सपनों की उड़ान से पहले टूट गए पंख: जालोर की होनहार छात्रा सपना ने बोर्ड परीक्षा में लहराया परचम, पर देख न सकी अपना रिज़ल्ट
77.33% अंकों के साथ फर्स्ट डिविजन, लेकिन बाथरूम में फिसलकर लगी चोट ने ली 15 वर्षीय छात्रा की जान; गांव में मातम, स्कूल में सन्नाटा

जालोर, राजस्थान
राजस्थान के जालोर जिले के मालवाड़ा गांव की रहने वाली 15 साल की सपना कुमारी ने पढ़ाई के प्रति अपना समर्पण और जुनून पहले ही साबित कर दिया था। वह एक होनहार, मेहनती और अनुशासित छात्रा थी। हाल ही में 10वीं की बोर्ड परीक्षा देकर लौटी सपना अपने उज्ज्वल भविष्य के सपनों में खोई थी। परिवार को उससे बहुत उम्मीदें थीं, और सपना ने भी इन उम्मीदों पर खरा उतरते हुए 28 मई को घोषित परिणाम में 77.33% अंक हासिल कर फर्स्ट डिविजन में स्थान पाया।
लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंज़ूर था। परीक्षा देने के कुछ दिन बाद सपना एक दुर्घटना की शिकार हो गई। बाथरूम में फिसलकर गिरने से उसके सिर में गंभीर चोट आई। इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद उसे बचाया नहीं जा सका।
रिज़ल्ट आया, लेकिन सपना न रही
जब रिज़ल्ट आया और स्कूल में नाम घोषित हुआ, तो पूरा माहौल अचानक भावनाओं से भर उठा। उसकी सहेलियों की आंखें छलक उठीं, शिक्षक गम में डूब गए, और घर पर उसका रिज़ल्ट देखते ही पिता प्रकाश कुमार फूट-फूट कर रो पड़े। उनकी आवाज़ भर्राई हुई थी – "मुझे अब भी यकीन नहीं होता कि मेरी बेटी नहीं रही। हर दिन लगता है जैसे अभी आएगी और कहेगी – पापा, मैं पास हो गई।"
गांव की उम्मीद थी सपना
मालवाड़ा गांव में सपना को एक मिसाल के रूप में देखा जाता था। उसका पढ़ाई के प्रति समर्पण, जिम्मेदारी और व्यवहारिकता सभी को प्रेरणा देती थी। गांव के बुज़ुर्गों से लेकर स्कूल के अध्यापक तक, सभी ने सपना के उज्जवल भविष्य की कल्पना की थी। लेकिन उसकी असमय मौत ने पूरे गांव को शोक में डुबो दिया।
स्कूल में सन्नाटा, सहेलियों की आंखें नम
रिज़ल्ट वाले दिन स्कूल के गलियारों में सन्नाटा था। जहां हर साल रिज़ल्ट पर खुशियों की चहक सुनाई देती थी, वहां इस बार आंसुओं की खामोशी थी। सपना की सहेलियां उसकी सीट को खाली देखकर खुद को रोक नहीं पाईं। किसी ने कहा, "वो होती तो सबसे पहले प्रिंसिपल सर से जाकर कहती – देखिए सर, मैंने कर दिखाया।"
छोटे से गांव से उठी थी बड़ी उड़ान की तैयारी
सपना जैसे छात्र-छात्राएं समाज की असली पूंजी होते हैं। एक साधारण परिवार की इस बेटी ने मेहनत और लगन से जो उपलब्धि पाई, वह किसी प्रेरणा से कम नहीं। उसकी मौत सिर्फ एक परिवार का नहीं, पूरे समाज का नुकसान है।