बीकानेर-बांद्रा ट्रेन के ब्रेक शू में लगी आग: यात्री घबरा उठे, पांच AC कोच के नीचे धुआं छा गया

बीकानेर-बांद्रा ट्रेन के ब्रेक शू में देशनोक स्टेशन पर आग लगने से हड़कंप, पांच AC कोचों के नीचे धुआं उठा; अग्निशमन सिलेंडर से आग काबू की गई, कोई हताहत नहीं।

Nov 12, 2025 - 13:09
बीकानेर-बांद्रा ट्रेन के ब्रेक शू में लगी आग: यात्री घबरा उठे, पांच AC कोच के नीचे धुआं छा गया

बीकानेर/देशनोक, 12 नवंबर 2025:

राजस्थान के बीकानेर जिले में दर्शनोक रेलवे स्टेशन के पास एक बड़ा रेल हादसा टल गया। बीकानेर से मुंबई के बांद्रा जा रही ट्रेन के ब्रेक शू (ब्रेक जूते) में अचानक आग लगने से हड़कंप मच गया। ट्रेन के पांच एसी कोचों के नीचे से धुंधला धुआं उठने लगा, जिससे यात्री भयभीत हो गए। यात्रियों ने तुरंत अपना सामान संभाला और कोचों से नीचे उतरने लगे। ट्रेन में उपलब्ध अग्निशमन सिलेंडरों का इस्तेमाल कर आग को काबू में किया गया, लेकिन हादसे ने रेल सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना का पूरा विवरण;  सुबह करीब 8:30 बजे बीकानेर-बांद्रा एक्सप्रेस दर्शनोक रेलवे स्टेशन से गुजर रही थी। यह ट्रेन बीकानेर से मुंबई के बांद्रा टर्मिनस तक चलती है और इसमें सैकड़ों यात्री सवार थे। स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर 1 के पास ट्रेन की रफ्तार सामान्य थी, जब अचानक एसी कोच नंबर A-1 से A-5 के नीचे से धुआं निकलने लगा। शुरुआत में यात्रियों को लगा कि यह धूल या इंजन का धुआं हो सकता है, लेकिन जल्द ही धुएं की गंध और चिंगारियां दिखाई देने लगीं।ट्रेन के ब्रेक सिस्टम के शू (जो पहियों को रोकने के लिए इस्तेमाल होते हैं) में शॉर्ट सर्किट या घर्षण के कारण स्पार्किंग हो गई, जिससे आग लग गई। धुआं इतना घना हो गया कि कोचों के नीचे काला धुंधला पर्दा सा छा गया। यात्री, खासकर परिवारों वाले, घबरा गए। कई महिलाओं और बच्चों ने चीखना-चिल्लाना शुरू कर दिया। एक यात्री, जयपुर के रहने वाले रामेश्वर शर्मा ने बताया, "हम एसी कोच में सोकर उठे ही थे कि नीचे से धुआं दिखा। लगा ट्रेन में आग लग गई है। सबने बैग-पर्स उठाया और दरवाजे की ओर भागे। सौभाग्य से ट्रेन रुकी, वरना बड़ा हादसा हो जाता।"ट्रेन के गार्ड और स्टेशन मास्टर ने तुरंत सूचना मिलते ही ट्रेन को इमरजेंसी ब्रेक लगाकर रोक दिया। ट्रेन में मौजूद अग्निशमन यंत्र (फायर एक्सटिंग्विशर) को सक्रिय किया गया। यात्रियों और स्टाफ ने मिलकर कोच के नीचे पानी और फोम का छिड़काव किया, जिससे आग पर काबू पा लिया गया। लगभग 15-20 मिनट की मशक्कत के बाद स्थिति नियंत्रण में आ गई। इस दौरान स्टेशन पर मौजूद अन्य ट्रेनों को भी सावधानी के तौर पर रोका गया।

यात्रियों की सुरक्षा और प्रभाव;   घटना में किसी को चोट नहीं पहुंची, लेकिन यात्रियों में दहशत फैल गई। करीब 300-400 यात्री सवार ट्रेन को दर्शनोक स्टेशन पर ही रोका गया। रेलवे ने वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर यात्रियों को अन्य ट्रेनों से जोड़ा। कुछ यात्रियों को बीकानेर वापस लौटना पड़ा, जबकि अन्य को बसों से जोड़ा गया। एक बुजुर्ग यात्री, बीकानेर की सरिता देवी ने कहा, "हम कर्णी माता दर्शन को जा रहे थे, लेकिन यह डरावना अनुभव हो गया। रेलवे को ऐसी ट्रेनों की जांच सख्त करनी चाहिए।"रेलवे अधिकारियों के अनुसार, ब्रेक शू की खराबी पुरानी ट्रेनों में आम समस्या है, जो रखरखाव की कमी से होती है। नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे के डीआरएम (डिविजनल रेलवे मैनेजर) ने बताया कि जांच टीम घटनास्थल पर पहुंच गई है और ब्रेक सिस्टम की फॉरेंसिक जांच की जा रही है। उन्होंने कहा, "यह तकनीकी खराबी लग रही है। सभी कोचों की तत्काल जांच कराई जाएगी। यात्रियों को मुआवजा और वैकल्पिक यात्रा की सुविधा दी जा रही है।"

रेल सुरक्षा पर सवाल;  यह घटना रेलवे की सुरक्षा व्यवस्था पर एक बार फिर सवाल उठाती है। हाल के महीनों में राजस्थान में कई ट्रेन हादसे हो चुके हैं, जिनमें सिग्नल फेलियर और ब्रेक सिस्टम की खराबी प्रमुख रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि ब्रेक शू को नियमित रूप से बदलना जरूरी है, लेकिन बजट की कमी से मेंटेनेंस प्रभावित हो रहा है। यात्रियों ने सोशल मीडिया पर रेल मंत्री से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।