वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन में कैटरिंग मैनेजर को फोन पर बात करते आया हार्ट अटैक दो डॉक्टरों की CPR ने लौटाई जान.
जोधपुर-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस में कैटरिंग मैनेजर अर्जुन सिंह (35) को फुलेरा के पास फोन पर बात करते-करते अचानक हार्ट अटैक आया और वे गिर पड़े। उसी कोच में यात्रा कर रहे जोधपुर एम्स के रजिस्ट्रार डॉ. मनीष श्रीवास्तव और डेंटिस्ट डॉ. प्रवेश गौतम ने तुरंत सीपीआर देकर उनकी जान बचाई। ट्रेन की मेडिकल किट में एस्प्रिन तक नहीं थी, जिससे रेलवे की तैयारी पर सवाल उठे। अर्जुन अब दिल्ली एम्स में खतरे से बाहर हैं।
जयपुर/जोधपुर, 2 नवंबर 2025: भारतीय रेलवे की फ्लैगशिप वंदे भारत एक्सप्रेस, जो तेज रफ्तार और आधुनिक सुविधाओं के लिए जानी जाती है, आज एक ऐसी घटना का गवाह बनी जहां एक साधारण फोन कॉल के बीच जीवन-मरण का संघर्ष छिड़ गया। जोधपुर से दिल्ली कैंट की ओर दौड़ रही इस प्रीमियम ट्रेन में कैटरिंग मैनेजर को अचानक हार्ट अटैक आया, लेकिन यात्रियों के बीच मौजूद दो साहसी डॉक्टरों की तत्परता ने चमत्कार कर दिखाया। फोन पर बात करते-करते अचानक गिर पड़े 35 वर्षीय अर्जुन सिंह को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन (सीपीआर) देकर बचाया गया। दिल दहला देने वाली इस घटना ने न सिर्फ ट्रेन के यात्रियों को झकझोर दिया, बल्कि रेलवे की मेडिकल सुविधाओं पर भी सवाल खड़े कर दिए—क्योंकि ट्रेन की इमरजेंसी किट में बेसिक दवा एस्प्रिन तक मौजूद नहीं थी!
घटना का विवरण: सुबह की शांति में अचानक संकट
शुक्रवार सुबह करीब 8 बजे, जोधपुर-दिल्ली वंदे भारत एक्सप्रेस (ट्रेन नंबर 20978) फुलेरा जंक्शन के पास पहुंची ही थी कि एग्जीक्यूटिव क्लास कोच के बाहर पैंट्री एरिया में हड़कंप मच गया। कैटरिंग विभाग के मैनेजर अर्जुन सिंह (35 वर्ष) अपने मोबाइल पर किसी से बात कर रहे थे। अचानक उनकी सांसें उखड़ने लगीं और वे धड़ाम से जमीन पर गिर पड़े। आसपास के यात्री घबरा गए—कुछ चिल्ला उठे, तो कुछ ने तुरंत ट्रेन स्टाफ को सूचना दी। अर्जुन की सांसें रुक चुकी थीं और चेहरा नीला पड़ने लगा था। हार्ट अटैक का शक होते ही ट्रेन में सन्नाटा छा गया।ट्रेन जोधपुर से सुबह 6:40 बजे रवाना हुई थी और दिल्ली कैंट दोपहर 1:20 बजे पहुंचने वाली थी। यह लगभग 620 किलोमीटर का सफर है, जो वंदे भारत की 160 किमी/घंटा की अधिकतम स्पीड से मात्र 7 घंटे में तय होता है। लेकिन इस तेज रफ्तार के बीच एक जिंदगी रुकने की कगार पर थी।
हीरोज की जोड़ी: डॉक्टरों ने दिखाई नायाब हिम्मत
सौभाग्य से उसी एग्जीक्यूटिव कोच में सफर कर रहे दो डॉक्टरों ने फौरन संभाला। जोधपुर एम्स के रजिस्ट्रार डॉ. मनीष श्रीवास्तव और स्थानीय डेंटिस्ट डॉ. प्रवेश गौतम ने बिना वक्त गंवाए अर्जुन को सीपीआर देना शुरू कर दिया। डॉ. मनीष ने बताया, "जब हमने देखा कि व्यक्ति बेहोश है और सांस नहीं ले रहा, तो हमने तुरंत छाती पर दबाव देकर हार्ट की धड़कन को पुनः चालू करने की कोशिश की। सीपीआर के 2-3 मिनट बाद उनकी सांसें लौटने लगीं।" वहीं, डॉ. प्रवेश ने अर्जुन को एस्प्रिन की गोली दी, जो हार्ट अटैक के शुरुआती इलाज के लिए जरूरी है। लेकिन यहां एक चौंकाने वाला तथ्य सामने आया—ट्रेन की पूरी कैटरिंग किट में एस्प्रिन जैसी कोई बेसिक इमरजेंसी दवा नहीं थी! डॉक्टरों को अपनी निजी बैग से दवा देनी पड़ी।डॉ. मनीष श्रीवास्तव, जो एम्स जोधपुर में प्रशासनिक भूमिका निभाते हैं, इस सफर पर परिवार के साथ दिल्ली जा रहे थे। उन्होंने कहा, "वंदे भारत जैसी आधुनिक ट्रेन में मेडिकल किट का अभाव दुर्भाग्यपूर्ण है। अगर हम न होते, तो हालात और बिगड़ सकते थे।" डॉ. प्रवेश गौतम, जो जोधपुर के एक प्रमुख डेंटल क्लिनिक चलाते हैं, ने भी सहमति जताई: "सीपीआर ने जान बचाई, लेकिन रेलवे को तुरंत सुधार करने चाहिए।"
अर्जुन की हालत: खतरे से बाहर, लेकिन सबक बड़ा
अर्जुन सिंह, मूल रूप से उत्तर प्रदेश के रहने वाले, जो दिल्ली-जोधपुर रूट पर कैटरिंग सर्विसेज हैंडल करते हैं, को ट्रेन के ही स्टाफ ने प्राथमिक उपचार के बाद स्थिर किया। फुलेरा स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही उन्हें लोकल अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने पुष्टि की कि हार्ट अटैक के शुरुआती लक्षण थे, लेकिन सीपीआर के कारण कोई गंभीर क्षति नहीं हुई। वर्तमान में वे दिल्ली के एम्स में भर्ती हैं और खतरे से बाहर बताए जा रहे हैं। उनके परिवार ने डॉक्टरों को धन्यवाद देते हुए कहा, "ये दोनों भगवान के दूत साबित हुए।"
रेलवे पर सवाल: क्या वंदे भारत पूरी तरह तैयार है?
यह घटना रेलवे के लिए शर्मिंदगी का कारण बनी है। वंदे भारत एक्सप्रेस, जो 2019 से देश की सबसे तेज और सुविधाजनक ट्रेन के रूप में चली आ रही है, में मेडिकल इमरजेंसी किट का अभाव उजागर हो गया। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि ट्रेनों में बेसिक फर्स्ट एड किट तो है, लेकिन एस्प्रिन जैसी कार्डियक दवाएं अनिवार्य नहीं मानी जातीं। हालांकि, इस घटना के बाद नॉर्थ वेस्टर्न रेलवे ने जांच के आदेश दे दिए हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "हम डॉक्टरों का आभार व्यक्त करते हैं। जल्द ही सभी वंदे भारत ट्रेनों में उन्नत मेडिकल किट लगाई जाएगी, जिसमें डिफिब्रिलेटर और एस्प्रिन शामिल होंगे।"देश में वर्तमान में 50 से अधिक वंदे भारत ट्रेनें चल रही हैं, जो लाखों यात्रियों को तेज और सुरक्षित सफर देती हैं। लेकिन ऐसी घटनाएं याद दिलाती हैं कि तकनीक के साथ मानवीय तत्परता भी उतनी ही जरूरी है। हार्ट अटैक के मामले भारत में तेजी से बढ़ रहे हैं—विशेषज्ञों के अनुसार, 30-40 आयु वर्ग में यह 20% सालाना बढ़ोतरी दिखा रहा है। सीपीआर जैसी बेसिक ट्रेनिंग हर यात्री के लिए अनिवार्य होनी चाहिए।
एक चमत्कार, जो सबको सतर्क करे
अर्जुन सिंह की बचत न सिर्फ दो डॉक्टरों की बहादुरी का प्रतीक है, बल्कि यह एक बड़ा संदेश भी है—ट्रेन हो या सड़क, स्वास्थ्य संकट कहीं भी आ सकता है। रेलवे को अब तुरंत कदम उठाने होंगे ताकि वंदे भारत न सिर्फ तेज, बल्कि पूरी तरह सुरक्षित भी बने