हंसी का राजा सतीश शाह अब हमसे जुदा 74 साल की उम्र में किडनी फेलियर ने छीन लिया 'इंदू जी' को!
: दिग्गज अभिनेता सतीश शाह (74) का 25 अक्टूबर 2025 को मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में किडनी फेलियर से निधन हो गया। 'साराभाई वर्सेस साराभाई' के 'इंदू जी' और 'जाने भी दो यारों' जैसे क्लासिक्स में अपने हास्य के लिए मशहूर सतीश ने 100+ फिल्मों और टीवी शोज में अमिट छाप छोड़ी। अंतिम संस्कार 26 अक्टूबर को होगा। बॉलीवुड में शोक की लहर, फैंस और सितारे श्रद्धांजलि दे रहे हैं।
मुंबई: भारतीय टेलीविजन और बॉलीवुड की दुनिया में हंसी के अथाह स्रोत, दिग्गज अभिनेता सतीश शाह का शनिवार दोपहर 2:30 बजे मुंबई के हिंदुजा अस्पताल में निधन हो गया। 74 वर्षीय सतीश शाह लंबे समय से किडनी संबंधी गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे, और अंततः किडनी फेलियर ने उनकी सांसें थाम लीं। उनके निधन की खबर ने पूरे मनोरंजन जगत में शोक की गहरी लहर दौड़ा दी है। अभी हाल ही में विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे के निधन से उबर ही रहा था बॉलीवुड, कि इस दुखद घटना ने सबको स्तब्ध कर दिया।सतीश शाह के मैनेजर ने इंडिया टुडे/आज तक को दिए बयान में इस दुखद खबर की आधिकारिक पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि सतीश जी का पार्थिव शरीर फिलहाल अस्पताल में ही रखा गया है, और उनका अंतिम संस्कार रविवार (26 अक्टूबर) को किया जाएगा। फिल्म निर्माता अशोक पंडित ने सोशल मीडिया पर शोक संदेश साझा करते हुए लिखा, "दुख और हताशा के साथ आपको बताना पड़ रहा है कि हमारे प्रिय मित्र और शानदार अभिनेता सतीश शाह का कुछ घंटे पहले किडनी फेलियर के कारण निधन हो गया।" अशोक पंडित ने सतीश शाह को एक दोस्त और सहकर्मी के रूप में याद करते हुए उनकी सादगी और हास्य प्रतिभा की तारीफ की।
सतीश शाह: एक नजर में जीवन यात्रा
सतीश शाह का जन्म 25 जून 1951 को मुंबई के एक गुजराती ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में उनकी रुचि अभिनय से ज्यादा क्रिकेट और बेसबॉल जैसे खेलों में थी। वे स्कूल स्तर पर इन खेलों में माहिर थे और इसी वजह से काफी लोकप्रिय भी रहे। लेकिन किस्मत ने उन्हें मनोरंजन की दुनिया की ओर खींचा। उन्होंने मुंबई के सेंट जेवियर कॉलेज से ग्रेजुएशन किया और फिर पुणे के प्रतिष्ठित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (FTII) से अभिनय की औपचारिक ट्रेनिंग ली। 1972 में उन्होंने डिजाइनर मधु शाह से विवाह किया, जो उनकी जीवनसंगिनि बनी रहीं। दुर्भाग्य से, सतीश जी के निधन के समय उनकी पत्नी मधु की मानसिक स्थिति भी ठीक नहीं बताई जा रही है, और उन्हें इस दुख की खबर तक नहीं दी गई है।सतीश शाह का करियर सात दशकों से ज्यादा लंबा रहा। उन्होंने 1970 के दशक में थिएटर से शुरुआत की और धीरे-धीरे सिल्वर स्क्रीन व स्मॉल स्क्रीन पर छा गए। 1983 में आई क्लासिक फिल्म 'जाने भी दो यारों' में उनके किरदार 'कमिश्नर डी'मेलो' ने उन्हें पहली बड़ी पहचान दिलाई। इस सत्य सिनेमा की मास्टरपीस में उनका व्यंग्यात्मक अंदाज आज भी याद किया जाता है। लेकिन सच्ची शोहरत उन्हें टेलीविजन से मिली। 2004-2006 में प्रसारित सिटकॉम 'साराभाई वर्सेस साराभाई' में इंद्रवदन साराभाई (प्यार से 'इंदू जी') के रोल ने उन्हें घर-घर का चेहरा बना दिया। अमिताभ बच्चन से लेकर रत्ना पाठक शाह तक के साथ यह शो मिडिल क्लास बनाम एलीट क्लास के हास्य पर आधारित था, और सतीश जी की टाइमिंग ने इसे अमर बना दिया। 2017 में इसकी सीक्वल 'साराभाई वर्सेस साराभाई: टु द पावर ऑफ 2' में भी वे लौटे।
यादगार भूमिकाएं: हास्य के इन 'जेम्स'
सतीश शाह ने 100 से ज्यादा फिल्मों और अनगिनत टीवी शोज में काम किया। कुछ चुनिंदा भूमिकाएं जो उनके फैंस के दिलों में बसी हैं:
मैं हूं ना (2004): शाहरुख खान के साथ कॉमिक रोल में उनका 'प्रिंसिपल' का किरदार आज भी हंसाता है।
कुछ कुछ होता है (1998): करण जौहर की इस रोमांटिक ड्रामा में सपोर्टिंग रोल।
ये जो है जिंदगी (1984): टीवी पर कॉमेडी का दौर शुरू करने वाला शो, जहां उनकी शुरुआती चमक दिखी।
बेटा (1992): अनिल कपूर के साथ फैमिली ड्रामा में इमोशनल टच।
हंसते हैं रुलाते भी हैं (1999): विवेक ओबेरॉय के साथ हल्के-फुल्के हास्य में।
चुप चुप के (2001): ओम पुरी के साथ सटायरिकल रोल।
टीवी पर 'फिल्मिस्तान', 'ये जो है जिंदगी' और 'साराभाई' सीरीज के अलावा वे 'कहीं तो होगा', 'चिड़िया घर' जैसे शोज में भी नजर आए। 2015 में FTII की सोसाइटी मेंबर बनाए जाने पर उन्होंने संस्थान को समर्पित किया। उनकी एक्टिंग स्टाइल सरल, व्यंग्यपूर्ण और रिलेटेबल थी, जो मिडिल क्लास भारतीय परिवारों को आईना दिखाती थी।
इंडस्ट्री में शोक की बाढ़: सितारों के संदेश
सतीश शाह के निधन पर बॉलीवुड और टीवी स्टार्स ने सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलि दी। 'साराभाई' को-स्टार सुमीत व्यास ने दुख जताते हुए कहा, "इंदू जी अब हमेशा के लिए चले गए। उनकी हंसी कभी नहीं मिटेगी।" रत्ना पाठक शाह ने पुरानी यादें साझा कीं, जबकि विवेक ओबेरॉय ने उन्हें "हास्य का बादशाह" कहा। अशोक पंडित के अलावा, कई सेलेब्स ने प्रार्थना की अपील की। फैंस भी सोशल मीडिया पर #RIPSatishShah ट्रेंड कर रहे हैं, जहां 'इंदू जी' के डायलॉग्स शेयर हो रहे हैं।सतीश शाह का जाना न सिर्फ एक अभिनेता का, बल्कि हास्य की एक पूरी पीढ़ी का अंत है। वे हमें सिखाते थे कि जिंदगी की परेशानियों को हंसकर झेलना चाहिए। उनके बिना टीवी स्क्रीन फीकी लगेगी, लेकिन उनकी विरासत हमेशा जिंदा रहेगी।