भाई-बहनों ने एक-दूसरे को बचाने में गंवाई जान 4 बच्चों की एनीकट में डूबने से मौत, गांव में मातम .....
उदयपुर के लक्ष्मणपुरा एनीकट में एक हृदयविदारक हादसे ने चार मासूमों की जिंदगी छीन ली। तीन सगे भाई-बहन—मनोहर (6), कोमल (8), पायल (10)—और उनकी पड़ोसन सुमन (16) बकरियां चराने गए थे। नहाने के दौरान एक बच्चा गहरे पानी में फंस गया। भाई-बहनों ने एक-दूसरे को बचाने की कोशिश में जान गंवा दी। गांव में मातम, प्रशासन ने सहायता का वादा किया।
उदयपुर, 25 अक्टूबर 2025: राजस्थान के उदयपुर जिले से एक ऐसी त्रासदी जो हर किसी के दिल को चीर देगी। एक-दूसरे को बचाने के जज्बे में चार मासूम बच्चे एनीकट के गहरे पानी में डूब गए। इनमें तीन सगे भाई-बहन शामिल हैं—एक लड़का और दो लड़कियां—जिनकी उम्र महज 6 से 10 साल के बीच थी। चौथा बच्चा उनकी पड़ोसन था, जो परिवार की तरह ही जुड़ा हुआ था। यह हादसा शनिवार दोपहर डबोक थाना क्षेत्र के भमरासिया घाटी काकरनाड़ा स्थित लक्ष्मणपुरा एनीकट पर हुआ, जहां बारिश के बाद पानी का स्तर अचानक बढ़ गया था। कालबेलिया समुदाय के इन बच्चों की मौत ने न सिर्फ उनके परिवारों को तोड़ दिया, बल्कि पूरे इलाके में शोक की लहर दौड़ा दी है।
क्या थी घटना की पूरी कहानी?
डबोक थानाधिकारी हुकुम सिंह ने बताया कि मृतकों में मनोहर (6 वर्ष) पुत्र राजू कालबेलिया, उनकी बड़ी बहन कोमल (8 वर्ष) पुत्री राजू कालबेलिया, सबसे बड़ी बहन पायल (10 वर्ष) पुत्री राजू कालबेलिया और पड़ोस की सुमन (16 वर्ष) पुत्री केशू कालबेलिया शामिल हैं। ये सभी बच्चे कालबेलिया समुदाय से ताल्लुक रखते थे और गरीबी में भी खुशहाल जीवन जी रहे थे। शनिवार दोपहर करीब 2 बजे, परिवार के मुखिया राजू और केशू ने बच्चों को घर की बकरियों को चराने और शाम तक वापस लाने का जिम्मा सौंपा। चारों बच्चे हंसते-खेलते निकल पड़े—मनोहर सबसे छोटा, कोमल और पायल उसके सगे भाई-बहन, जबकि सुमन बड़ी बहन की तरह उनकी देखभाल करने वाली।एनीकट तक पहुंचते ही गर्मी से तरबतर बच्चे पानी में नहाने का लालच न रोक सके। एनीकट का पानी बारिश के कारण उफान पर था, लेकिन ऊपरी सतह शांत दिख रही थी। सबसे पहले मनोहर ने उत्साह से पानी में छलांग लगाई, लेकिन अचानक उसका पैर फिसल गया और वह गहरे हिस्से में चला गया। छोटी उम्र का मनोहर तैरना नहीं जानता था, वह छटपटाने लगा। कोमल और पायल ने भाई को बचाने के लिए झपट्टा मारा, लेकिन वे भी गहराई में फंस गईं। सुमन, जो सबसे बड़ी थी, ने तीनों को बचाने की पूरी कोशिश की—वह चिल्लाई, हाथ बढ़ाए, लेकिन पानी की तेज धारा ने सबको लील लिया।एएसआई मुकेश खटीक ने विस्तार से बताया, "बच्चों के डूबने के दौरान वे जोर-जोर से चीखे-चिल्लाए, लेकिन आसपास जंगल होने से कोई सुन न सका। करीब आधे घंटे बाद एक राहगीर वहां पहुंचा, जिसने दूर से चारों को छटपटाते देखा। उसने तुरंत डबोक थाने को सूचना दी।" पुलिस और सिविल डिफेंस की टीम मौके पर पहुंची तो पानी में सन्नाटा पसर चुका था। घंटों की मशक्कत के बाद चारों शव बाहर निकाले गए। शवों को एमबी अस्पताल की मोर्चरी में रखा गया, जहां पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंपा जाएगा।
परिवारों पर टूटा पहाड़ सा दुख, गांव में मातम का माहौल
इस हादसे से प्रभावित दो परिवार पूरी तरह बिखर चुके हैं। राजू कालबेलिया, जो मजदूरी कर परिवार चलाते हैं, ने बताया, "मेरे तीन बच्चे एक साथ चले गए। वे बकरियां चराने गए थे, लेकिन मौत ने उन्हें निगल लिया। मनोहर तो अभी खेलना सीख ही रहा था..." उनकी आवाज रुक जाती है, आंसू थमने का नाम नहीं लेते। सुमन की मां का रो-रोकर बुरा हाल है—वह कहती हैं, "बेटी ने पड़ोस के छोटे भाई-बहनों को बचाने की कोशिश की, लेकिन किस्मत ने साथ न दिया। अब घर सूना हो गया।" गांव के कालबेलिया समुदाय में सन्नाटा छा गया है। पड़ोसी और रिश्तेदार लगातार पहुंच रहे हैं, ढांढस बांध रहे हैं, लेकिन दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा।
प्रशासन की तत्परता और सहायता का वादा
वल्लभनगर तहसीलदार सुरेंद्र छीपा ने घटनास्थल का दौरा किया और प्रभावित परिवारों से मुलाकात की। उन्होंने कहा, "यह बेहद दुखद घटना है। मृतक बच्चों के आश्रितों को सरकारी आर्थिक सहायता का पूरा प्रयास किया जाएगा। इसके अलावा, जिला प्रशासन से बात कर अतिरिक्त मदद सुनिश्चित करेंगे।" डबोक थाना पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक जांच में एनीकट के आसपास सुरक्षा के अभाव को वजह बताया जा रहा है—कोई चेतावनी बोर्ड या रेलिंग नहीं थी। स्थानीय लोग मांग कर रहे हैं कि ऐसे खतरनाक स्थलों पर तत्काल सुरक्षा उपाय किए जाएं, ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदी न हो।
सबक और सावधानियां: बच्चों की सुरक्षा पहले
यह हादसा एक कड़वा सबक देता है कि ग्रामीण इलाकों में बरसाती पानी वाले एनीकट, तालाब या खदानों के आसपास बच्चों को अकेले न भेजा जाए। विशेषज्ञों का कहना है कि नहाने से पहले पानी की गहराई जांचें, तैराकी सिखाएं और हमेशा साथी रखें। उदयपुर जिले में इस साल डूबने की ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं, जो जल संरक्षण के साथ-साथ सुरक्षा की याद दिलाती हैं।इस दर्दनाक घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि मासूमों का बचपन कितना नाजुक होता है। भाई-बहनों का आपसी प्रेम, जो मौत के मुंह में भी न डिगा ,लेकिन अब जरूरत है ऐसी त्रासदियों को रोकने के ठोस कदमों की।