कोटा: 9 साल पुराने पारिवारिक विवाद में समधी पर जानलेवा हमले के दोषी को 10 साल की सख्त सजा, रोडवेज बस ड्राइवर ने मैकेनिक को बस से मारी टक्कर
कोटा में 9 साल पुराने पारिवारिक विवाद के चलते रोडवेज बस ड्राइवर महिपाल प्रसाद जांगिड़ ने अपने समधी व रोडवेज मैकेनिक ओमप्रकाश को बस से टक्कर मारकर गंभीर रूप से घायल कर दिया था। कोर्ट ने आरोपी को हत्या के प्रयास का दोषी ठहराते हुए 10 साल कठोर कारावास और 26 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
कोटा, 17 नवंबर 2025: राजस्थान के कोटा शहर में एक सनसनीखेज पारिवारिक विवाद ने करीब 9 साल बाद न्याय के द्वार खटखटाए। एक रोडवेज बस ड्राइवर ने अपनी बहू के पिता, जो खुद रोडवेज के मैकेनिक थे, पर अपनी ही बस से जानलेवा टक्कर मार दी थी। इस घटना के बाद लंबी कानूनी लड़ाई के अंत में सोमवार को कोर्ट ने आरोपी को 10 साल की कठोर कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही आरोपी पर 26 हजार रुपये का भारी जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला कोटा की एक स्थानीय अदालत ने सुनाया, जो इस तरह के पारिवारिक कलह से उपजे हिंसक मामलों में एक मिसाल कायम करने वाला है।
घटना की पूरी पृष्ठभूमि: पारिवारिक रिश्तों में आई दरार यह घटना वर्ष 2016 की है, जब कोटा के दुर्गा नगर इलाके में रहने वाले महिपाल प्रसाद जांगिड़ (तत्कालीन उम्र: 43 वर्ष, वर्तमान उम्र: 52 वर्ष) और उनके समधी ओमप्रकाश (तत्कालीन उम्र: लगभग 50 वर्ष) के बीच पारिवारिक विवाद चरम पर पहुंच गया था। महिपाल जांगिड़ कोटा रोडवेज डिपो में बस ड्राइवर के पद पर तैनात थे, जबकि ओमप्रकाश उसी डिपो में मैकेनिक के रूप में कार्यरत थे। दोनों के बीच रिश्ता समधी-ससुर का था, जो एक शादी के बंधन से जुड़ा हुआ था।मामला महिपाल के बेटे नरेंद्र जांगिड़ और ओमप्रकाश की बेटी दीप्ति के विवाह से जुड़ा है। दीप्ति और नरेंद्र की शादी 2010 के आसपास हुई थी, लेकिन शादी के कुछ वर्षों बाद ही दोनों परिवारों के बीच विवाद शुरू हो गया। सूत्रों के अनुसार, विवाद की जड़ में दहेज, पारिवारिक जिम्मेदारियों और रोजमर्रा की छोटी-मोटी बातें थीं। धीरे-धीरे यह विवाद इतना बढ़ गया कि रिश्ते पूरी तरह टूट गए। ओमप्रकाश का परिवार आरोप लगाता था कि महिपाल का परिवार लगातार उत्पीड़न कर रहा था, जबकि महिपाल पक्ष इसे पारिवारिक मतभेद बताता था।9 सितंबर 2016 को यह विवाद हिंसक रूप ले लिया। कोटा के कुन्हाड़ी क्षेत्र में, जहां महिपाल दुर्गा नगर नाता कुन्हाड़ी का निवासी है, ओमप्रकाश अपने दैनिक कार्यों में व्यस्त थे। अचानक महिपाल अपनी रोडवेज बस (नंबर उपलब्ध नहीं) लेकर वहां पहुंचे और गुस्से में आकर ओमप्रकाश को निशाना बनाया। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, महिपाल ने बस को तेज रफ्तार से ओमप्रकाश की ओर मोड़ा और उन्हें जोरदार टक्कर मार दी। ओमप्रकाश सड़क पर गिर पड़े और उन्हें गंभीर चोटें आईं।
पीड़ित की हालत: जान पर बनी लूटी टक्कर मारने के बाद ओमप्रकाश को तुरंत कोटा के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। चिकित्सकों की रिपोर्ट के मुताबिक, उन्हें पसलियों में फ्रैक्चर, हाथ-पैरों में गंभीर चोटें और आंतरिक रक्तस्राव की समस्या हुई। उनकी जान खतरे में पड़ गई थी, और कई दिनों तक वे वेंटिलेटर पर रहे। डॉक्टरों ने बताया कि अगर तुरंत इलाज न मिला होता, तो स्थिति और बिगड़ सकती थी। इस घटना ने न केवल ओमप्रकाश के परिवार को सदमे में डाल दिया, बल्कि पूरे रोडवेज डिपो में हड़कंप मचा दिया। ओमप्रकाश को लंबे समय तक इलाज के लिए अस्पताल में रखना पड़ा, और उनकी आर्थिक स्थिति भी प्रभावित हुई।घटना की सूचना मिलते ही पुलिस ने महिपाल को गिरफ्तार कर लिया। प्रारंभिक जांच में यह साफ हो गया कि यह सुनियोजित हमला था, जो पारिवारिक विवाद से प्रेरित था। ओमप्रकाश ने FIR दर्ज कराई, जिसमें महिपाल पर हत्या के प्रयास का आरोप लगाया गया। पुलिस ने सबूत इकट्ठा किए, जिसमें प्रत्यक्षदर्शियों के बयान, मेडिकल रिपोर्ट और बस के ब्लैक बॉक्स डेटा शामिल थे।
लंबी कानूनी जंग: 9 साल की प्रतीक्षा का अंत मामला कोटा की स्थानीय अदालत में पहुंचा, जहां सुनवाई की प्रक्रिया शुरू हुई। आरोपी महिपाल प्रसाद जांगिड़ ने अपना अपराध नकारा और इसे दुर्घटना बताने की कोशिश की, लेकिन सबूतों के सामने उनकी दलीलें कमजोर पड़ गईं। अदालत ने गवाहों के बयान, मेडिकल एविडेंस और घटनास्थल के फोरेंसिक रिपोर्ट का बारीकी से अध्ययन किया।करीब 9 साल चली इस कानूनी लड़ाई के दौरान कई सुनवाईयां हुईं। ओमप्रकाश के परिवार ने लगातार न्याय की मांग की, जबकि महिपाल को जमानत मिली-न मिली का दौर चला। अंततः 16 नवंबर 2025 (सोमवार) को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। विशेष न्यायाधीश ने महिपाल को भारतीय न्याय संहिता (IPC) की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत दोषी ठहराया। सजा में 10 साल की कठोर कारावास और 26,000 रुपये का जुर्माना शामिल है। यदि जुर्माना न भरा गया, तो अतिरिक्त 2 साल की सजा हो सकती है।
परिवारों पर प्रभाव: टूटे रिश्ते और सबक यह फैसला न केवल ओमप्रकाश के लिए न्याय का प्रतीक है, बल्कि पारिवारिक विवादों को हिंसा में बदलने की प्रवृत्ति पर एक कड़ा संदेश भी है। ओमप्रकाश की बेटी दीप्ति और नरेंद्र का वैवाहिक जीवन भी इस घटना से बुरी तरह प्रभावित हुआ। सूत्रों के अनुसार, शादी के बाद से ही तनाव था, लेकिन 2016 की यह घटना रिश्ते को पूरी तरह तोड़ने वाली साबित हुई। दीप्ति का परिवार अब अलग रहता है, और नरेंद्र भी इस मामले से दूर रहने की कोशिश करता है।ओमप्रकाश ने फैसले के बाद कहा, "9 साल की लंबी लड़ाई के बाद न्याय मिला है। यह सजा उन लोगों के लिए चेतावनी है जो गुस्से में अपराध करते हैं।" वहीं, महिपाल के परिवार ने फैसले पर निराशा जताई, लेकिन अपील करने की योजना बना रहे हैं।