विवेक कुमार अटल: पैरों से लिखी सफलता की प्रेरणादायक कहानी

विवेक कुमार अटल, राजस्थान के शाहपुरा जिले के गोविंदपुरा बासड़ी गाँव के एक छात्र, ने जन्म से दोनों हाथ न होने के बावजूद पैरों से लिखकर राजस्थान बोर्ड की 10वीं परीक्षा में 74.33% अंक हासिल किए। उनकी मेहनत, समर्पण और अटल इच्छाशक्ति ने उन्हें शिक्षा के क्षेत्र में एक प्रेरणादायक मिसाल बनाया। विवेक की इस उपलब्धि ने उनके गाँव, जिले और पूरे राजस्थान का नाम रोशन किया, जो हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।

May 30, 2025 - 10:22
विवेक कुमार अटल: पैरों से लिखी सफलता की प्रेरणादायक कहानी

राजस्थान के शाहपुरा जिले की ग्राम पंचायत गोविंदपुरा बासड़ी के एक छोटे से गाँव से एक ऐसी कहानी सामने आई है, जो हर किसी के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह कहानी है विवेक कुमार अटल की, जिन्होंने जन्म से दोनों हाथ न होने के बावजूद अपनी अटल इच्छाशक्ति और मेहनत के दम पर राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (RBSE) की 10वीं कक्षा की परीक्षा में 74.33% अंक हासिल कर एक मिसाल कायम की है।

शारीरिक कमी को बनाया ताकत

विवेक कुमार अटल का जन्म एक ऐसी चुनौती के साथ हुआ, जिसे देखकर कई लोग हिम्मत हार सकते थे। कुदरत ने उन्हें दोनों हाथ नहीं दिए, लेकिन विवेक ने इस कमी को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया। उन्होंने अपने पैरों को अपनी ताकत बनाया और उसी के सहारे पढ़ाई शुरू की। घंटों अभ्यास कर, पैरों से लिखने की कला को इस तरह निखारा कि वह न केवल स्कूल के नियमित कार्यों में हिस्सा ले सके, बल्कि बोर्ड परीक्षा जैसी कठिन चुनौती में भी उत्कृष्ट प्रदर्शन कर सके।

शिक्षा के प्रति अटल समर्पण

विवेक की इस उपलब्धि के पीछे उनका अटल समर्पण और अनुशासन है। उन्होंने न केवल स्कूल की पढ़ाई को पूरी लगन से पूरा किया, बल्कि घर पर भी नियमित रूप से अभ्यास किया। उनके शिक्षकों और परिवार का कहना है कि विवेक ने कभी अपनी शारीरिक स्थिति को बहाना नहीं बनाया। वह हमेशा समय पर स्कूल पहुंचते, कक्षा में ध्यान देते और अपने पैरों से नोट्स लिखकर पढ़ाई में अव्वल रहे। उनकी इस मेहनत का नतीजा 2025 की 10वीं बोर्ड परीक्षा में 74.33% अंकों के रूप में सामने आया।

प्रेरणा की मिसाल

विवेक की कहानी केवल एक छात्र की सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक ऐसी मिसाल है जो हमें सिखाती है कि सच्चा जुनून और मेहनत किसी भी बाधा को पार कर सकती है। राजस्थान बोर्ड की 10वीं परीक्षा में इस साल कुल 93.6% पास प्रतिशत रहा, जिसमें जयपुर की नव्या गुप्ता ने 99.67% अंकों के साथ टॉप किया। ऐसे में विवेक का 74.33% अंक हासिल करना, वह भी इतनी बड़ी शारीरिक चुनौती के साथ, उनके असाधारण संकल्प को दर्शाता है। उनके इस जज्बे ने न केवल उनके गाँव गोविंदपुरा बासड़ी, बल्कि पूरे शाहपुरा और राजस्थान का नाम रोशन किया है।

सामाजिक समर्थन और प्रोत्साहन

विवेक की इस उपलब्धि को सोशल मीडिया पर भी खूब सराहा जा रहा है। कई लोगों ने उनके हौसले को सलाम किया है। एक यूजर ने लिखा, "विवेक ने साबित कर दिया कि अगर हौसले बुलंद हों, तो मंजिल भी रास्ता देती है।" एक अन्य यूजर ने कहा, "दोनों हाथ न होने के बावजूद विवेक ने पैरों से लिखकर जो मुकाम हासिल किया, वह हर किसी के लिए प्रेरणा है।" उनके शिक्षकों और स्थानीय समुदाय ने भी उनकी इस उपलब्धि पर गर्व जताया है और उन्हें भविष्य में और ऊँचाइयों तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहित किया है।

भविष्य की ओर कदम

विवेक की इस सफलता ने उन्हें और अधिक मेहनत करने के लिए प्रेरित किया है। उनके शिक्षकों का कहना है कि वह भविष्य में उच्च शिक्षा प्राप्त करना चाहते हैं और अपने गाँव और समाज के लिए कुछ बड़ा करना चाहते हैं। उनकी यह उपलब्धि उन तमाम लोगों के लिए एक संदेश है जो अपनी परिस्थितियों को दोष देकर हार मान लेते हैं। विवेक ने दिखाया कि अगर मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं है।

विवेक कुमार अटल की कहानी एक ऐसी प्रेरक गाथा है, जो हमें सिखाती है कि जीवन की चुनौतियाँ हमें रोक नहीं सकतीं, अगर हममें हिम्मत और मेहनत का जज्बा हो। उनके पैरों से लिखे गए 74.33% अंक न केवल एक अकादमिक उपलब्धि हैं, बल्कि एक ऐसी मिसाल हैं जो हर किसी को अपने सपनों को पूरा करने के लिए प्रेरित करती है। विवेक का यह सफर न केवल उनके परिवार और गाँव के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ