नींबू के मोल-भाव ने बिगाड़ा उदयपुर का माहौल: तलवार-लाठी से हमला, बाजार बंद, पुलिस तैनात

उदयपुर में नींबू की कीमत को लेकर हुए विवाद ने हिंसक रूप लिया, जिसमें सब्जी विक्रेता और उनके बेटे पर तलवार-लाठी से हमला हुआ। घटना धानमंडी थाना क्षेत्र के तीज का चौक में हुई, जिसके बाद व्यापारियों ने विरोध में बाजार बंद किया। तनाव को नियंत्रित करने के लिए 8 थानों की पुलिस तैनात की गई। एक आरोपी हिरासत में है, और सीसीटीवी फुटेज के आधार पर जांच जारी है। प्रशासन ने शांति की अपील की, लेकिन घटना ने शहर की संवेदनशीलता को उजागर किया।

May 16, 2025 - 15:38
नींबू के मोल-भाव ने बिगाड़ा उदयपुर का माहौल: तलवार-लाठी से हमला, बाजार बंद, पुलिस तैनात

राजस्थान के उदयपुर में गुरुवार  देर शाम एक मामूली विवाद ने हिंसक रूप ले लिया, जिसने पूरे शहर को हिलाकर रख दिया। धानमंडी थाना क्षेत्र के तीज का चौक स्थित सब्जी मंडी में नींबू की खरीद-बिक्री को लेकर शुरू हुई कहासुनी दो समुदायों के बीच तनाव का कारण बन गई। इस घटना में एक सब्जी विक्रेता और उसके बेटे पर तलवार और लाठी से हमला किया गया, जिससे दोनों गंभीर रूप से घायल हो गए। इसके बाद व्यापारियों ने विरोध में बाजार बंद कर दिया, और शहर में तनाव को नियंत्रित करने के लिए आठ थानों की पुलिस तैनात की गई।

घटना की शुरुआत गुरुवार शाम को तब हुई, जब कुछ युवक तीज का चौक की सब्जी मंडी में नींबू खरीदने पहुंचे। एक दुकानदार, सत्यवीर, के साथ उनकी कीमत को लेकर बहस हो गई। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, यह बहस इतनी बढ़ गई कि युवकों ने दुकानदार पर तलवार और लाठी से हमला कर दिया। सत्यवीर और उनके बेटे को गंभीर चोटें आईं, और उन्हें तुरंत उदयपुर के एमबी अस्पताल में भर्ती कराया गया। अस्पताल सूत्रों के अनुसार, दोनों की हालत स्थिर है, लेकिन सत्यवीर को गहरे घावों के कारण विशेष निगरानी में रखा गया है।

हमलावरों ने इसके बाद आसपास के ठेलों पर पथराव किया और कुछ ठेलों को आग के हवाले कर दिया, जिससे मंडी में अफरा-तफरी मच गई। सीसीटीवी फुटेज में 8-10 नकाबपोश युवकों को तलवारें और लाठियां लिए हमला करते और फिर भागते हुए देखा गया। इस घटना ने स्थानीय लोगों में आक्रोश पैदा कर दिया, और बड़ी संख्या में लोग घटनास्थल पर जमा हो गए।

घटना की खबर फैलते ही हिंदू संगठनों और स्थानीय व्यापारियों ने विरोध शुरू कर दिया। शुक्रवार सुबह, धानमंडी और तीज का चौक सहित शहर के प्रमुख बाजारों को बंद कर दिया गया। व्यापारियों ने आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी और मंडी में सुरक्षा बढ़ाने की मांग की। कुछ व्यापारियों ने सुबह अपनी दुकानें खोली थीं, लेकिन बंद समर्थकों ने उन्हें बंद करा दिया। इस बंद का असर धानमंडी, तीज का चौक, और आसपास के संवेदनशील इलाकों में देखा गया।

स्थानीय लोगों और संगठनों ने उदयपुर में बढ़ते अपराधों पर चिंता जताई और पुलिस प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की। भाजपा और कांग्रेस के जनप्रतिनिधि भी मौके पर पहुंचे और घटना की निंदा करते हुए शांति की अपील की।

पुलिस की कार्रवाई और तैनाती

घटना की सूचना मिलते ही धानमंडी थाना पुलिस तुरंत हरकत में आई। उदयपुर के पुलिस अधीक्षक (एसपी) योगेश गोयल सहित आठ थानों का पुलिस बल मौके पर पहुंचा। स्थिति को नियंत्रित करने के लिए अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया गया, और पूरे क्षेत्र को छावनी में तब्दील कर दिया गया। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर हमलावरों की पहचान शुरू कर दी है। एक आरोपी को हिरासत में लिया गया है, और उससे पूछताछ जारी है।

एसपी योगेश गोयल ने कहा, "मामला आपसी कहासुनी से शुरू होकर हिंसा तक पहुंचा। हमने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है, और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार किया जाएगा। मंडी में सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत किया जाएगा।

इस घटना ने दो समुदायों के बीच तनाव को बढ़ा दिया। कुछ सोशल मीडिया पोस्ट्स में इसे धार्मिक रंग देने की कोशिश की गई, जिससे माहौल और गरमा गया। उदयपुर प्रशासन ने लोगों से शांति बनाए रखने और अफवाहों पर ध्यान न देने की अपील की है। जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल ने कहा, "हम सभी से अनुरोध करते हैं कि वे शांति बनाए रखें। पुलिस मामले की गहन जांच कर रही है, और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।"

उदयपुर में पहले भी छोटी-छोटी घटनाओं ने सांप्रदायिक तनाव का रूप लिया है। 2022 में कन्हैयालाल हत्याकांड और 2024 में स्कूली छात्रों के बीच चाकूबाजी की घटना ने शहर को सुर्खियों में ला दिया था। धानमंडी और तीज का चौक जैसे क्षेत्र संवेदनशील माने जाते हैं, और यहां छोटे विवाद भी जल्दी तूल पकड़ लेते हैं। इस बार नींबू जैसे रोजमर्रा के सामान ने हिंसा को जन्म दिया, जो शहर की सामाजिक संवेदनशीलता को दर्शाता है।

उदयपुर की यह घटना एक बार फिर यह सवाल उठाती है कि छोटे-छोटे विवाद इतनी जल्दी हिंसक रूप क्यों ले लेते हैं। नींबू की कीमत पर शुरू हुआ यह विवाद न केवल दो परिवारों के लिए दुखद साबित हुआ, बल्कि पूरे शहर को तनाव में डाल गया। पुलिस और प्रशासन की त्वरित कार्रवाई ने स्थिति को नियंत्रित किया, लेकिन यह घटना सामुदायिक सौहार्द और सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल छोड़ गई। व्यापारियों का बाजार बंद और भारी पुलिस तैनाती इस बात का संकेत है कि उदयपुर में अभी शांति की राह आसान नहीं है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ