100 में से 2-4 लड़कियां ही पवित्र... प्रेमानंद महाराज का वायरल बयान, अनिरुद्धाचार्य के बाद फिर मचा बवाल

वृंदावन में संत प्रेमानंद और अनिरुद्धाचार्य के महिलाओं पर विवादित बयानों ने सोशल मीडिया पर हंगामा मचा दिया, जिससे भक्तों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में आक्रोश फैल गया। महिला आयोग ने कार्रवाई की मांग की, और लोग संतों की बयानबाजी पर सवाल उठा रहे हैं।

Jul 29, 2025 - 16:00
100 में से 2-4 लड़कियां ही पवित्र... प्रेमानंद महाराज का वायरल बयान, अनिरुद्धाचार्य के बाद फिर मचा बवाल

उत्तर प्रदेश के वृंदावन में संतों के विवादित बयानों ने एक बार फिर से सामाजिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है। पहले भागवताचार्य अनिरुद्धाचार्य के महिलाओं पर दिए गए बयान ने विवाद को जन्म दिया, और अब संत प्रेमानंद महाराज की टिप्पणी ने नया बखेड़ा खड़ा कर दिया है। दोनों संतों के बयान सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहे हैं, जिसके बाद भक्तों और सामाजिक कार्यकर्ताओं में आक्रोश देखने को मिल रहा है। लोग सवाल उठा रहे हैं कि आखिर वृंदावन के संतों को हो क्या गया है, जो बार-बार महिलाओं को निशाना बना रहे हैं?

प्रेमानंद महाराज का वायरल बयान

वृंदावन के प्रसिद्ध संत प्रेमानंद महाराज का एक वीडियो हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुआ है, जिसमें उन्होंने युवाओं, खासकर युवतियों के चरित्र पर सवाल उठाए। प्रेमानंद महाराज ने एकांतिक वार्तालाप के दौरान कहा, "आज के समय में 100 में से मुश्किल से 2-4 लड़कियां ही पवित्र होती हैं, बाकी सभी बॉयफ्रेंड-गर्लफ्रेंड के चक्कर में पड़ी हैं।" इस बयान ने न केवल उनके भक्तों को हैरान किया, बल्कि सामाजिक कार्यकर्ताओं और महिला संगठनों में भी भारी नाराजगी पैदा की। कई लोगों ने इसे महिलाओं के खिलाफ अपमानजनक और रूढ़िवादी सोच को दर्शाने वाला बताया।

सोशल मीडिया पर इस बयान के बाद बहस छिड़ गई। कुछ यूजर्स ने इसे भारतीय संस्कृति के मूल्यों की रक्षा के लिए जरूरी बताया, जबकि अधिकांश ने इसे नारी शक्ति के प्रति असम्मानजनक करार दिया। सामाजिक कार्यकर्ता रवि चौहान ने कहा, "नारी शक्ति से ही हमारा जन्म होता है, फिर भी संत बार-बार ऐसी बयानबाजी क्यों कर रहे हैं? यह निंदनीय है। नारी का सम्मान जितना बढ़ेगा, समाज का वर्चस्व उतना ही बढ़ेगा।"

अनिरुद्धाचार्य का पुराना विवाद अभी थमा नहीं

इससे पहले, भागवताचार्य अनिरुद्धाचार्य ने अपनी एक कथा के दौरान अविवाहित लड़कियों की उम्र को लेकर विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था, "जब लड़की 14 साल की होगी, तो वह दुल्हन बनकर ससुराल को परिवार मान लेगी। लेकिन 25 साल की लड़कियां पहले ही कहीं न कहीं मुंह मार चुकी होती हैं।" इस बयान ने महिलाओं में भारी आक्रोश पैदा किया था। वृंदावन कोतवाली में उनके खिलाफ तहरीर दी गई, और बार एसोसिएशन ने भी इस मामले में मुकदमा दर्ज करने का फैसला लिया।

महिला आयोग ने भी अनिरुद्धाचार्य के बयान का स्वत: संज्ञान लिया और कार्रवाई की मांग की। वृंदावन में कई जगहों पर महिलाओं ने उनके खिलाफ प्रदर्शन किया। सोमवार को ई-रिक्शा संचालन समिति के ताराचंद गोस्वामी ने बताया कि उन्होंने अनिरुद्धाचार्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने के लिए प्रार्थना पत्र दिया है।

संतों की बयानबाजी पर सवाल

वृंदावन, जो भक्ति और आध्यात्मिकता का केंद्र माना जाता है, इन दिनों संतों के विवादित बयानों के कारण चर्चा में है। कथावाचक कौशल ठाकुर ने इस मामले में अपनी राय रखते हुए कहा, "संतों के ऐसे बयान सनातन धर्म को नुकसान पहुंचा रहे हैं। उन्हें ऐसी बयानबाजी से बचना चाहिए।" उन्होंने आगे कहा कि संतों का काम समाज को जोड़ना और सकारात्मक संदेश देना है, न कि विवाद पैदा करना।

सोशल मीडिया पर भी लोगों ने संतों की बयानबाजी की कड़ी आलोचना की है। 

समाज और धर्म पर प्रभाव

समाजशास्त्रियों और मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि चरित्र का मूल्यांकन केवल यौन संबंधों या रिश्तों के आधार पर नहीं किया जा सकता। आज का युवा वर्ग स्वतंत्र सोच के साथ रिश्तों और विवाह की परिभाषाओं को नए सिरे से गढ़ रहा है। ऐसे में संतों के इस तरह के बयान सामाजिक ताने-बाने को कमजोर कर सकते हैं।

Yashaswani Journalist at The Khatak .