'प्लॉट जैसे कोडवर्ड' की आड़ में मासूमों की सौदेबाजी: पुलिस ने तोड़ा मानव तस्करी का काला जाल.
गाजियाबाद में पुलिस ने एक खौफनाक मानव तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया, जो 'प्लॉट' जैसे कोडवर्ड की आड़ में मासूम नवजातों की सौदेबाजी करता था। चार घंटे की ताबड़तोड़ कार्रवाई में एक बच्चे को बचा लिया गया और चार शातिरों को धर दबोचा। गोरे बच्चों को ढाई लाख तक में बेचने वाला यह गिरोह अब पुलिस की गिरफ्त में है, और इसके तार उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर से नेपाल तक जुड़े हैं।

गाजियाबाद के थाना ट्रोनिका सिटी क्षेत्र में पुलिस ने एक सनसनीखेज मानव तस्करी रैकेट का पर्दाफाश किया है, जो नवजात शिशुओं को 'प्लॉट' जैसे कोडवर्ड का इस्तेमाल कर बेचने का घिनौना धंधा चला रहा था। इस रैकेट के तार गाजियाबाद से लेकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और नेपाल तक फैले हुए थे। पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें दो पुरुष और दो महिलाएं शामिल हैं। साथ ही, एक अपहृत नवजात शिशु को महज चार घंटे में बरामद कर उसके माता-पिता को सौंप दिया गया।
गिरोह का संचालन और कोडवर्ड 'प्लॉट'
एसीपी सिद्धार्थ गौतम के अनुसार, गिरोह के सदस्य नवजात शिशुओं को 'प्लॉट' कोडवर्ड से संदर्भित करते थे। जब किसी बच्चे की तस्वीर व्हाट्सएप पर भेजी जाती थी, तो उसे 'नया प्लॉट आया है' कहकर पेश किया जाता था। इसके बाद बच्चे की त्वचा का रंग, लिंग और उम्र के आधार पर उसकी कीमत तय की जाती थी। गोरे रंग के बच्चों की मांग अधिक होने के कारण उनकी कीमत डेढ़ से ढाई लाख रुपये तक होती थी, जबकि सांवले बच्चों को कम कीमत पर बेचा जाता था। कुछ मामलों में गोरे बच्चों की कीमत 5 लाख रुपये तक पहुंच जाती थी।
गिरफ्तार आरोपियों
पुलिस ने इस मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया है:
नावेद (प्रेमनगर, लोनी)
अफसर अली उर्फ अल्फाज (पूजा कॉलोनी, ट्रोनिका सिटी)
स्वाति उर्फ साइस्ता (डंगडूगरा, शामली)
संध्या (अंकित विहार, मुजफ्फरनगर)
संध्या और स्वाति मैरिज ब्यूरो चलाती थीं, जिनका उपयोग बच्चों की तस्करी के लिए कवर के रूप में किया जाता था। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे गरीब परिवारों से बच्चों को बहला-फुसलाकर या चोरी करके ले जाते थे और फिर उन्हें निःसंतान दंपतियों को बेच देते थे।
कैसे हुआ खुलासा?
ट्रोनिका सिटी के पूजा कॉलोनी में एक साल के बच्चे, फारिस, का अपहरण हुआ था। बच्चे के पिता राशिद ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज की जांच की और लोनी तिराहा के पास प्रेमनगर से बच्चे को बरामद कर लिया। सीसीटीवी में दिखे एक युवक के आधार पर पुलिस ने चार आरोपियों को खड़खड़ी स्टेशन, लोनी के पास से गिरफ्तार किया। पूछताछ में पता चला कि गिरोह बच्चे को मुरादाबाद में 1.5 लाख रुपये में बेचने की योजना बना रहा था।
गिरोह का नेटवर्क और आपराधिक तरीका
गिरोह का नेटवर्क अत्यंत संगठित था। इसमें निजी अस्पतालों के डॉक्टर, नर्सें, आशा वर्कर और मैरिज ब्यूरो संचालक शामिल थे। ये लोग व्हाट्सएप के जरिए बच्चों की तस्वीरें और प्रोफाइल भेजकर सौदे तय करते थे। लड़कों की कीमत 2 से 6 लाख रुपये और लड़कियों की कीमत 50 हजार से 1 लाख रुपये तक थी। पुलिस ने आरोपियों के मोबाइल से कई आपत्तिजनक चैट बरामद किए हैं, जिनमें बच्चों की बिक्री और कीमत पर चर्चा दर्ज है।
पुलिस की कार्रवाई और भविष्य की योजना
ट्रोनिका सिटी पुलिस ने बीएनएस की धारा 143(4) (तस्करी) के तहत एफआईआर दर्ज की है और अन्य धाराएं जोड़ने पर विचार कर रही है। पुलिस अब इस रैकेट के पूरे नेटवर्क को खंगाल रही है, जिसमें दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और नेपाल में फैले अन्य सदस्यों की तलाश की जा रही है। गिरोह से जुड़े अन्य डॉक्टरों, नर्सों और दलालों को भी चिह्नित करने का प्रयास जारी है।
सामाजिक चेतावनी
यह मामला समाज के लिए एक गंभीर चेतावनी है। नवजात शिशुओं की तस्करी जैसे जघन्य अपराध न केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती हैं, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों पर भी सवाल उठाते हैं। पुलिस ने लोगों से अपील की है कि वे संदिग्ध गतिविधियों की तुरंत सूचना दें ताकि ऐसे अपराधों पर अंकुश लगाया जा सके।