"बाड़मेर की टूटी सड़कें: 22 किलोमीटर की जर्जर राह, छह गांवों का दर्द और प्रशासन की उदासीनता"

बाड़मेर, राजस्थान में शिव से जुनेजों की बस्ती तक 22 किलोमीटर लंबी सड़क की हालत जर्जर है, जो शिव, हाथीसिंह की ढाणी, तालों का पार, गंगा सिंह की ढाणी, सरगिला और कौटड़ा जैसे छह गांवों को जोड़ती है। दो-दो फीट गहरे गड्ढों और उखड़ी सड़क के कारण वाहनों और राहगीरों को भारी परेशानी हो रही है।

Jun 4, 2025 - 13:46
"बाड़मेर की टूटी सड़कें: 22 किलोमीटर की जर्जर राह, छह गांवों का दर्द और प्रशासन की उदासीनता"
Ai photo

बाड़मेर, राजस्थान। रेगिस्तान की धरती बाड़मेर में विकास की राहें कितनी जर्जर हो सकती हैं, इसका जीता-जागता उदाहरण है शिव से जुनेजों की बस्ती तक की 22 किलोमीटर लंबी सड़क। यह सड़क, जो शिव, हाथीसिंह की ढाणी, तालों का पार, गंगा सिंह की ढाणी, सरगिला और कौटड़ा जैसे छह गांवों को जोड़ती है, आज अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। दो-दो फीट गहरे गड्ढों और उखड़ी सड़क ने इस क्षेत्र के निवासियों और राहगीरों की जिंदगी को मुश्किल बना दिया है। न तो प्रशासन इस ओर ध्यान दे रहा है और न ही जनप्रतिनिधियों ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है। यह सड़क, जो कभी इन गांवों की जीवनरेखा थी, अब हादसों को न्योता दे रही है।

सड़क की बदहाली: एक अनसुलझी कहानी

शिव से शुरू होकर जुनेजों की बस्ती तक जाने वाली यह सड़क कभी इन छह गांवों को बाड़मेर जिला मुख्यालय से जोड़ने का प्रमुख रास्ता थी। लेकिन पिछले कई वर्षों से इसकी मरम्मत पर ध्यान न देने के कारण यह पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, सड़क पर जगह-जगह गहरे गड्ढे और उखड़ी डामर की परत ने आवागमन को जोखिम भरा बना दिया है। खासकर बरसात के मौसम में स्थिति और बिगड़ जाती है, जब गड्ढों में पानी भर जाता है और सड़क कीचड़ से लथपथ हो जाती है।

हाथीसिंह की ढाणी के लोग बताते हैं, "हमारे लिए बाड़मेर जाना किसी जंग लड़ने से कम नहीं। साइकिल, मोटरसाइकिल या जीप, हर वाहन को इन गड्ढों में फंसने का डर रहता है। कई बार तो लोग गिरकर चोटिल हो चुके हैं।" तालों का पार की सरपंच कहती हैं, "हमने कई बार प्रशासन और स्थानीय नेताओं से इस सड़क को ठीक करने की गुहार लगाई, लेकिन हर बार हमें सिर्फ आश्वासन ही मिले।" 

छह गांवों का दर्द

यह सड़क छह गांवों—शिव, हाथीसिंह की ढाणी, तालों का पार, गंगा सिंह की ढाणी और कौटड़ा—के लिए जीवनरेखा है। इन गांवों के लोग रोजमर्रा की जरूरतों, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और बाजार के लिए बाड़मेर पर निर्भर हैं। लेकिन सड़क की खराब हालत ने उनकी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गंगा सिंह की ढाणी के बुजुर्ग कहते हैं, "बरसात में तो यह सड़क पूरी तरह बंद हो जाती है। मरीजों को अस्पताल ले जाना या बच्चों को स्कूल भेजना असंभव हो जाता है।" 

कौटड़ा के एक दुकानदार ने बताया कि सड़क की वजह से सामान लाने-ले जाने में लागत बढ़ गई है। "ट्रक वाले इस रास्ते से आने में डरते हैं, क्योंकि उनके वाहन खराब हो सकते हैं। इससे हमारा व्यापार भी प्रभावित हो रहा है," उन्होंने कहा। सरगिला की एक स्कूली बच्चों ने अपनी व्यथा साझा करते हुए कहा, "स्कूल जाने के लिए हमें रोज डर के साए में इस सड़क से गुजरना पड़ता है। कई बार साइकिल के टायर गड्ढों में फंस जाते हैं।"

प्रशासन और नेताओं की उदासीनता

स्थानीय लोगों का कहना है कि इस सड़क की मरम्मत के लिए कई बार जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से शिकायत की गई, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। एक स्थानीय कार्यकर्ता, ने कहा, "हर बार हमें बस यही जवाब मिलता है कि बजट नहीं है या प्रोजेक्ट विचाराधीन है। लेकिन यह सड़क पिछले कई सालों से ऐसी ही पड़ी है।" हाल ही में, कुछ ग्रामीणों ने सड़क की स्थिति को लेकर प्रदर्शन भी किया, लेकिन प्रशासन की ओर से कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। 

इस क्षेत्र से संबंधित जनप्रतिनिधियों पर भी ग्रामीणों ने उदासीनता का आरोप लगाया है। गंगा सिंह की ढाणी के स्थानीय निवासीयो का कहना हैं की, "चुनाव के वक्त नेता बड़े-बड़े वादे करते हैं, लेकिन बाद में कोई हमारी सुध लेने नहीं आता।" बाड़मेर में सड़कों की बदहाली कोई नई बात नहीं है। एक अन्य समाचार के अनुसार, चवा से बोड़वा जाने वाली सड़क भी 10 किलोमीटर तक जर्जर है, जिससे 10-15 पंचायतों का संपर्क प्रभावित हुआ है। 

हादसों का खतरा और आर्थिक नुकसान

जर्जर सड़क न केवल आवागमन को मुश्किल बना रही है, बल्कि हादसों का कारण भी बन रही है। हाल ही में, एक साइकिल सवार के सड़क के गड्ढे में गिरने से गंभीर चोटें आईं। स्थानीय लोगों का कहना है कि रात के समय गड्ढों का पता नहीं चलता, जिससे खतरा और बढ़ जाता है। इसके अलावा, वाहनों के बार-बार खराब होने से ग्रामीणों को आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ रहा है।