'डॉग बाबू' के नाम पर निवास प्रमाण पत्र, DM का गुस्सा फूटा, दोषियों पर कठोर कार्रवाई का आदेश
एक कुत्ते के नाम 'डॉग बाबू' पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी होने का मामला वायरल, सरकारी लापरवाही पर सवाल। प्रशासन ने जांच शुरू की, डिजिटल सिग्नेचर रद्द।

बिहार की राजधानी पटना से एक ऐसा मामला सामने आया है, जो हंसी का पात्र बनने के साथ-साथ सरकारी तंत्र की गंभीर लापरवाही को उजागर करता है। मसौढ़ी प्रखंड के RTPS (राइट टू पब्लिक सर्विस) काउंटर से एक कुत्ते के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी कर दिया गया, जिसमें न सिर्फ कुत्ते की तस्वीर थी, बल्कि उसका नाम, पिता और माता का नाम भी दर्ज था। यह घटना अब सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी है, जिसके बाद प्रशासन में हड़कंप मच गया है।
बिहार में चल रहे विशेष गहन मतदाता पुनरीक्षण अभियान (SIR) के तहत हजारों लोगों ने आवासीय प्रमाण पत्र के लिए आवेदन किया था। इसी बीच, 24 जुलाई को मसौढ़ी अंचल कार्यालय से एक ऐसा प्रमाण पत्र जारी हुआ, जिसने सबको हैरान कर दिया। प्रमाण पत्र में आवेदक का नाम था 'डॉग बाबू', पिता का नाम 'कुत्ता बाबू', माता का नाम 'कुटिया देवी', और पता दर्ज था- काउलीचक, वार्ड नंबर 15, मसौढ़ी नगर परिषद, पटना। सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि प्रमाण पत्र पर एक कुत्ते की तस्वीर लगी थी और इसे राजस्व पदाधिकारी मुरारी चौहान के डिजिटल हस्ताक्षर के साथ जारी किया गया था।
प्रमाण पत्र का नंबर BRCCO/2025/15933581 था, और इसमें बिहार सरकार का वॉटरमार्क और QR कोड भी मौजूद था, जो इसे एक वैध दस्तावेज की तरह प्रतीत कराता था। लेकिन जैसे ही यह प्रमाण पत्र सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, लोगों ने इसे लेकर मजाक उड़ाना शुरू कर दिया। कुछ ने इसे 'डिजिटल इंडिया' का मजाक बताया, तो कुछ ने इसे सरकारी सिस्टम की खामियों का सबूत करार दिया।
प्रशासन का त्वरित एक्शन
मामला सामने आने के बाद पटना जिला प्रशासन ने तुरंत कार्रवाई की। रविवार शाम को इस प्रमाण पत्र को RTPS पोर्टल से हटा दिया गया और राजस्व पदाधिकारी का डिजिटल हस्ताक्षर रद्द कर दिया गया। मसौढ़ी के अंचलाधिकारी प्रभात रंजन ने इस गलती की पुष्टि करते हुए कहा, "यह एक गंभीर चूक है। हम इसकी जांच कर रहे हैं और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।"
पटना के जिला मजिस्ट्रेट डॉ. त्यागराजन एसएम ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया। उन्होंने कहा, "यह प्रोटोकॉल का गंभीर उल्लंघन है। हम साइबर सेल की मदद से आवेदक की पहचान करेंगे और संबंधित कर्मियों पर कड़ी कार्रवाई होगी।" प्रशासन ने आवेदक, कंप्यूटर ऑपरेटर, और प्रमाण पत्र जारी करने वाले अधिकारी के खिलाफ स्थानीय थाने में प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने का आदेश दिया है। साथ ही, मसौढ़ी के उप-विभागीय अधिकारी (SDO) को 24 घंटे के भीतर जांच रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए गए हैं।
सोशल मीडिया पर हंगामा
सोशल मीडिया पर इस घटना ने तूफान मचा दिया। स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने इस प्रमाण पत्र की तस्वीर शेयर करते हुए ट्वीट किया, "यह वही प्रमाण पत्र है, जो बिहार में SIR के तहत स्वीकार किया जा रहा है, जबकि आधार और राशन कार्ड को फर्जी बताया जा रहा है।" उन्होंने इसे सिस्टम की खामियों का सबूत बताया। वहीं, कुछ यूजर्स ने मजाक में कहा, "अगर 'डॉग बाबू' को प्रमाण पत्र मिल सकता है, तो 'काउ माता' को ड्राइविंग लाइसेंस क्यों नहीं?"
सिस्टम पर उठे सवाल
यह घटना केवल एक मजाक तक सीमित नहीं है। यह बिहार के RTPS पोर्टल की विश्वसनीयता और सुरक्षा पर गंभीर सवाल उठाती है। आवासीय प्रमाण पत्र जैसे महत्वपूर्ण दस्तावेज, जो मतदाता सूची में शामिल होने और सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए जरूरी हैं, इतनी आसानी से गलत तरीके से जारी हो सकते हैं, तो यह सिस्टम की कमजोरियों को दर्शाता है। अधिकारियों के अनुसार, आवेदन में एक दिल्ली की महिला के आधार कार्ड का दुरुपयोग किया गया, जिसे साइबर सेल अब ट्रैक करने की कोशिश कर रही है।
पहले भी हो चुकी है ऐसी गलती
यह पहली बार नहीं है जब बिहार में इस तरह की लापरवाही सामने आई हो। इससे पहले मुंगेर में एक 'सोनालिका ट्रैक्टर' के नाम पर आवासीय प्रमाण पत्र जारी होने का मामला सामने आया था। इन घटनाओं ने RTPS पोर्टल की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए हैं, खासकर तब जब बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले मतदाता सूची को अपडेट करने का महत्वपूर्ण काम चल रहा है।