भरतपुर डीग जिले में साइबर ठगों पर पुलिस का शिकंजा: 6 गिरफ्तार, एक फरार; चोरी के मोबाइल, सिम कार्ड और एटीएम कार्ड जब्त
राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में गोपालगढ़ पुलिस ने पीपलखेड़ा जंगलों में छापा मारकर 6 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया। एक आरोपी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार हो गया। पुलिस ने 6 चोरी के मोबाइल, 8 सिम कार्ड और 1 एटीएम कार्ड जब्त किया। गिरोह फर्जी कॉल और ओटीपी चोरी कर लोगों को ठगता था।
भरतपुर, 18 नवंबर 2025: राजस्थान के भरतपुर जिले के डीग क्षेत्र में साइबर अपराधों की बढ़ती घटनाओं पर लगाम लगाने के लिए गोपालगढ़ पुलिस थाने की टीम ने बड़ी सफलता हासिल की है। पीपलखेड़ा जंगलों में छिपे हुए साइबर ठगों पर दबिश देकर पुलिस ने छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। कार्रवाई के दौरान अंधेरे का फायदा उठाकर एक आरोपी फरार होने में कामयाब रहा, जिसकी तलाश में पुलिस टीमें जुटी हुई हैं। गिरफ्तार आरोपियों के कब्जे से छह चोरी के मोबाइल फोन, एक एटीएम कार्ड और आठ सिम कार्ड बरामद किए गए हैं। ये सामान साइबर फ्रॉड के लिए इस्तेमाल किए जाते थे, जिससे विभिन्न राज्यों में लोगों को ठगने का जाल बिछाया जाता था।
घटना का पूरा विवरण; जानकारी के अनुसार, गोपालगढ़ पुलिस थाने को गुप्त सूचना मिली थी कि पीपलखेड़ा के घने जंगलों में एक गिरोह साइबर अपराधों को अंजाम दे रहा है। यह गिरोह मुख्य रूप से ऑनलाइन फिशिंग, फर्जी कॉल्स और डिजिटल वॉलेट से जुड़े फ्रॉड के जरिए लोगों को लूटता था। ठग जंगलों की ओझल में रहकर चोरी के मोबाइल फोनों और फर्जी सिम कार्डों का उपयोग करते थे, ताकि उनकी लोकेशन ट्रेस न हो सके। सूचना मिलते ही डीग थाना प्रभारी ने एक विशेष टीम का गठन किया, जिसमें स्थानीय पुलिसकर्मी और साइबर सेल के विशेषज्ञ शामिल थे।रात के अंधेरे में पुलिस टीम ने जंगल में सर्च ऑपरेशन शुरू किया। ठगों के अस्थायी ठिकाने पर पहुंचते ही हंगामा मच गया। सात सदस्यीय गिरोह में से छह को मौके पर दबोच लिया गया, लेकिन सातवां सदस्य झाड़ियों का सहारा लेकर भाग निकला। फरार आरोपी का नाम अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन पुलिस के अनुसार वह गिरोह का मुख्य सूत्रधार हो सकता है। गिरफ्तार आरोपियों ने पूछताछ में कबूल किया है कि वे विभिन्न राज्यों जैसे दिल्ली, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के निवासियों को निशाना बनाते थे। वे फर्जी बैंक कॉल्स के जरिए ओटीपी चुराते और खातों से पैसे उड़ा लेते थे।
गिरफ्तार आरोपियों के नाम और बैकग्राउंड; गिरफ्त में आए साइबर अपराधियों में शामिल हैं:सकील (उम्र लगभग 25 वर्ष, मूल निवासी भरतपुर) राजेश ,हासिम ,अंकित,अरबाज ,वसीम,ये सभी आरोपी बेरोजगार युवक थे, जो साइबर क्राइम के जरिए आसान कमाई का लालच में फंस गए थे। पुलिस को शक है कि यह गिरोह बड़े साइबर सिंडिकेट से जुड़ा हुआ था, जो इंटरनेट पर टूलकिट्स और सॉफ्टवेयर बेचने वालों से संपर्क में था। फरार साथी की पहचान एक अन्य युवक के रूप में हो रही है, जो गिरोह का तकनीकी विशेषज्ञ बताया जा रहा है।
बरामद सामान और जांच की दिशा; पुलिस ने ठगों के कैंप से निम्नलिखित वस्तुएं जब्त की हैं:6 चोरी के मोबाइल फोन: ये फोन विभिन्न ब्रांडों के थे, जो बाजार से चुराए गए या ब्लैक मार्केट से खरीदे गए थे। इनके जरिए फर्जी नंबरों से कॉल्स की जाती थीं। 1 एटीएम कार्ड: यह किसी पीड़ित का कार्ड था, जिसका इस्तेमाल अनधिकृत लेन-देन के लिए किया जा रहा था। 8 सिम कार्ड: ये सिम फर्जी दस्तावेजों पर जारी किए गए थे, जो साइबर फ्रॉड के लिए विशेष रूप से इस्तेमाल होते थे। इनमें से कुछ सिम पर हाई-स्पीड डेटा पैक थे, जो वीडियो कॉल फ्रॉड के लिए उपयोगी साबित होते।
जब्त सिम कार्डों को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है, ताकि इनके जरिए हुए अपराधों का पता लगाया जा सके। इसके अलावा, चोरी के मोबाइलों की आईएमईआई नंबर्स चेक कर मूल मालिकों तक पहुंचने का प्रयास किया जा रहा है। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ आईटी एक्ट, 2000 की धारा 66C, 66D और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है।
पुलिस का बयान और आगे की कार्रवाई; डीग थाना प्रभारी ने बताया, "यह कार्रवाई साइबर अपराधों के खिलाफ चलाए जा रहे विशेष अभियान का हिस्सा है। जंगलों में छिपकर अपराध करने वाले ठगों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा। फरार आरोपी को 24 घंटों में पकड़ लिया जाएगा।" पुलिस ने जनता से अपील की है कि वे संदिग्ध कॉल्स या मैसेज पर सावधानी बरतें और तुरंत साइबर हेल्पलाइन 1930 पर शिकायत दर्ज कराएं।
बताया जाता है कि डीग और भरतपुर क्षेत्र में पिछले छह महीनों में साइबर फ्रॉड के 50 से अधिक मामले दर्ज हो चुके हैं, जिनमें लाखों रुपये का नुकसान हुआ है। जंगलों और ग्रामीण इलाकों का इस्तेमाल अपराधी लोकेशन ट्रैकिंग से बचने के लिए करते हैं। इस गिरफ्तारी से स्थानीय स्तर पर साइबर क्राइम पर काफी हद तक अंकुश लगेगा। पुलिस अब गिरोह के अन्य सदस्यों और सप्लायर्स की तलाश में छापेमारी बढ़ा रही है।