निष्कासित नेताओं की वापसी की कोशिश नाकाम,एयरपोर्ट पर अमीन खान हुए नाराज कईयों को सुनाई खरी खोटी 

बाड़मेर में आयोजित जय हिंद सभा में निष्कासित नेताओं अमीन खान और मेवाराम जैन की पार्टी में वापसी को लेकर विवाद छिड़ गया। समर्थकों की भीड़ से बचने के लिए कांग्रेस के दिग्गज नेताओं ने रास्ता बदला, जिससे नाराजगी बढ़ी। गोविंद सिंह डोटासरा ने हस्तक्षेप किया, लेकिन हरीश चौधरी के सख्त रुख और अमीन खान की जिद से बातचीत बेनतीजा रही। सभा में अशोक गहलोत, सचिन पायलट, रणदीप सुरजेवाला जैसे नेता शामिल थे, लेकिन गुटबाजी ने कांग्रेस की एकता पर सवाल उठाए।

May 26, 2025 - 21:30
निष्कासित नेताओं की वापसी की कोशिश नाकाम,एयरपोर्ट पर अमीन खान हुए नाराज कईयों को सुनाई खरी खोटी 

बाड़मेर में सोमवार को आयोजित कांग्रेस की जय हिंद सभा चर्चा का केंद्र बन गई और चर्चा का कारण सभा में उठाए गए मुद्दों से ज्यादा निष्कासित नेताओं अमीन खान और मेवाराम जैन के समर्थकों का गुस्सा और पार्टी के भीतर की गुटबाजी रहा। इस सभा में कांग्रेस के दिग्गज नेताओ रणदीप सिंह सुरजेवाला सुखजिंदर सिंह रंधावा, पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट, प्रदेशाध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा, और टीकाराम जूली शामिल थे लेकिन सभा से इतर, अमीन खान और मेवाराम जैन की पार्टी में वापसी को लेकर छिड़ा विवाद सुर्खियों में रहा।

कांग्रेस से निष्कासित पूर्व विधायक अमीन खान और मेवाराम जैन के समर्थक अपनी ताकत दिखाने और नेताओं को पार्टी में वापस शामिल करवाने के लिए बड़ी संख्या में उतरलाई एयरबेस के पास ओवरब्रिज के पास पहुंचे। समर्थकों के हाथों में साफे और मालाएं थीं, और वे कांग्रेस के शीर्ष नेताओं से मुलाकात की उम्मीद में जुटे थे। इन नेताओं को लोकसभा चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते और चरित्रहीनता के आरोप पर निष्कासित किया गया था अब और अब उनकी वापसी की मांग जोर पकड़ रही थी। समर्थकों का इरादा शक्ति प्रदर्शन कर हाईकमान का ध्यान अपनी ओर खींचने का था। लेकिन उससे पहले कांग्रेस के बड़े नेताओं ने समर्थकों की इस भीड़ से मिलने से परहेज किया। नेताओं ने उतरलाई एयरपोर्ट से सभा स्थल तक जाने का प्रस्तावित रास्ता बदल दिया और दूसरे रूट से सभा स्थल पहुंचे। इस कदम से अमीन खान और मेवाराम जैन के समर्थकों में भारी नाराजगी फैल गई। समर्थकों ने इसे अपमान के तौर पर लिया और कुछ ने हरीश चौधरी के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे भी लगाए। सोशल मीडिया पर इस घटना ने तूल पकड़ा, और बाड़मेर में कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर चर्चा में आ गई। 

जैसे ही यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ और बाड़मेर में विवाद बढ़ता दिखा, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने तुरंत मेवाराम जैन को फोन किया। उन्होंने दोनों निष्कासित नेताओं को सभा के बाद उतरलाई एयरपोर्ट पर मुलाकात के लिए बुलाया। हालांकि, इस मुलाकात में भी नाटकीय मोड़ आया। अमीन खान ने साफ तौर पर कह दिया कि जब तक हरीश चौधरी वहां मौजूद हैं, वे कोई बातचीत नहीं करेंगे। इस जिद के चलते डोटासरा को कमरे से बाहर आकर अमीन खान से बात करनी पड़ी। लेकिन उनकी बातचीत से अमीन खान संतुष्ट नहीं हुए। सूत्रों के मुताबिक, डोटासरा ने दोनों नेताओं से कहा कि पहले स्थानीय स्तर पर सहमति बनाएं, उसके बाद ही उनकी घर वापसी पर विचार किया जाएगा। 

इस पूरे प्रकरण में बाड़मेर के प्रमुख कांग्रेस नेता और पूर्व राजस्व मंत्री हरीश चौधरी का रुख सबसे सख्त रहा। चौधरी ने स्पष्ट कर दिया कि वे अमीन खान और मेवाराम जैन को पार्टी में वापस लेने के पक्ष में नहीं हैं। । समर्थकों का आरोप है कि हरीश चौधरी ने नेताओं को सड़क मार्ग से स्वागत करने की अनुमति नहीं दी, जिसके चलते सभा स्थल तक पहुंचने का रास्ता बदला गया। कुछ समर्थकों ने इसे चौधरी की गुटबाजी और स्थानीय नेताओं को दबाने की कोशिश के तौर पर देखा।

कांग्रेस की गुटबाजी फिर उजागर

जय हिंद सभा, जो कांग्रेस की एकता और संगठनात्मक ताकत को प्रदर्शित करने के लिए आयोजित की गई थी, अंततः पार्टी के भीतर की गुटबाजी को उजागर करने का मंच बन गई। अमीन खान ने गुस्से में यहां तक कह दिया, “इस कांग्रेस में अब बड़े नेताओं ने हिटलर शाही की तरह काम कर रहे हैं ” जिसे वहां मौजूद नेताओं ने भी सुना। इस बयान ने पार्टी के लिए स्थिति को और जटिल कर दिया। हरीश चौधरी और निष्कासित नेताओं के बीच तनातनी ने बाड़मेर में कांग्रेस की एकजुटता पर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

कांग्रेस हाईकमान के सामने अब बाड़मेर में पार्टी को एकजुट करने की बड़ी चुनौती है। अमीन खान और मेवाराम जैन की वापसी का मुद्दा अभी अनसुलझा है, और हरीश चौधरी के सख्त रुख ने इस प्रक्रिया को और मुश्किल बना दिया है। डोटासरा के हस्तक्षेप के बावजूद, स्थानीय स्तर पर सहमति बनाना आसान नहीं होगा। इस घटना ने एक बार फिर साबित कर दिया कि राजस्थान कांग्रेस में गहलोत और पायलट खेमों के अलावा स्थानीय स्तर पर भी गुटबाजी अपनी जड़ें गहरी किए हुए है। बाड़मेर में यह विवाद आने वाले दिनों में और तूल पकड़ सकता है, खासकर तब जब 2028 के विधानसभा चुनाव नजदीक आएंगे।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ