दिल्ली ब्लास्ट और बम अलर्ट के बाद फरीदाबाद में सतर्कता: नूंह से अल-फलाह यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिशियन समेत 2 गिरफ्तार, आतंकी फंडिंग का आरोप
दिल्ली ब्लास्ट के बाद फरीदाबाद में चेकिंग के दौरान नूंह से अल-फलाह यूनिवर्सिटी के इलेक्ट्रिशियन शोएब सहित दो लोग गिरफ्तार, आतंकी फंडिंग का आरोप; डॉ उमर नबी व डॉ मुजम्मिल से जुड़े 200 लोग रडार पर, नूंह के दो नेताओं के नाम भी सामने आए।
फरीदाबाद/नूंह, 16 नवंबर 2025: दिल्ली में हाल ही में हुए ब्लास्ट और बम अलर्ट की घटनाओं ने सुरक्षा एजेंसियों को हाई अलर्ट पर ला दिया है। इस सिलसिले में हरियाणा के फरीदाबाद जिले में व्यापक चेकिंग अभियान चलाया जा रहा है, जिसमें संदिग्ध तत्वों पर नजर रखी जा रही है। रविवार को नूंह शहर की हयात कॉलोनी से पुलिस ने दो व्यक्तियों को हिरासत में लिया, जो कथित तौर पर आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग प्रदान करने के आरोप में फंसे हैं। इनमें से एक अल-फलाह यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिशियन के रूप में कार्यरत है। जांच के दौरान नूंह के दो स्थानीय नेताओं के नाम भी सामने आए हैं, जिससे मामला और जटिल हो गया है।
घटनाक्रम की शुरुआत: दिल्ली ब्लास्ट का कनेक्शन दिल्ली में पिछले सप्ताह हुए एक संदिग्ध ब्लास्ट ने पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में दहशत पैदा कर दी। इसके बाद विभिन्न स्थानों पर बम अलर्ट प्राप्त होने से सुरक्षा बलों ने सघन तलाशी अभियान शुरू कर दिया। फरीदाबाद, जो दिल्ली से सटा हुआ जिला है, इस जांच का प्रमुख केंद्र बन गया। सूत्रों के अनुसार, ब्लास्ट की जांच में कुछ संदिग्ध लिंक हरियाणा के नूंह (पहले मेहंद्रगढ़ के नाम से जाना जाता) जिले की ओर इशारा कर रहे थे। नूंह में अल-फलाह यूनिवर्सिटी एक प्रमुख इस्लामिक शिक्षा संस्थान है, जहां से कई संदिग्ध गतिविधियों के तार जुड़ते दिख रहे हैं।गिरफ्तारियां: रिजवान और शोएब पर आतंकी फंडिंग का शकरविवार दोपहर को नूंह शहर की हयात कॉलोनी में विशेष सूचना के आधार पर हरियाणा पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की संयुक्त टीम ने छापेमारी की। इस दौरान दो व्यक्तियों—रिजवान और शोएब—को हिरासत में ले लिया गया। पूछताछ में खुलासा हुआ कि शोएब अल-फलाह यूनिवर्सिटी में इलेक्ट्रिशियन के पद पर तैनात है, जबकि रिजवान उसके सहयोगी के रूप में सक्रिय था। दोनों पर आतंकी संगठनों को आर्थिक सहायता पहुंचाने का गंभीर आरोप है। पुलिस के अनुसार, इनके पास से कुछ दस्तावेज और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए गए, जो फंड ट्रांसफर के नेटवर्क से जुड़े हो सकते हैं।सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि ये गिरफ्तारियां दिल्ली ब्लास्ट की साजिश से जुड़ी हो सकती हैं। प्रारंभिक जांच में पाया गया कि दोनों आरोपी नूंह के स्थानीय नेटवर्क का हिस्सा थे, जो छोटे-छोटे दान और चैरिटी के नाम पर आतंकी फंडिंग का काम कर रहे थे। शोएब की यूनिवर्सिटी में नौकरी ने उसे आसानी से संपर्क बनाने में मदद की, जहां वह छात्रों और स्टाफ के बीच सक्रिय था। रिजवान, जो कॉलोनी का निवासी है, लॉजिस्टिक सपोर्ट प्रदान करने का काम करता था।
रडार पर 200 लोग: डॉ. उमर नबी और डॉ. मुज्जमिल का कनेक्शन गिरफ्तारियों के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी से जुड़े डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल के नाम प्रमुखता से सामने आए हैं। ये दोनों यूनिवर्सिटी के वरिष्ठ अधिकारी या संबद्ध व्यक्ति हैं, जिनके माध्यम से एक बड़ा नेटवर्क संचालित हो रहा था। सूत्रों के मुताबिक, इन दोनों से जुड़े लगभग 200 लोग—जिनमें छात्र, पूर्व छात्र, स्थानीय निवासी और कुछ धार्मिक संगठनों के सदस्य शामिल हैं—अब एजेंसियों की रडार पर हैं। इनकी गतिविधियों पर निगरानी रखी जा रही है, और कई को पूछताछ के लिए बुलाया जा सकता है।डॉ. उमर नबी को यूनिवर्सिटी के प्रशासनिक विभाग से जोड़ा जा रहा है, जबकि डॉ. मुजम्मिल शैक्षणिक और सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहे हैं। जांच एजेंसियां मान रही हैं कि ये नेटवर्क विदेशी फंडिंग के जरिए संचालित हो रहा था, जो जियोपॉलिटिकल तनाव वाले क्षेत्रों से जुड़ा है। हालांकि, दोनों डॉक्टरों ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है, और यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इसे 'बदनामी का प्रयास' बताते हुए सहयोग का आश्वासन दिया है।
नूंह के नेताओं का नाम: राजनीतिक कोण उभर रहा जांच के दौरान नूंह के दो स्थानीय नेताओं के नाम भी सामने आए हैं, जिन्हें अब पूछताछ के दायरे में लाया जा सकता है। इन नेताओं का संबंध क्षेत्रीय राजनीतिक दलों से बताया जा रहा है, और संदेह है कि वे सामुदायिक कार्यों के बहाने फंडिंग चैनल का इस्तेमाल कर रहे थे। पुलिस ने इनके फोन रिकॉर्ड और बैंक ट्रांजेक्शन की जांच शुरू कर दी है। यह खुलासा क्षेत्र में सांप्रदायिक तनाव को बढ़ा सकता है, इसलिए प्रशासन ने शांति बनाए रखने के लिए अतिरिक्त फोर्स तैनात की है।सुरक्षा एजेंसियों की कार्रवाई और आगे की जांचदिल्ली पुलिस, हरियाणा STF (स्पेशल टास्क फोर्स) और केंद्रीय एजेंसियों जैसे NIA (नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी) की टीमें संयुक्त रूप से इस मामले की जांच कर रही हैं। फरीदाबाद में चेकिंग अभियान के तहत स्कूलों, कॉलेजों, मस्जिदों और बाजारों में सघन तलाशी ली जा रही है। बम डिस्पोजल स्क्वायड और डॉग स्क्वायड को भी अलर्ट पर रखा गया है।एजेंसी सूत्रों के अनुसार, यह गिरोह लंबे समय से सक्रिय था और छोटे स्तर पर फंड कलेक्शन के जरिए बड़े हमलों की साजिश रच रहा था। गिरफ्तार दोनों आरोपियों से पूछताछ जारी है, और जल्द ही और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। दिल्ली ब्लास्ट का मुख्य आरोपी अभी फरार है, लेकिन नूंह कनेक्शन से नया मोड़ मिला है।
प्रभाव और प्रतिक्रियाएं;
इस घटना ने नूंह और फरीदाबाद के निवासियों में चिंता की लहर पैदा कर दी है। अल-फलाह यूनिवर्सिटी के छात्रों ने सोशल मीडिया पर सफाई दी कि संस्थान शांति और शिक्षा का केंद्र है, और कुछ व्यक्तियों की गतिविधियां पूरे समुदाय को बदनाम न करें। राजनीतिक दलों ने भी बयान जारी कर जांच का समर्थन किया है, लेकिन कुछ ने इसे 'राजनीतिक साजिश' करार दिया।