बाड़मेर: पुलिस कस्टडी में युवक से बेरहमी से मारपीट, SC-ST कोर्ट ने ASI सहित पांच पुलिसकर्मियों के खिलाफ केस दर्ज करने के दिए आदेश
बाड़मेर की SC-ST कोर्ट ने गडरारोड थाने के ASI चांदमल और चार कॉन्स्टेबलों—रमेश, कमलेश, बाबूलाल, गजेंद्र सिंह—के खिलाफ पुलिस कस्टडी में रमेश कुमार के साथ मारपीट के मामले में केस दर्ज करने के आदेश दिए। 17 मई 2025 को रमेश को गिरफ्तार किया गया,

बाड़मेर, 30 मई 2025: बाड़मेर की विशेष अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (SC-ST) अत्याचार निवारण कोर्ट ने पुलिस कस्टडी में एक युवक के साथ मारपीट के गंभीर मामले में कड़ा रुख अपनाते हुए गडरारोड थाने के सहायक उपनिरीक्षक (ASI) चांदमल और चार अन्य कॉन्स्टेबलों—रमेश, कमलेश, बाबूलाल और गजेंद्र सिंह—के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश जारी किए हैं। विशेष न्यायाधीश डॉ. सरोज सीवर ने इस मामले को गंभीरता से लेते हुए संबंधित थानाधिकारी को जांच कर शीघ्र रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। इस मामले में परिवादी रमेश कुमार की ओर से अधिवक्ता कमाल खान ने पैरवी की।
मामले का विवरण: 17 मई की रात को हुई घटना
मामले के अनुसार, 17 मई 2025 को रात 7 बजे गडरा कस्बे के शिव सर्किल से ASI चांदमल और उनके स्टाफ ने परिवादी रमेश कुमार, पुत्र भालाराम, को गिरफ्तार किया। गिरफ्तारी के बाद रमेश को अस्पताल ले जाया गया, जहां प्रारंभिक मेडिकल जांच में उनके शरीर पर कोई चोट के निशान नहीं पाए गए। अगले दिन, 18 मई को, रमेश को गडरारोड के उप-विभागीय मजिस्ट्रेट (SDM) के समक्ष पेश किया गया, जहां उन्हें जमानत पर रिहा कर दिया गया और 6 महीने के लिए पाबंद किया गया।
परिवादी की शिकायत: पुलिस कस्टडी में मारपीट का आरोप
20 मई 2025 को रमेश कुमार ने बाड़मेर की SC-ST कोर्ट में शिकायत दर्ज कराई, जिसमें उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस कस्टडी में उनके साथ बेरहमी से मारपीट की गई। शिकायत में कहा गया कि मारपीट के कारण उनके मुंह, हाथ और कमर पर चोट के निशान हैं। कोर्ट के आदेश पर रमेश का दोबारा मेडिकल परीक्षण करवाया गया, जिसमें उनके शरीर पर चोट के निशान होने की पुष्टि हुई।
कोर्ट का कड़ा रुख: पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के आदेश
विशेष न्यायाधीश डॉ. सरोज सीवर ने मामले की सुनवाई के दौरान शिकायत को गंभीरता से लिया। प्रारंभिक मेडिकल जांच में चोट न पाए जाने और बाद में चोट के निशान मिलने के विरोधाभास को देखते हुए कोर्ट ने इसे पुलिस द्वारा संभावित अत्याचार का मामला माना। कोर्ट ने ASI चांदमल और कॉन्स्टेबल रमेश, कमलेश, बाबूलाल व गजेंद्र सिंह के खिलाफ मामला दर्ज करने के आदेश दिए। साथ ही, संबंधित थानाधिकारी को इस मामले की गहन जांच कर जल्द से जल्द कोर्ट में रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया गया।
अधिवक्ता कमाल खान की पैरवी
परिवादी रमेश कुमार की ओर से अधिवक्ता कमाल खान ने कोर्ट में प्रभावी पैरवी की। उन्होंने कोर्ट के समक्ष तर्क दिया कि पुलिस कस्टडी में रमेश के साथ अमानवीय व्यवहार किया गया, जो अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, 1989 के तहत गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। उनकी दलीलों और मेडिकल साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने त्वरित कार्रवाई का निर्णय लिया।
सामाजिक और कानूनी निहितार्थ
यह मामला पुलिस कस्टडी में होने वाले कथित अत्याचारों और विशेष रूप से अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय के लोगों के साथ दुर्व्यवहार के मुद्दों को फिर से उजागर करता है। SC-ST कोर्ट का यह फैसला पुलिस जवाबदेही को सुनिश्चित करने और कस्टडी में मानवाधिकार उल्लंघन को रोकने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। स्थानीय समुदाय और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के इस निर्णय की सराहना की है, इसे पीड़ितों के लिए न्याय की दिशा में एक सकारात्मक कदम बताया है।
आगे की जांच पर नजर
अब सभी की नजर इस मामले की जांच पर टिकी है। कोर्ट ने थानाधिकारी को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी हो। इस मामले में पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई और जांच की प्रगति को लेकर स्थानीय लोग और मीडिया सक्रिय रूप से निगरानी कर रहे हैं। यह मामला न केवल बाड़मेर बल्कि पूरे राजस्थान में पुलिस सुधारों और कस्टडी में पारदर्शिता के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण बन सकता है।