राजस्थान: 22 वर्षों के बाद मतदाता सत्यापन अभियान, बिहार पैटर्न पर SIR शुरू; मतदाता सूची स्थिर, फरवरी तक स्थानांतरण पर प्रतिबंध

राजस्थान में बिहार की तर्ज पर विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) कार्यक्रम लागू हो रहा है, जहां 22 वर्ष बाद सभी मतदाताओं का सत्यापन होगा। 199 विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्येक बूथ पर मतदाता सूची की जांच होगी। सूची को फ्रीज कर दिया गया है, बीएलओ घर-घर जाकर फॉर्म वितरित करेंगे, संदिग्ध मामलों में प्रमाण-पत्र मांगे जाएंगे। फरवरी तक अधिकारियों के स्थानांतरण पर रोक रहेगी।

Oct 28, 2025 - 11:13
राजस्थान: 22 वर्षों के बाद मतदाता सत्यापन अभियान, बिहार पैटर्न पर SIR शुरू; मतदाता सूची स्थिर, फरवरी तक स्थानांतरण पर प्रतिबंध
SIR अभियान की शुरुआत: मुख्य चुनाव आयुक्त का महत्वपूर्ण निर्णय
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने राजस्थान में SIR अभियान की मंजूरी प्रदान कर दी है। राज्य की सभी 199 विधानसभा सीटों पर हर बूथ स्तर पर मतदाता सूची का विस्तृत परीक्षण होगा। प्रत्येक मतदाता का पुन: सत्यापन सुनिश्चित किया जाएगा। यह प्रक्रिया बिहार में आयोजित SIR की तर्ज पर आधारित है, जिसमें नकली मतदाताओं को हटाने पर विशेष ध्यान दिया गया था।
मतदाता सूची स्थिर: प्रक्रिया कल रात से आरंभ
रात्रि 12 बजे से मतदाता सूची को स्थिर कर दिया गया है। बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) घर-घर पहुंचकर फॉर्म वितरित करेंगे और प्रत्येक घर पर तीन बार दौरा करेंगे। संदिग्ध व्यक्तियों से आवश्यक दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा जाएगा, तथा अनियमितताएं मिलने पर नामों को सूची से हटाया जाएगा। राज्य में कुल 5 करोड़ 48 लाख 84 हजार 827 मतदाता हैं, जिनकी जांच 52 हजार 469 बीएलओ द्वारा की जाएगी।
स्थानांतरण पर अंकुश: फरवरी तक कोई परिवर्तन नहीं
SIR अभियान से जुड़े कर्मचारियों और अधिकारियों के स्थानांतरण पर फरवरी तक पूर्ण रोक लगा दी गई है। इसमें जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और बीएलओ शामिल हैं। असाधारण परिस्थितियों में ही चुनाव आयोग की अनुमति से ही कोई बदलाव संभव होगा। विधानसभा उपचुनाव प्रक्रिया के कारण अंतिम चरण में SIR आयोजन नहीं होगा।
SIR प्रक्रिया को समझें: 9 प्रमुख प्रश्नों के उत्तर
1. SIR का अर्थ क्या है?SIR विशेष गहन पुनरीक्षण का संक्षिप्त रूप है, जिसमें मतदाता सूची में दर्ज हर व्यक्ति की विस्तृत जांच होती है। इसका उद्देश्य सुनिश्चित करना है कि कोई अनधिकृत व्यक्ति मतदाता न बने और एक ही नाम एकाधिक स्थानों पर न दर्ज हो।
2. राजस्थान में SIR कब आयोजित होगा?यह 2003-04 की मतदाता सूची से तुलना पर आधारित होगा। सामान्यत: 22 वर्षों में एक बार SIR होता है, पिछला आयोजन 2003-04 में संपन्न हुआ था।
 3. मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण क्यों आवश्यक है?चुनाव आयोग ने अब तक आठ बार SIR कराया है। 2003-04 की सूची से परिवार के सदस्यों की स्थिति का मिलान किया जाएगा। जिनके नाम अनुपस्थित होंगे, उन्हें नोटिस जारी कर दस्तावेज प्रस्तुत करने को कहा जाएगा।
 4. नाम जोड़ने या बनाए रखने के लिए विभिन्न आयु वर्गों को कौन से प्रमाण-पत्र जमा करने होंगे?
  • यदि 2003 की मतदाता सूची में नाम दर्ज है, तो कोई दस्तावेज आवश्यक नहीं।
  • 1 जुलाई 1987 से पूर्व जन्मे: स्वयं का जन्म प्रमाण-पत्र।
  • 1 जुलाई 1987 से 2 दिसंबर 2004 के मध्य जन्मे: माता-पिता के जन्म या नागरिकता प्रमाण।
  • 2 दिसंबर 2004 के बाद जन्मे: माता-पिता में कम से कम एक भारतीय नागरिक होना चाहिए, तथा दूसरा अवैध प्रवासी न हो; माता-पिता के दस्तावेज प्रस्तुत करने होंगे।
5. दस्तावेजों का सत्यापन कब होगा?प्रारंभिक चरण में कोई दस्तावेज जमा नहीं कराने होंगे। बीएलओ फॉर्म वितरित करेंगे, उसके बाद सत्यापन होगा। असंगति पर 12 प्रकार के दस्तावेज मांगे जाएंगे।
6. फॉर्म भरने के पश्चात बीएलओ कब दस्तावेज मांगेगा?फॉर्म जमा होने के बाद 2003 की सूची से तुलना की जाएगी। तुलना में विफलता पर दस्तावेज मांगे जाएंगे, अन्यथा नाम हटाया जा सकता है।
 7. SIR कौन संचालित करेगा?52 हजार 469 बीएलओ मतदाताओं का सत्यापन करेंगे।
 8. कौन से दस्तावेज स्वीकार्य होंगे?SIR के अंतर्गत 12 प्रकार के दस्तावेज मान्य होंगे।
9. SIR से जुड़े अधिकारियों-कर्मचारियों के स्थानांतरण पर रोक क्यों लगाई गई?फरवरी तक जिला कलेक्टर, उपखंड अधिकारी, अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट, तहसीलदार और बीएलओ के स्थानांतरण निषिद्ध हैं। प्रमुख आंकड़े और जोड़-तोड़राज्य में 40 वर्ष से अधिक आयु के 2.61 करोड़ मतदाताओं का 77 प्रतिशत जोड़-तोड़ पूर्ण हो चुका है।
 2.88 करोड़ 40 वर्ष से कम आयु के मतदाताओं का कार्य जारी है। वर्तमान मतदाताओं का पूर्व SIR सूची से जोड़-तोड़ हो रहा है, जिससे पारिवारिक वंशावली का मानचित्रण संभव हो रहा है और दस्तावेजों की आवश्यकता न्यूनतम रहेगी। सभी राज्यों की मतदाता सूचियां
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