उदयपुर के झाड़ोल में स्कूल वैनों पर पुलिस का सख्ती का छापा: लापरवाही से 7 बाल वाहिनियां जब्त, मौत का पुराना काला अध्याय फिर सामने
उदयपुर के झाड़ोल में स्कूल वैनों की लापरवाही पर पुलिस का सख्त अभियान; खुला फाटक छोड़ बच्चे कूदकर उतर रहे थे, 7 वाहिनियां जब्त, जिसमें एक वह भी जिसमें पहले बच्चे की मौत हुई थी।
माता-पिता का सबसे बड़ा भरोसा टूटने की कगार पर खड़ा हो गया है। उदयपुर जिले के झाड़ोल क्षेत्र में आज एक ऐसी घटना सामने आई, जो हर अभिभावक के दिल को दहला देने वाली है। स्कूलों के लिए चलाई जाने वाली बाल वाहिनियों (स्कूल वैनों) में घोर लापरवाही का खुलासा हुआ है। यहां की सड़कों पर बच्चों को लाने-ले जाने वाली इन वाहनों में सुरक्षा के न्यूनतम मानकों का भी पालन नहीं हो रहा। नतीजा? पुलिस ने विशेष अभियान चलाकर सात ऐसी बाल वाहिनियों को जब्त कर लिया। चौंकाने वाली बात यह है कि इनमें से एक वही वाहन शामिल है, जिसमें कुछ दिनों पहले उतरते समय एक मासूम बच्चे की दर्दनाक मौत हो गई थी।
घटना का दिल दहलाने वाला नजारा; झाड़ोल के व्यस्त बाजार क्षेत्र में आज दोपहर करीब 2 बजे पुलिस को एक स्कूल वैन के बारे में शिकायत मिली। मौके पर पहुंची टीम ने देखा कि एक बाल वाहिनी अनियंत्रित तरीके से चल रही थी। ड्राइवर न सिर्फ तेज गति से वाहन चला रहा था, बल्कि पीछे का फाटक पूरी तरह खुला छोड़ दिया था। इसमें सवार 20 से अधिक छोटे-छोटे बच्चे, उम्र महज 5 से 10 साल के बीच, खुद ही बस से कूदकर उतरने को मजबूर थे। सड़क पर ट्रैफिक के बीच ये मासूम बच्चे खतरे से खेलते हुए स्कूल की ओर बढ़ रहे थे। एक छोटी सी चूक—चाहे वह ड्राइवर की लापरवाही हो या फाटक का खुला रहना—और यह दृश्य किसी बड़ी त्रासदी का रूप ले सकता था।पुलिस ने तुरंत वाहन को रोका और चालक को हिरासत में ले लिया। चालक का नाम प्रकाश पटेल बताया जा रहा है, जो स्थानीय स्तर पर कई स्कूलों के लिए वाहन चलाता है। पूछताछ में उसने कबूल किया कि "समय की कमी के चलते फाटक बंद करना भूल गया था।" लेकिन यह बहाना किसी के गले नहीं उतरा। अभिभावकों ने मौके पर पहुंचकर हंगामा काट दिया। एक मां ने रोते हुए कहा, "हम अपने बच्चों को स्कूल भेजते हैं सीखने के लिए, न कि मौत के मुंह में। ये ड्राइवर जिंदगियां दांव पर लगा रहे हैं।
पुलिस का विशेष अभियान: 7 वाहन जब्त, एक पुरानी त्रासदी का जिक्र इस घटना के बाद झाड़ोल थाना प्रभारी इंस्पेक्टर के नेतृत्व में एक विशेष अभियान शुरू किया गया। टीम ने क्षेत्र के विभिन्न स्कूलों और रूट्स पर नजर रखी। परिणामस्वरूप, सात बाल वाहिनियां जब्त कर ली गईं। इनमें से अधिकांश वाहनों में सुरक्षा मानकों का उल्लंघन पाया गया—जैसे कि ओवरलोडिंग, फिटनेस सर्टिफिकेट की कमी, चालक के पास वैध लाइसेंस न होना, और सबसे बड़ी समस्या: पीछे के दरवाजे का लॉक न होना।सबसे चौंकाने वाली बात यह उजागर हुई कि जब्त वाहनों में एक वह बाल वाहिनी भी शामिल है, जिसमें पिछले महीने ही एक 7 वर्षीय बच्चे की मौत हो गई थी। वह हादसा भी उतरते समय ही हुआ था। बच्चा बस से कूदते हुए सड़क पर गिर गया और एक आने वाले वाहन के नीचे आ गया। उस घटना के बाद चालक के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था, लेकिन वाहन फिर से सड़क पर उतर आया। पुलिस ने बताया कि यह वाहन अब भी अटेंडेंट (सहायक) के बिना चलाया जा रहा था, जो नियमों के अनुसार अनिवार्य है। इंस्पेक्टर सिंह ने कहा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पुरानी गलतियां सुधरी नहीं। हम अब सख्त कार्रवाई करेंगे, जिसमें चालान के साथ-साथ स्कूल प्रबंधनों पर भी जुर्माना लगेगा।
क्यों हो रही है ऐसी लापरवाही? सबकी की राय शिक्षा विभाग और ट्रैफिक के अनुसार, राजस्थान में स्कूल वैनों की समस्या पुरानी है। राज्य में करीब 50 हजार से अधिक बाल वाहिनियां संचालित हैं, लेकिन 70 प्रतिशत से ज्यादा इनमें सुरक्षा उपकरणों की कमी है। मुख्य कारण:ओवरलोडिंग: एक वैन में 15 की क्षमता के बावजूद 25-30 बच्चे ठूंस दिए जाते हैं।,अटेंडेंट की कमी: अधिकांश वाहनों में सहायक नहीं होता, जिससे उतरने-चढ़ने के समय खतरा बढ़ जाता है।,पुराने वाहन: कई वैनें 15-20 साल पुरानी हैं, जिनका रखरखाव नहीं होता।,अभिभावकों का दबाव: सस्ते किराए के चक्कर में वे लाइसेंसेड सेवाओं की बजाय अनियमित वाहनों पर निर्भर हो जाते हैं।एक ट्रैफिक विशेषज्ञ ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, "झाड़ोल जैसा ग्रामीण क्षेत्र होने से निगरानी कमजोर है। लेकिन आज की कार्रवाई एक उदाहरण है। अगर समय रहते सुधार न हुए, तो बड़े हादसे नुकसानदेह होंगे।"
अभिभावकों का आक्रोश और प्रशासन का वादा; घटना के बाद सैकड़ों अभिभावक स्कूलों के बाहर इकट्ठा हो गए। उन्होंने मांग की कि सभी बाल वाहिनियों का सत्यापन हो और लापरवाह चालकों को कड़ी सजा दी जाए। जिला कलेक्टर ने भी बयान जारी कर कहा, "बच्चों की सुरक्षा प्राथमिकता है। हम शिक्षा विभाग के साथ मिलकर पूरे जिले में ऐसा ही अभियान चलाएंगे। जब्त वाहनों को रिलीज करने से पहले सभी मानकों का पालन अनिवार्य होगा।
आगे की राह: सुरक्षा के लिए क्या कदम? इस घटना ने एक बार फिर स्कूल वैन नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। विशेषज्ञ सुझाव दे रहे हैं:हर वाहन में जीपीएस और सीसीटीवी अनिवार्य।अटेंडेंट की भर्ती और प्रशिक्षण।अभिभावकों के लिए जागरूकता कैंप।नियमित चेकिंग और भारी जुर्माना।