आसाराम बापू को फिर मिली 6 महीने की जमानत! 2 महीने बाद जेल से बाहर।

राजस्थान हाईकोर्ट ने नाबालिग रेप मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 86 वर्षीय आसाराम बापू को मेडिकल ग्राउंड पर 6 महीने की नियमित जमानत दी। जोधपुर डिवीजन बेंच ने स्वास्थ्य आधार पर यह राहत मंजूर की। वर्तमान अंतरिम जमानत दिसंबर तक है, इसलिए लगभग 2 महीने बाद वे पूरी तरह जेल से बाहर आ सकेंगे। सजा स्थगन पर विस्तृत आदेश जल्द आएगा।

Oct 29, 2025 - 13:33
आसाराम बापू को फिर मिली 6 महीने की जमानत! 2 महीने बाद जेल से बाहर।

जोधपुर, 29 अक्टूबर 2025: विवादास्पद धार्मिक संत आसाराम बापू को राजस्थान हाईकोर्ट से एक बार फिर बड़ी कानूनी राहत मिली है। नाबालिग से रेप के गंभीर मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे 86 वर्षीय आसाराम को स्वास्थ्य आधार पर 6 महीने की नियमित जमानत प्रदान कर दी गई है। यह फैसला जोधपुर हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सुनाया, जिसके बाद आसाराम की जमानत की शर्तें पूरी होने पर वह करीब दो महीने बाद जेल से बाहर आ सकेंगे। यह राहत उनके बिगड़ते स्वास्थ्य को देखते हुए दी गई है, लेकिन सजा स्थगन की याचिका पर विस्तृत आदेश जल्द जारी होने की उम्मीद है।

मामले की पृष्ठभूमि: एक काला अध्याय जो सदमे से भर गया था

आसाराम बापू पर 2013 में जोधपुर के मणाई आश्रम में एक नाबालिग लड़की के साथ बलात्कार करने का आरोप लगा था। पीड़िता, जो आश्रम में रहने वाली एक छात्रा थी, ने आरोप लगाया कि आसाराम ने 'चरित्र सुधार' के बहाने उसे अपने कक्ष में बुलाया और दुराचार किया। इस घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया था, क्योंकि आसाराम तब लाखों अनुयायियों वाले एक प्रमुख आध्यात्मिक गुरु के रूप में जाने जाते थे।जोधपुर की स्पेशल पॉक्सो कोर्ट ने 25 अप्रैल 2018 को आसाराम को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। कोर्ट ने इसे POCSO एक्ट के तहत अत्यंत गंभीर अपराध माना। इसके अलावा, गुजरात के मोटेरा आश्रम में एक महिला अनुयायी के साथ लंबे समय तक यौन शोषण के मामले में भी 31 जनवरी 2023 को अहमदाबाद की कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सजा दी थी। इन दोनों मामलों में आसाराम 2013 से ही जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं, जहां उन्होंने 12 वर्ष से अधिक समय बिताया है।

जमानत की लंबी कानूनी लड़ाई: सुप्रीम कोर्ट से हाईकोर्ट तक राहत की मांग

आसाराम की जमानत याचिकाएं लंबे समय से अदालतों में लंबित हैं। इस साल जनवरी में सुप्रीम कोर्ट ने स्वास्थ्य आधार पर उन्हें गुजरात मामले में 31 मार्च तक अंतरिम जमानत दी थी, लेकिन शर्तें सख्त थीं—वे अनुयायियों से न मिलें और सबूतों से छेड़छाड़ न करें। इसके बाद राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर मामले में भी अंतरिम जमानत को कई बार बढ़ाया—मार्च में 31 मार्च तक,अप्रैल में 1 जुलाई तक, जुलाई में 12 अगस्त और फिर 9 जुलाई तक।गुजरात हाईकोर्ट ने भी उनकी जमानत को तीन महीने, फिर एक महीने तक बढ़ाया था। इन अंतरिम राहतों के दौरान आसाराम को जोधपुर के भगत की कोठी स्थित आरोग्य चिकित्सा केंद्र और पाली रोड के एक निजी अस्पताल में भर्ती रखा गया। जनवरी में जमानत मिलने पर वे 11 साल 4 महीने बाद पहली बार जेल से बाहर आए थे, लेकिन सख्त सुरक्षा में। अब, नवीनतम फैसले में हाईकोर्ट ने उनकी नियमित जमानत याचिका को मंजूर कर लिया है, जो मेडिकल ग्राउंड पर आधारित है।

कोर्ट का फैसला: स्वास्थ्य को प्राथमिकता, लेकिन शर्तें कड़ी

जोधपुर हाईकोर्ट की कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव प्रकाश शर्मा और जस्टिस संगीता शर्मा की बेंच ने मंगलवार को दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। आसाराम के वकील ने उनकी उम्र (86 वर्ष), हृदय रोग, हार्ट अटैक का इतिहास और त्रिनाडी शूल जैसी पुरानी बीमारियों का हवाला दिया। उन्होंने तर्क दिया कि जेल में उचित इलाज संभव नहीं है। दूसरी ओर, अभियोजन पक्ष ने सजा की गंभीरता का जिक्र किया, लेकिन कोर्ट ने स्वास्थ्य को प्राथमिकता देते हुए 6 महीने की जमानत मंजूर की।

फैसले के अनुसार, जमानत की शर्तें पूरी होने पर आसाराम को जोधपुर सेंट्रल जेल से रिहा किया जाएगा। वर्तमान अंतरिम जमानत की अवधि दिसंबर 2025 तक है, इसलिए लगभग दो महीने बाद वे पूरी तरह बाहर आ सकेंगे। हालांकि, सजा स्थगन पर विस्तृत आदेश जल्द जारी होगा, और वे अनुयायियों से संपर्क न करने जैसी शर्तों का पालन करेंगे। कोर्ट ने पुलिस को सख्त सुरक्षा और निगरानी के निर्देश दिए हैं।

क्या होगा आगे? अनुयायियों में हर्ष, पीड़ित पक्ष में आक्रोश

इस फैसले के बाद आसाराम के समर्थकों में उत्साह की लहर है। जनवरी में जमानत पर रिहाई के समय पाल गांव के आश्रम के बाहर आतिशबाजी और स्वागत सत्कार हुआ था।  

 लेकिन पीड़ित पक्ष और महिला अधिकार संगठनों ने इसकी कड़ी निंदा की है। वे तर्क दे रहे हैं कि स्वास्थ्य का बहाना दोषियों को बार-बार राहत दे रहा है, जो न्याय प्रक्रिया को कमजोर करता है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही संकेत दिया था कि लगातार अंतरिम राहत पर रोक लग सकती है।  आसाराम की कानूनी टीम अब सजा स्थगन और स्थायी जमानत के लिए और मजबूत दलीलें तैयार कर रही है। नेशनल लीगल सर्विसेज अथॉरिटी (NALSA) से उनकी उम्र और टर्मिनल बीमारी का प्रमाण-पत्र भी लंबित है, जो आगे की सुनवाई में अहम हो सकता है। यह मामला न केवल आसाराम की किस्मत तय करेगा, बल्कि धार्मिक संस्थानों में यौन शोषण के खिलाफ न्याय की लड़ाई को भी नई दिशा दे सकता है।यह घटना एक बार फिर याद दिलाती है कि कानून सबके लिए बराबर है, लेकिन स्वास्थ्य जैसी मानवीय परिस्थितियां फैसलों को प्रभावित करती हैं।