दौसा विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक रामायण कि लक्ष्मण रेखा

विश्व आदिवासी दिवस के दिन जगमोहन मीणा और किरोड़ी लाल मीणा ने राम लक्ष्मण के बहाने से राजनीतिक संदेश दिया, अब दौसा की दावेदारी में कितने चेहरे है और अब राजनीति रामायण में किसका वनवास समाप्त होगा।

Aug 26, 2024 - 21:36
Aug 26, 2024 - 21:59
दौसा विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक रामायण कि लक्ष्मण रेखा
दौसा विधानसभा उपचुनाव में राजनीतिक रामायण कि लक्ष्मण रेखा

दौसा उप चुनाव : दौसा, सवाई माधोपुर, करौली धौलपुर आदि पूर्वी जिलों में डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा का अच्छा खासा प्रभाव है। 2023 के विधानसभा चुनाव में बाबा को सवाई माधोपुर से चुनावी मैदान में उतारा जाता है। उसके बाद पांच वर्ष तक जितना संघर्ष ज़मीन पर किया था उतना बड़ा रेड कार्पेट बाबा के भाग्य में नहीं आता है। 

      बाबा लोकसभा चुनाव में घोषणा करते है कि अमुक अमुक सीट की जिम्मेदारी मुझे सौंपी गई थी और अगर इन सीट पर अगर बीजेपी हार जाती है तो मैं मंत्री पद को ठोकर मार दूंगा। बाबा उस पद से इस्तीफा दे देते है और उसका मंजूर होना न होना सब घटनाक्रम निरंतर चलते रहते है। 

      फिलहाल 9 अगस्त को विश्व आदिवास दिवस के आयोजन की समस्त जिम्मेदारी किरोड़ी लाल के भाई जगमोहन मीणा को सौंपी जाती है। जगमोहन मीणा कार्यक्रम में शामिल होने के लिए चावल बांटने के बहाने पूरे दौसा क्षेत्र में जनता के बीच में घूमते हैं। 

    इसके बाद आदिवासी दिवस समारोह में जगमोहन मीणा कहते है कि "दशरथ के परिवार में जो लक्ष्मण की भूमिका थी उस भूमिका का निर्वहन करने का मैंने पूरा प्रयास किया है। मैं आपको यह बता दूं कि मैं मेरी सीमा पार करने का कई बार प्रयास कर चुका हूं लेकिन राम रूपी भाई हर वक्त आदर्श पर रहा है जब भी मैंने गलत कदम उठाने का प्रयास किया उसने मेरी बांह पकड़ ली और कहा नहीं जाएगा। (भावुक होते हुए) 

इसी कार्यक्रम में डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा अपने परिवार को समृद्ध बताते हुए आरक्षण में वर्गीकरण का समर्थन करते हुए कहते है कि "भजन लाल जी ने घोषणा कि है न पैनोरमा की वो पैनोरमा यहां पर बनाएंगे कि किस किस महापुरुष ने क्या क्या किया मैंने तो कुछ नहीं किया..... मैं मेरे भाई की भी पूरे पचास वर्ष सहायता न कर सका इसके लिए मुझे जीवन भर पछतावा रहेगा। आपको पता है जब लक्ष्मण ने लक्ष्मण रेखा खींच दी थी और सीता को कह दिया था इस रेखा को मत लांघना ऐसे ही मेरे भाई मेरी रेखा को नहीं लांघ रहे लेकिन मेरे को डर लगता है जैसे विलाप सुन कर सीता लक्ष्मण रेखा को लांघ गई थी कहीं वैसा हो गया तो क्या होगा"

    इसके बाद पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी से दौसा प्रत्याशी रहे शंकर लाल शर्मा एक मीडिया चैनल पर कहते है कि "दौसा जनरल की सीट है जनरल हारे या जीते यह यह कोई बड़ी बात नहीं है अगर आप जनरल की सीटों को इस तरह बांट देंगे तो फिर जनरल कहां जाएगा। ST प्रत्याशी को हमारे इधर के कुछ जादूगर के बाप है वो अपना अपना दांव खेल रहे है। .... किरोड़ी लाल मीणा जब राजपा में थे तब हम जीत गए अब जब वो बीजेपी में आए तो हम आठ MLA हार गए। इसके लोकसभा में कमान संभाली तो हम रिकॉर्ड मतों से दौसा चुनाव हार गए।"

     दौसा उपचुनाव में किरोड़ी लाल मीणा बीजेपी से अपने भाई को प्रत्याशी बनाने के इच्छुक है। उन्होंने संकेतों से साफ़ जाहिर कर दिया है कि अगर बीजेपी लोकसभा के बाद अब अगर विधानसभा उपचुनाव में उनकी नहीं सुनती है तो उनका भाई अब लक्ष्मण रेखा को लांघ सकता है।

     इसके बाद जगमोहन मीणा एक साक्षात्कार में सचिन पायलट की तारीफ भी कर रहे थे। अभी तक कयास लगाया जा रहा था कि जगमोहन मीणा को राज्यसभा भेज कर बीजेपी बाबा को शांत कर सकती है परंतु ऐसा नहीं हो पाया। बीजेपी परिवारवाद की विरोधी दल रहा है ऐसे में किरोड़ी लाल, पत्नी गोलमा देवी,उनके भतीजे राजेंद्र मीणा के बाद भाई जगमोहन मीणा के लिए टिकट लाना आसान काम नहीं है। 

      पूर्वी राजस्थान में डॉक्टर किरोड़ी लाल मीणा एक बड़े जनाधार वाले नेता है। बीजेपी को उपचुनाव जीतने के लिए बाबा को सम्मानपूर्वक मनाना भी एक चुनौती से कम नहीं होगा। शंकर लाल शर्मा वसुंधरा राजे खेमे के नेता हैं ऐसे में अगर उनकी नाराजगी रहती है तो उनका बगावती तेवर भी दिखाई दे सकता है। अब इस टिकट की दौड़ में कौन बाजी मार लेता है यह देखना बड़ा दि

लचस्प होगा।