चीन का जापान के लिए सुरक्षा अलर्ट: चीनी छात्रों पर बढ़ते खतरे, जापानी पीएम के ताइवान वाले बयान ने भड़काया विवाद

चीन ने जापान में चीनी छात्रों के लिए सुरक्षा चेतावनी जारी की, जापान में बढ़ते अपराध और पीएम ताकेइची के ताइवान बयान से तनाव बढ़ा,

Nov 16, 2025 - 18:31
चीन का जापान के लिए सुरक्षा अलर्ट: चीनी छात्रों पर बढ़ते खतरे, जापानी पीएम के ताइवान वाले बयान ने भड़काया विवाद

बीजिंग/टोक्यो, 16 नवंबर 2025: चीन ने रविवार को जापान में पढ़ाई करने वाले चीनी छात्रों के लिए एक असाधारण सुरक्षा सलाह जारी की है। चीनी विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि जापान में हाल के दिनों में सुरक्षा स्थिति बिगड़ गई है और वहां रहने वाले चीनी नागरिकों, खासकर छात्रों के लिए खतरा बढ़ चुका है। इस अलर्ट के पीछे जापान में चीनी मूल के लोगों के खिलाफ बढ़ते अपराधों का हवाला दिया गया है। दूसरी ओर, जापान के नवनिर्वाचित प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा (ताकेइची) के ताइवान पर दिए गए भड़काऊ बयान को इस तनाव का प्रमुख कारण बताया जा रहा है। यह घटनाक्रम पूर्वी एशिया में चीन-जापान संबंधों को नई ऊंचाई पर ले जा सकता है, जहां पहले से ही दक्षिण चीन सागर और सेंकाकू द्वीपों (जिन्हें चीन डायोयू कहता है) पर विवाद चल रहा है।

चीन की सुरक्षा सलाह: क्या कहा गया? चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर एक आपातकालीन सलाह जारी की, जिसमें जापान जाने वाले या वहां रहने वाले चीनी छात्रों को सतर्क रहने की हिदायत दी गई। सलाह में कहा गया है: "जापान में चीनी नागरिकों, विशेष रूप से छात्रों के खिलाफ अपराधों में वृद्धि देखी गई है। हाल के हफ्तों में चीनी छात्रों पर हमले, नस्लीय भेदभाव और धमकियां बढ़ी हैं। हम अपने नागरिकों से अपील करते हैं कि वे अनावश्यक यात्रा टालें, सार्वजनिक स्थानों पर सतर्क रहें और चीनी दूतावास से संपर्क रखें।"मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में विस्तार से बताया, "जापान में एंटी-चाइनीज सेंटिमेंट बढ़ रहा है, जो राजनीतिक रूप से प्रेरित लगता है। चीनी छात्र, जो जापान के विश्वविद्यालयों में बड़ी संख्या में पढ़ते हैं, अब सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे। हम जापान सरकार से अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग करते हैं।" आंकड़ों के अनुसार, 2024 में जापान में चीनी छात्रों की संख्या लगभग 1.1 लाख थी, जो सबसे बड़ा विदेशी छात्र समूह है। लेकिन हाल के महीनों में दर्जनों मामले सामने आए हैं, जहां चीनी छात्रों को रंगभेदी टिप्पणियां, शारीरिक हमले और ऑनलाइन धमकियां मिली हैं।

जापान में अपराधों का बढ़ता ग्राफ: चीनी दृष्टिकोण चीन के अनुसार, जापान में अपराध दर में समग्र वृद्धि हुई है, लेकिन चीनी नागरिकों को निशाना बनाने वाले मामले विशेष रूप से चिंताजनक हैं। बीजिंग ने कुछ उदाहरण दिए:टोक्यो विश्वविद्यालय का मामला: एक चीनी पीएचडी छात्र को अक्टूबर में कैंपस के बाहर नस्लीय गालियां देकर पीटा गया। हमलावर ने चिल्लाया, "चीन वापस जाओ, ताइवान हमारा है!" ओसाका में घटना: नवंबर की शुरुआत में एक चीनी छात्रा को उसके अपार्टमेंट के बाहर चाकू से धमकाया गया, जिसके बाद उसे अस्पताल ले जाना पड़ा। ऑनलाइन अभियान: सोशल मीडिया पर #BanChineseStudents जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जो चीनी छात्रों को जापान से निकालने की मांग करते हैं।

चीन ने इन घटनाओं को जापानी मीडिया और राजनीतिक नेताओं के "एंटी-चाइना प्रोपगैंडा" से जोड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि जापान की आर्थिक मंदी और बेरोजगारी ने विदेशी छात्रों, खासकर चीनी, के खिलाफ गुस्से को हवा दी है। हालांकि, जापानी पुलिस ने इनमें से कुछ मामलों को "व्यक्तिगत विवाद" बताकर खारिज करने की कोशिश की, लेकिन चीनी दूतावास ने 20 से अधिक शिकायतें दर्ज की हैं।

पीएम ताकेइची का ताइवान बयान: विवाद का केंद्र इस सलाह के ठीक एक दिन पहले, जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा ने एक इंटरव्यू में ताइवान पर सख्त रुख अपनाते हुए कहा, "ताइवान पर कोई भी चीनी आक्रमण जापान की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सीधा खतरा होगा। हमारी सेना ताइवान की रक्षा के लिए तैयार है, चाहे अमेरिका हो या न हो।" यह बयान जापानी संसद में उनके पहले भाषण के दौरान आया, जहां उन्होंने अपनी "एशिया में नई सुरक्षा नीति" की रूपरेखा पेश की।इशिबा, जो लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (LDP) के कट्टरपंथी धड़े से हैं, ने ताइवान को "जापान का महत्वपूर्ण पड़ोसी" बताते हुए चीनी सेना की गतिविधियों की निंदा की। उन्होंने कहा, "ताइवान जलडमरूमध्य में शांति बनाए रखना जापान की जिम्मेदारी है। यदि चीन ने हमला किया, तो हम संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ मिलकर जवाब देंगे।" यह बयान चीन के लिए लाल रेखा पार करने जैसा था, क्योंकि बीजिंग ताइवान को अपना अभिन्न अंग मानता है और किसी भी बाहरी हस्तक्षेप को "अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप" बताता है।चीन के विदेश मंत्रालय ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए इशिबा के बयान को "खतरनाक और उकसावे वाला" करार दिया। प्रवक्ता ने कहा, "जापान को ताइवान के आंतरिक मामलों में दखल नहीं देना चाहिए। यह बयान क्षेत्रीय शांति को भंग करने वाला है।" विश्लेषकों का मानना है कि इशिबा का यह बयान अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की एशिया यात्रा के बाद आया, जो ताइवान को हथियार बेचने की योजना पर चर्चा कर रहे थे। जापान, जो ताइवान के सबसे करीबी सहयोगियों में से एक है, पहले से ही चीनी नौसेना की गतिविधियों पर नजर रख रहा है।

ऐतिहासिक संदर्भ और व्यापक प्रभाव;  चीन-जापान संबंध हमेशा तनावपूर्ण रहे हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के बाद से सेंकाकू/डायोयू द्वीप विवाद ने दोनों देशों को कई बार आमने-सामने ला खड़ा किया। 2012 में इसी विवाद पर हिंसा भड़की थी, जिसमें चीनी प्रदर्शनकारियों ने जापानी दूतावास पर हमला किया था। हाल के वर्षों में, कोविड-19 महामारी के दौरान भी दोनों देशों के बीच आरोप-प्रत्यारोप चले। अब ताइवान मुद्दा इस तनाव को नई दिशा दे रहा है।इस सलाह से चीनी छात्रों में डर का माहौल है। टोक्यो में पढ़ने वाली एक छात्रा ली जिंग ने बताया, "मैं रात में अकेले बाहर नहीं निकलती। जापान पहले सुरक्षित लगता था, लेकिन अब सब बदल गया।" जापानी सरकार ने सलाह को "अतिरंजित" बताते हुए कहा कि वे सभी विदेशी छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करेंगे। लेकिन अंतरराष्ट्रीय मीडिया में यह खबर सुर्खियां बटोर रही है, और अमेरिका ने दोनों पक्षों से "शांति बनाए रखने" की अपील की है।