खेल-खेल में लोहे के संदूक में बंद हुए दो मासूम भाई, दम घुटने से दर्दनाक मौत

राजस्थान के अजमेर जिले के पीसांगन थाना क्षेत्र के नाथूथला गांव में गुरुवार को एक हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। खेल-खेल में दो मासूम सगे भाइयों, 6 वर्षीय साबिर चीता और 4 वर्षीय समीर चीता, की लोहे के संदूक में बंद होने के कारण दम घुटने से मौत हो गई।

May 2, 2025 - 14:47
खेल-खेल में लोहे के संदूक में बंद हुए दो मासूम भाई, दम घुटने से दर्दनाक मौत

अजमेर, 1 मई 2025: राजस्थान के अजमेर जिले के पीसांगन थाना क्षेत्र के नाथूथला गांव में गुरुवार को एक हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। खेल-खेल में दो मासूम सगे भाइयों, 6 वर्षीय साबिर चीता और 4 वर्षीय समीर चीता, की लोहे के संदूक में बंद होने के कारण दम घुटने से मौत हो गई। यह दुखद घटना उस समय हुई, जब दोनों बच्चे घर पर अकेले थे और उनकी मां मजदूरी के लिए बाहर गई थी।

घटना का विवरण

नाथूथला गांव में रहने वाली विधवा लाडली खातुन अपने दो छोटे बच्चों, साबिर और समीर, के साथ जीवनयापन करती हैं। मेहनत-मजदूरी कर वह अपने परिवार का भरण-पोषण करती हैं। गुरुवार सुबह, हमेशा की तरह लाडली अपने बच्चों को घर पर छोड़कर मजदूरी के लिए निकल गईं। घर पर अकेले दोनों भाई खेल में मशगूल हो गए। खेल-खेल में वे एक लोहे के संदूक में छिप गए, लेकिन संदूक का ढक्कन बंद होने से वे बाहर नहीं निकल सके। आसपास कोई नहीं होने के कारण दोनों मासूमों का दम घुट गया और उनकी जान चली गई।

शाम को जब लाडली मजदूरी से घर लौटीं, तो बच्चों को न देखकर उनका दिल घबरा गया। उन्होंने आसपास और घर में बच्चों की तलाश शुरू की। काफी खोजबीन के बाद संदूक पर उनकी नजर पड़ी। संदूक खोलते ही लाडली के पैरों तले जमीन खिसक गई। दोनों बच्चे बेसुध हालत में संदूक के अंदर पड़े थे। आनन-फानन में परिजन और पड़ोसी उन्हें पीसांगन सामुदायिक चिकित्सालय लेकर पहुंचे, जहां चिकित्सकों ने जांच के बाद दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया।

पुलिस और प्रशासन का कदम

घटना की सूचना मिलते ही पीसांगन थानाधिकारी प्रहलाद सहाय अपनी टीम के साथ मौके पर पहुंचे। पुलिस ने दोनों बच्चों के शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा। पोस्टमॉर्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। प्रारंभिक जांच में पुलिस ने इसे एक दुखद हादसा बताया है। थानाधिकारी ने बताया कि बच्चों की मौत संदूक में बंद होने के कारण दम घुटने से हुई है। मामले की जांच जारी है, लेकिन अभी तक कोई संदिग्ध परिस्थिति सामने नहीं आई है।

गांव में शोक की लहर

इस हृदयविदारक घटना ने नाथूथला गांव में शोक की लहर दौड़ा दी। लाडली खातुन, जो पहले ही अपने पति को खो चुकी थीं, अब अपने दोनों बच्चों को खोकर पूरी तरह टूट गई हैं। पड़ोसियों और रिश्तेदारों ने बताया कि साबिर और समीर बहुत ही चंचल और मासूम बच्चे थे। गांव के लोग लाडली के दुख में शामिल होने उनके घर पहुंच रहे हैं और उन्हें सांत्वना दे रहे हैं।

पुलिस की अपील

इस घटना के बाद पुलिस ने अभिभावकों से अपील की है कि वे अपने छोटे बच्चों पर विशेष ध्यान दें और उन्हें खतरनाक स्थानों या वस्तुओं के पास अकेला न छोड़ें। थानाधिकारी प्रहलाद सहाय ने कहा, "यह एक दुखद हादसा है। हम अभिभावकों से अनुरोध करते हैं कि बच्चों को ऐसी चीजों से दूर रखें, जो उनके लिए खतरा बन सकती हैं।"

सामाजिक चिंता और जागरूकता

यह घटना न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए भी एक गंभीर चेतावनी है। ग्रामीण क्षेत्रों में अक्सर मजदूरी के लिए माता-पिता को घर से बाहर जाना पड़ता है, जिसके कारण छोटे बच्चे घर पर अकेले रह जाते हैं। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा और देखभाल के लिए सामुदायिक स्तर पर जागरूकता और सहयोग की जरूरत है।

लाडली खातुन और उनके मासूम बच्चों की यह कहानी हर किसी के दिल को झकझोर रही है। गांववासी और प्रशासन अब इस बात पर विचार कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाओं को कैसे रोका जाए। इस बीच, साबिर और समीर की यादें नाथूथला गांव के हर कोने में गूंज रही हैं। 

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ