भारतीय वायुसेना का 93वां स्थापना दिवस: ब्रह्मपुत्र नदी पर भव्य एयर शो, 75 विमानों ने चमत्कार दिखाया
भारतीय वायुसेना ने 93वें स्थापना दिवस पर गुवाहाटी के लचित घाट पर ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर 75 विमानों का भव्य एयर शो किया, जिसमें राफेल, सुखोई और तेजस ने 25 से अधिक फॉर्मेशन बनाए।
9 नवंबर 2025: भारतीय वायुसेना (IAF) ने आज अपने 93वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में नॉर्दर्न एयर कमांड के मुख्यालय गुवाहाटी में एक शानदार एयर शो का आयोजन किया। यह आयोजन ब्रह्मपुत्र नदी के ऊपर स्थित ऐतिहासिक लचित घाट पर किया गया, जहां वायुसेना के बहादुर योद्धाओं ने आकाश में 25 से अधिक जटिल फॉर्मेशन बनाकर दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। राफेल, सुखोई और स्वदेशी तेजस जैसे अत्याधुनिक लड़ाकू विमानों समेत कुल 75 से अधिक विमान और हेलीकॉप्टरों ने इस फ्लाइंग डिस्प्ले में हिस्सा लिया, जो न केवल वायुसेना की ताकत का प्रतीक था, बल्कि देश की रक्षा क्षमता और तकनीकी उन्नति का भी जीवंत प्रदर्शन था।
आयोजन का महत्व और पृष्ठभूमि; भारतीय वायुसेना की स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को ब्रिटिश शासनकाल में 'रॉयल इंडियन एयर फोर्स' के रूप में हुई थी। आजादी के बाद 1950 में इसे 'इंडियन एयर फोर्स' नाम दिया गया। 93 वर्षों में वायुसेना ने न केवल युद्धों में अपनी वीरता का लोहा मनवाया है, बल्कि शांति स्थापना, आपदा राहत और सीमा सुरक्षा में भी अग्रणी भूमिका निभाई है। इस वर्ष का स्थापना दिवस विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान के तहत स्वदेशी हथियार प्रणालियों पर जोर देता है। नॉर्दर्न एयर कमांड, जो पूर्वोत्तर क्षेत्र की हवाई सुरक्षा का दायित्व संभालता है, ने गुवाहाटी में पहली बार इतने बड़े पैमाने पर एयर शो का आयोजन किया। यह आयोजन ब्रह्मपुत्र नदी के प्राकृतिक सौंदर्य के बीच किया गया, जो क्षेत्रीय एकता और सांस्कृतिक विरासत को भी रेखांकित करता है। लचित घाट, जो अहोम राजा लचित बोरफुकन की स्मृति से जुड़ा है, इस आयोजन के लिए एक प्रतीकात्मक स्थान साबित हुआ, जहां नदी की विशालता और आकाश की ऊंचाई का संगम दर्शकों को रोमांचित करने वाला था।
फ्लाइंग डिस्प्ले की झलक: 25 फॉर्मेशन का कमाल एयर शो का मुख्य आकर्षण 25 से अधिक फॉर्मेशन थे, जो वायुसेना के पायलटों की सटीकता, समन्वय और साहस का प्रमाण थे। ये फॉर्मेशन न केवल सैन्य दक्षता दिखाते थे, बल्कि रचनात्मकता से भरपूर थे—जैसे 'डायमंड नाइन', 'आर्गस', 'विजय' और 'आकाश गंगा'। प्रत्येक फॉर्मेशन में विमानों की गति, ऊंचाई और दिशा का ऐसा संतुलन था कि दर्शक सांस थामे देखते रह गए।
राफेल का जलवा: फ्रांस से आयातित मल्टीरोल राफेल फाइटर जेट्स ने अपनी सुपरसोनिक स्पीड और एरियल मैन्यूवर से सबको प्रभावित किया। इन विमानों ने 'कोबरा मैन्यूवर' जैसी जटिल चालें दिखाईं, जो दुश्मन के रडार को चकमा देने की क्षमता दर्शाती हैं। राफेल की भागीदारी ने भारत की आधुनिक हवाई शक्ति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मजबूत करने का संदेश दिया।
सुखोई का दम: रूसी मूल के सुखोई Su-30 MKI ने भारी भरकम फॉर्मेशन में हिस्सा लिया। इनकी ट्विन-इंजन पावर और लंबी दूरी की मारक क्षमता ने आकाश में 'बूमरैंग' फॉर्मेशन बनाया, जो सीमा पर तैनाती की याद दिलाता है। सुखोई के पायलटों ने कम ऊंचाई पर उड़ान भरकर नदी के ऊपर 'वेव' पैटर्न बनाया, जो दर्शकों के बीच तालियों की बौछार कर गया।
तेजस का स्वदेशी गौरव: हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) द्वारा विकसित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस ने स्वदेशी तकनीक का लोहा मनवाया। तेजस ने 'ट्रायंगुलर' और 'स्टार' फॉर्मेशन में हिस्सा लिया, जो इसकी चपलता और इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर क्षमता को उजागर करता है। यह फॉर्मेशन 'आत्मनिर्भर भारत' के संकल्प को साकार करते हुए युवा पायलटों की ऊर्जा से चमके।
इसके अलावा, मिग-29, जागुआर और विभिन्न हेलीकॉप्टर जैसे चेतक, ध्रुव और अपाचे ने सपोर्ट रोल निभाया। कुल 75 विमानों का यह डिस्प्ले लगभग 45 मिनट चला, जिसमें पैराशूट जंपिंग और स्लॉटेड एरियल डिस्प्ले भी शामिल थे। वायुसेना के स्क्वाड्रन लीडर्स ने बताया कि ये फॉर्मेशन महीनों की कड़ी ट्रेनिंग का परिणाम हैं, जो युद्धकुशलता को बढ़ाने के लिए डिजाइन किए गए हैं।
दर्शकों और विशेष अतिथियों की प्रतिक्रिया; एयर शो में हजारों की संख्या में स्थानीय निवासी, स्कूली बच्चे, पूर्व सैनिक और पर्यटक शामिल हुए। ब्रह्मपुत्र नदी के किनारे बने दर्शक मंच पर असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे। उन्होंने कहा, "यह एयर शो न केवल वायुसेना की शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि पूर्वोत्तर के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है। ब्रह्मपुत्र पर उड़ते राफेल और तेजस हमें देश की अखंडता की याद दिलाते हैं।" वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ने एक वीडियो संदेश में योद्धाओं को बधाई दी और कहा, "93 वर्षों की यात्रा में हमने आकाश को अपना किला बनाया है। आने वाले वर्षों में स्वदेशीकरण पर जोर देकर हम विश्व की सबसे मजबूत वायुसेनाओं में शुमार होंगे।"स्कूलों के बच्चों ने विशेष रूप से तेजस को देखकर उत्साह दिखाया, जबकि पूर्व सैनिकों ने सुखोई की उड़ान को 1965 और 1971 युद्धों की याद दिलाने वाला बताया। आयोजन के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम थे, जिसमें ड्रोन निगरानी और स्थानीय पुलिस की तैनाती शामिल थी। पर्यावरण की दृष्टि से भी यह शो कम प्रभाव वाला रखा गया, जिसमें न्यूनतम ईंधन खपत पर ध्यान दिया गया।
भविष्य की योजनाएं और संदेश; यह एयर शो वायुसेना की 'ट्रांसफॉर्मेशन प्लान 2047' का हिस्सा है, जिसमें अगले दशक में 114 नए लड़ाकू विमान और ड्रोन स्वीप शामिल हैं। पूर्वोत्तर क्षेत्र में चीन और म्यांमार सीमाओं पर बढ़ते खतरे के बीच यह आयोजन सामरिक महत्व का भी था। वायुसेना ने दर्शकों से अपील की कि वे भर्ती प्रक्रियाओं में भाग लें और राष्ट्र सेवा का संकल्प लें।