डाक विभाग का संग्रहालय: ऐतिहासिक टिकटों और डिजिटल युग की कहानी
राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय, डाक भवन में स्थित, डाक टिकटों के ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व को प्रदर्शित करता है। यहाँ स्वतंत्रता के बाद के टिकटों से लेकर थीम आधारित संग्रह तक मौजूद हैं। संग्रहालय में व्यक्तिगत टिकट बनवाने की सुविधा, कार्यशालाएँ और निःशुल्क प्रवेश उपलब्ध है। यह डिजिटल युग में डाक विभाग की विरासत को जीवित रखता है और पर्यटकों व बच्चों को इतिहास से जोड़ता है।

डाक विभाग, जो कभी संचार का प्रमुख माध्यम था, आज के डिजिटल युग में धीरे-धीरे विस्मृति के गर्त में चला गया है। पहले लोग पत्रों और डाक टिकटों के माध्यम से एक-दूसरे को संदेश भेजते थे, लेकिन अब स्मार्टफोन और डिजिटल मीडिया ने इसकी जगह ले ली है। चंद सेकंड में संदेश भेजने की सुविधा ने डाक विभाग की परंपरागत भूमिका को कम कर दिया है। फिर भी, डाक विभाग का इतिहास और उसकी विरासत आज भी संग्रहालयों में जीवित है, जो नई पीढ़ी को इसके महत्व को समझाने का प्रयास करते हैं।
नई दिल्ली में डाक भवन में स्थित राष्ट्रीय डाक टिकट संग्रहालय (National Philatelic Museum) एक ऐसी जगह है, जहां डाक टिकटों का समृद्ध इतिहास संरक्षित है। इस संग्रहालय में स्वतंत्रता के बाद के युग के टिकटों से लेकर विभिन्न थीम और देशों के टिकटों का प्रदर्शन किया गया है। यहां टिकटों को शीटलेट, थीम आधारित और अंतरराष्ट्रीय संग्रह जैसे विभिन्न वर्गों में खूबसूरती से व्यवस्थित किया गया है। संग्रहालय में एक एम्फीथिएटर, पुस्तकालय और कलाकारों के लिए कार्य क्षेत्र भी है, जहां वे टिकटों से संबंधित कला का प्रदर्शन करते हैं।
यहां की एक खास विशेषता है कि आगंतुक मात्र 300 रुपये में अपनी तस्वीर के साथ वैध व्यक्तिगत डाक टिकट बनवा सकते हैं। यह न केवल एक अनूठा अनुभव है, बल्कि बच्चों और युवाओं के लिए शिक्षाप्रद भी है। संग्रहालय नियमित रूप से स्कूल के छात्रों के लिए डाक टिकट कार्यशालाएं आयोजित करता है, जहां बच्चे टिकटों के माध्यम से इतिहास, संस्कृति और कहानियों को जान सकते हैं। हालांकि, आगंतुकों को सुझाव दिया जाता है कि वे अपने साथ मैग्नीफाइंग ग्लास लाएं, क्योंकि टिकटों की बारीक डिजाइन को देखने के लिए यह उपयोगी हो सकता है।
संग्रहालय में प्रवेश निःशुल्क है, और यह बच्चों से लेकर पर्यटकों तक सभी के लिए आकर्षण का केंद्र है। यहां बैग ले जाना मना है, लेकिन प्रवेश द्वार पर इन्हें रखने की व्यवस्था है। यह स्थान न केवल डाक टिकटों के संग्रह को प्रदर्शित करता है, बल्कि डाक विभाग के ऐतिहासिक महत्व को भी दर्शाता है। पर्यटक यहां आकर टिकटों के माध्यम से भारत और विश्व के इतिहास, संस्कृति और कला की झलक पा सकते हैं।
आज के डिजिटल युग में, जहां संचार की गति ने डाक सेवाओं को पृष्ठभूमि में धकेल दिया है, यह संग्रहालय हमें उस समय की याद दिलाता है जब एक पत्र कई दिनों की यात्रा के बाद अपने गंतव्य तक पहुंचता था। यह नई पीढ़ी को डाक टिकटों की कहानी और उनकी सांस्कृतिक महत्ता से जोड़ने का एक शानदार प्रयास है।