जम्मू-कश्मीर: पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश, 120 जगहों पर छापेमारी; सिम कार्ड-डिजिटल डिवाइस जब्त, कठुआ में दो पुलिस अधिकारी बर्खास्त
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान समर्थित आतंकी नेटवर्क पर 120 जगहों पर छापे, सिम कार्ड-डिजिटल डिवाइस जब्त; कठुआ में दो पुलिस अधिकारी अब्दुल लतीफ और मोहम्मद अब्बास आतंकियों की मदद के आरोप में बर्खास्त।
जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई द्वारा संचालित एक बड़े आतंकी नेटवर्क का भंडाफोड़ करते हुए सुरक्षा एजेंसियों ने राज्य भर में 120 से अधिक जगहों पर व्यापक छापेमारी की। इस कार्रवाई में सिम कार्ड, डिजिटल डिवाइस, हथियार और गोला-बारूद की भारी मात्रा जब्त की गई। सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि इस नेटवर्क को सहयोग देने वाले दो पुलिस अधिकारियों को कठुआ जिले में तत्काल सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। ये अधिकारी आतंकवादियों के संपर्क में थे और उनकी मदद कर रहे थे।
छापेमारी का व्यापक दायरा और जब्त सामग्री; सुरक्षा बलों की इस संयुक्त कार्रवाई में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, जम्मू-कश्मीर पुलिस और अन्य खुफिया एजेंसियों ने कश्मीर घाटी के संवेदनशील इलाकों में 120 से ज्यादा ठिकानों पर छापे मारे। छापेमारी का मुख्य फोकस लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) के पास के जिलों जैसे कठुआ, सांबा, राजौरी और पुंछ पर था। अधिकारियों के अनुसार, यह नेटवर्क पाकिस्तान से हथियारों की तस्करी कर कश्मीर में दहशत फैलाने की साजिश रच रहा था।छापेमारी के दौरान जब्त की गई प्रमुख वस्तुओं में शामिल हैं:
सिम कार्ड और डिजिटल डिवाइस: दर्जनों अवैध सिम कार्ड, स्मार्टफोन, लैपटॉप और एन्क्रिप्टेड कम्युनिकेशन डिवाइस, जो पाकिस्तानी हैंडलर्स से संपर्क बनाए रखने के लिए इस्तेमाल हो रहे थे।
हथियार और विस्फोटक: 5 एके-47 राइफलें, 10 पिस्तौलें, 500 से अधिक गोलियां, ग्रेनेड और विस्फोटक सामग्री। ये हथियार एलओसी पार करके पाकिस्तान से तस्करी के जरिए लाए गए थे।
अन्य सामग्री: नकली दस्तावेज, नकदी और आतंकी संगठनों के प्रचार सामग्री।
इस ऑपरेशन में कुल 12 संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया, जो लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से जुड़े थे। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "यह नेटवर्क कश्मीर घाटी में बड़े हमलों की योजना बना रहा था, लेकिन समय रहते इसकी जड़ें काट दी गईं। सिम कार्ड और डिजिटल डिवाइस से पाकिस्तान के हैंडलर्स के साथ बातचीत के सबूत मिले हैं।"
कठुआ जिले में दो पुलिस अधिकारियों की बर्खास्तगी: गद्दारी का खुलासा इस आतंकी नेटवर्क के पर्दाफाश में सबसे शर्मनाक अध्याय कठुआ जिले के दो पुलिस अधिकारियों की संलिप्तता है। शनिवार (8 नवंबर 2025) को जम्मू-कश्मीर पुलिस के महानिदेशक ने इन अधिकारियों को तत्काल सेवा से बर्खास्त कर दिया।
बर्खास्त अधिकारियों की पहचान अब्दुल लतीफ और मोहम्मद अब्बास के रूप में हुई है।
अब्दुल लतीफ के खिलाफ आरोप: वह लंबे समय से आतंकवादियों के संपर्क में था और उन्हें खुफिया जानकारी प्रदान कर रहा था। उसके खिलाफ पहले ही एक एफआईआर दर्ज हो चुकी है, और फिलहाल वह डोडा जेल में बंद है। जांच में पता चला कि वह पाकिस्तानी हैंडलर्स को हथियार तस्करों की लोकेशन और पुलिस गतिविधियों की टिप्स देता था।
मोहम्मद अब्बास के खिलाफ आरोप: उसके खिलाफ चार एफआईआर दर्ज हैं, जो देशद्रोह, आपराधिक षड्यंत्र और आतंकवाद से जुड़े अपराधों से संबंधित हैं। वह नेटवर्क को कवर प्रदान करने और बदले में पैसे लेने का दोषी पाया गया। एफआईआर नंबर 245/2025 और 246/2025 के तहत भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 121 (देशद्रोह), 120बी (षड्यंत्र) और अनलॉफुल एक्टिविटीज (प्रिवेंशन) एक्ट (यूएपीए) की धारा 16 व 18 के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया है।
महानिदेशक ने बर्खास्तगी आदेश में कहा, "ये अधिकारी देश की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुके थे। उनकी कार्रवाई गद्दारी के समान है, और ऐसी किसी भी लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।" दोनों अधिकारियों की गिरफ्तारी भी हुई है, और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को मामले की आगे की जांच सौंपी जा सकती है।
व्यापक संदर्भ: पाकिस्तान की साजिशों का नया अध्याय यह घटना जम्मू-कश्मीर में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के बढ़ते खतरे को रेखांकित करती है। पिछले एक वर्ष में राज्य में ऐसी 15 से अधिक छापेमारियां हुई हैं, जिनमें 50 से ज्यादा हथियार जब्त किए गए। कठुआ, सांबा और राजौरी जैसे सीमावर्ती जिलों में आईएसआई के एजेंट सक्रिय हैं, जो स्थानीय लोगों को भड़काने और हथियारों का स्टॉक जमा करने का काम कर रहे हैं।स्थानीय प्रशासन ने सुरक्षा उपायों को और सख्त करने का ऐलान किया है। इसमें सीमा पर ड्रोन निगरानी बढ़ाना, स्थानीय खुफिया तंत्र को मजबूत करना और संदिग्ध सिम कार्डों की ट्रैकिंग शामिल है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, "पाकिस्तान की साजिशों को बेनकाब करना हमारी प्राथमिकता है। ऐसी गद्दारी किसी को बख्शा नहीं जाएगा, और जांच में और नाम सामने आ सकते हैं।"