएमएस (बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी) की डिग्री हासिल की और राजस्थान के दौसा में जनता क्लिनिक खोलकर प्रैक्टिस शुरू की। लेकिन, 1994 में एक गैस एजेंसी डील में 11 लाख रुपये का नुकसान होने के बाद उसकी जिंदगी ने अपराध की राह पकड़ ली। यह कहानी किसी डरावनी फिल्म से कम नहीं है, जहां एक डॉक्टर अपराध की दुनिया का खूंखार चेहरा बन गया।

एक आयुर्वेदिक डॉक्टर, जिसे समाज भगवान का दर्जा देता है, कैसे एक खूंखार सीरियल किलर और अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट का सरगना बन गया? देवेंद्र शर्मा, जिसे "डॉक्टर डेथ" के नाम से जाना जाता है, ने न केवल 100 से अधिक हत्याएं कीं, बल्कि शवों को मगरमच्छों को खिलाकर सबूत मिटाने का क्रूर तरीका अपनाया।

अवैध किडनी ट्रांसप्लांट का रैकेट

1998 से 2004 के बीच, देवेंद्र ने गुरुग्राम के कुख्यात डॉक्टर अमित के साथ मिलकर एक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट रैकेट चलाया। इस रैकेट में गरीब और कमजोर लोगों को लालच देकर उनकी किडनियां निकाली जाती थीं। देवेंद्र ने पुलिस के सामने कबूल किया कि उसने 125 से अधिक अवैध किडनी ट्रांसप्लांट करवाए, जिसमें उसे हर डील के लिए 5 से 7 लाख रुपये मिलते थे। यह रैकेट दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, और नेपाल तक फैला हुआ था। गरीब लोगों को झूठे वादों और पैसे का लालच देकर उनके अंग बेचे गए, जिसने मानवता को शर्मसार कर दिया।

खूंखार सीरियल किलर: टैक्सी और ट्रक चालकों की हत्या

किडनी रैकेट के साथ-साथ, देवेंद्र ने 2002 से 2004 के बीच एक और खौफनाक अपराध शुरू किया। वह अपने गिरोह के साथ टैक्सी और ट्रक चालकों को फर्जी ट्रिप के बहाने बुलाता, उनकी हत्या करता, और उनकी गाड़ियों को ब्लैक मार्केट में 20-25 हजार रुपये में बेच देता। लेकिन उसकी क्रूरता यहीं नहीं रुकी। सबूत मिटाने के लिए वह शवों को उत्तर प्रदेश के कासगंज में हजारा नहर में फेंक देता, जहां मगरमच्छ लाशों को खा जाते थे। उसने खुद कबूल किया कि उसने 50 से अधिक हत्याएं कीं, और कुछ सूत्रों के अनुसार, यह संख्या 100 से भी ज्यादा हो सकती है। इतनी हत्याओं के बाद उसने गिनती करना ही छोड़ दिया था।

पैरोल से फरारी और आश्रम में छिपने की चाल

देवेंद्र को 2004 में किडनी रैकेट और हत्याओं के लिए गिरफ्तार किया गया था। उसे दिल्ली, राजस्थान, और हरियाणा में सात हत्या के मामलों में आजीवन कारावास और गुरुग्राम में एक मामले में फांसी की सजा सुनाई गई। लेकिन, यह खूंखार अपराधी बार-बार कानून को चकमा देता रहा। 2020 में 20 दिन की पैरोल पर रिहा होने के बाद वह सात महीने तक फरार रहा। फिर, 2023 में अगस्त में दो महीने की पैरोल मिलने के बाद वह फिर गायब हो गया। इस बार उसने राजस्थान के दौसा में एक आश्रम में पुजारी का भेष धारण कर लिया और फर्जी पहचान के साथ छिपकर रहने लगा। वहां वह श्रद्धालुओं को जीव हिंसा के खिलाफ उपदेश देता था, जो उसकी क्रूरता के सामने एक भयानक विडंबना थी।

दिल्ली पुलिस की सतर्कता और गिरफ्तारी

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने छह महीने तक अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा, और प्रयागराज में सघन तलाशी अभियान चलाया। आखिरकार, एक गुप्त सूचना और मोबाइल रिचार्ज की लोकेशन के आधार पर पुलिस ने उसे दौसा के आश्रम से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने अनुयायी बनकर उसकी पहचान पुख्ता की और सही समय पर उसे दबोच लिया। पूछताछ में उसने अपने अपराध और जेल न लौटने की योजना कबूल की। इस गिरफ्तारी ने दिल्ली पुलिस के लिए बड़ी राहत दी, क्योंकि "डॉक्टर डेथ" की फरारी ने पूरे देश में सनसनी मचा रखी थी।

समाज पर गहरा प्रभाव

यह खबर समाज के लिए एक चेतावनी है। एक डॉक्टर, जिसे लोग भगवान मानते हैं, अगर जल्लाद बन जाए, तो यह विश्वास और नैतिकता पर गहरा आघात है। यह खबर लोगों को चिकित्सा पेशे, अवैध मानव अंग व्यापार, और पैरोल सिस्टम की खामियों पर सवाल उठाने के लिए मजबूर करती है। गरीब और कमजोर लोग, जो इस रैकेट का शिकार बने, उनके परिवारों का दर्द इस खबर को और भी मार्मिक बनाता है। साथ ही, यह समाज को सतर्क रहने और संदिग्ध गतिविधियों पर नजर रखने की सीख देती है।

"डॉक्टर डेथ" देवेंद्र शर्मा की कहानी अपराध की दुनिया का एक काला अध्याय है। यह खबर अपराध, विश्वासघात, और मानवता के अंधेरे पक्ष को उजागर करती है उसकी क्रूरता, चालाकी, और बार-बार कानून से बचने की कोशिश ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। दिल्ली पुलिस की इस सनसनीखेज गिरफ्तारी ने एक बार फिर साबित किया कि कानून के लंबे हाथ हर अपराधी तक पहुंच सकते हैं। लेकिन यह सवाल अभी भी बाकी है - क्या समाज ऐसी घटनाओं से सबक लेगा, और क्या भविष्य में ऐसे अपराधों को रोका जा सकेगा?

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ