भरतपुर: सारस चौराहे पर डिवाइडर कट बंद होने से आमजन परेशान, वकील ने राज्य सरकार, कलेक्टर और NHAI के खिलाफ दायर किया मुकदमा

भरतपुर के सारस चौराहे पर डिवाइडर कट बंद होने से आमजन परेशान; वकील जोगेंद्र सिंह ने सरकार, कलेक्टर और NHAI के खिलाफ सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया, बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल, 3 किमी रॉन्ग साइड चलना पड़ रहा है।,

Nov 10, 2025 - 14:45
भरतपुर: सारस चौराहे पर डिवाइडर कट बंद होने से आमजन परेशान, वकील ने राज्य सरकार, कलेक्टर और NHAI के खिलाफ दायर किया मुकदमा

 राजस्थान के भरतपुर शहर में यातायात व्यवस्था को सुगम बनाने के नाम पर की गई एक कार्रवाई अब स्थानीय निवासियों के लिए मुसीबत बन गई है। राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (NHAI) द्वारा सारस चौराहे पर स्थित डिवाइडर कट को अचानक बंद करने के फैसले के खिलाफ स्थानीय वकील जोगेंद्र सिंह सिनसिनवार ने सिविल कोर्ट में राज्य सरकार, जिला कलेक्टर और NHAI दोसा के खिलाफ मुकदमा दायर कर दिया है। वकील का दावा है कि इस कदम से आमजन को भारी परेशानी हो रही है, खासकर बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो गया है, और इससे दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है।

मुकदमे का आधार: यातायात में बाधा और सुरक्षा जोखिम वकील जोगेंद्र सिंह सिनसिनवार, जो विजयनगर कॉलोनी के निवासी हैं, ने अपनी याचिका में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि डिवाइडर कट बंद होने से आसपास के इलाकों में रहने वाले लोगों को शहर के मुख्य हिस्से तक पहुंचने के लिए अनावश्यक रूप से 3 किलोमीटर लंबा 'रॉन्ग साइड' (गलत दिशा) का सफर तय करना पड़ रहा है। यह न केवल समय की बर्बादी है, बल्कि वाहन चालकों के लिए खतरनाक भी साबित हो रहा है। सिनसिनवार ने कोर्ट में कहा, "यह फैसला बिना किसी वैकल्पिक व्यवस्था के लिया गया है, जिससे स्थानीय निवासियों का दैनिक जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।"विशेष रूप से, उन्होंने बच्चों की सुरक्षा पर जोर दिया। सारस चौराहा भरतपुर के एक व्यस्त इलाके में स्थित है, जहां कई स्कूल और शैक्षणिक संस्थान हैं। डिवाइडर कट बंद होने से स्कूल जाने वाले बच्चों को लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है, जो सुबह के व्यस्त समय में जोखिम भरा है। "बच्चों को स्कूल पहुंचाने के लिए माता-पिता को अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ रही है, जिससे थकान और दुर्घटना का खतरा बढ़ गया है। सरकारी फैसला आमजन की सुविधा के बजाय और अधिक समस्याएं पैदा कर रहा है," याचिका में उल्लेख किया गया है।

घटना का पृष्ठभूमि: NHAI का फैसला और स्थानीय विरोध सारस चौराहे पर डिवाइडर कट को बंद करने का फैसला NHAI ने हाल ही में लिया था, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय राजमार्ग पर ट्रैफिक को नियंत्रित करना और दुर्घटनाओं को कम करना बताया गया। लेकिन स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कदम बिना किसी पूर्व सूचना या वैकल्पिक रास्ते के लागू किया गया, जिससे इलाके के हजारों निवासी प्रभावित हुए हैं। विजयनगर कॉलोनी, जो चौराहे के निकट है, के अलावा आसपास के कई मोहल्लों जैसे कृष्ण विहार, सुभाष नगर आदि के लोग भी इस समस्या से जूझ रहे हैं।स्थानीय निवासियों के अनुसार, पहले डिवाइडर कट के माध्यम से वे सीधे शहर के बाजार, स्कूलों और सरकारी कार्यालयों तक पहुंच सकते थे। अब उन्हें चौराहे से दूर जाकर यू-टर्न लेना पड़ता है, जो न केवल ईंधन की बर्बादी है बल्कि प्रदूषण और ट्रैफिक जाम को भी बढ़ावा दे रहा है। एक स्थानीय निवासी ने बताया, "मेरे बच्चे का स्कूल महज 2 किलोमीटर दूर है, लेकिन अब 5 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। सुबह-शाम का ट्रैफिक देखते ही डर लगता है।"

कानूनी कार्रवाई: सिविल कोर्ट में दावा सिनसिनवार ने सिविल कोर्ट, भरतपुर में दावा दायर करते हुए राज्य सरकार के परिवहन विभाग, जिला कलेक्टर और NHAI दोसा को पक्षकार बनाया है। याचिका में मांग की गई है कि डिवाइडर कट को तत्काल बहाल किया जाए या कम से कम वैकल्पिक व्यवस्था जैसे फ्लाईओवर या अतिरिक्त कट की सुविधा प्रदान की जाए। वकील ने कोर्ट से गुहार लगाई है कि इस मुद्दे पर तुरंत सुनवाई हो, क्योंकि यह आमजन के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।कोर्ट में पेश हुई याचिका के अनुसार, "डिवाइडर कट बंद करने से न केवल दैनिक जीवन प्रभावित हो रहा है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। छोटे व्यापारी और दैनिक यात्री सबसे अधिक पीड़ित हैं।" सिनसिनवार ने यह भी कहा कि यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हो सकते हैं।

स्थानीय प्रतिक्रियाएं और संभावित प्रभाव इस मुकदमे की खबर फैलते ही स्थानीय स्तर पर चर्चा का विषय बन गया है। कई सामाजिक संगठनों और निवासी कल्याण समितियों ने वकील के इस कदम का समर्थन किया है। एक स्थानीय एनजीओ के प्रतिनिधि ने कहा, "सरकार को विकास के नाम पर सुविधाओं को छीनने का हक नहीं। यह मुकदमा अन्य शहरों के लिए भी उदाहरण बनेगा।" वहीं, NHAI के अधिकारियों ने अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है, लेकिन स्रोतों के अनुसार, वे कोर्ट की सुनवाई का इंतजार कर रहे हैं।विशेषज्ञों का मानना है कि यदि कोर्ट डिवाइडर कट बहाल करने का आदेश देता है, तो यह NHAI की योजनाओं पर असर डाल सकता है। भरतपुर जैसे मध्यम आकार के शहरों में ट्रैफिक प्रबंधन एक बड़ी चुनौती है, और ऐसे फैसलों को लेने से पहले स्थानीय फीडबैक जरूरी होता है। फिलहाल, स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि न्याय मिलेगा और उनकी परेशानी का अंत होगा।