बिजली कर्मचारियों की हड़ताल की हुंकार, निजीकरण के खिलाफ 9 जुलाई को देशव्यापी आंदोलन
नेशनल कॉर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर (NCCOEEE) ने बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ 9 जुलाई 2025 को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया। 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इसमें शामिल होंगे। समिति ने उत्तर प्रदेश में पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण को रोकने, ठेका कर्मचारियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन योजना बहाल करने, और आठवें वेतन आयोग की अधिसूचना की मांग की। 2 जुलाई को देशभर में विरोध प्रदर्शन और 22 जून को महापंचायत आयोजित होगी, जिसमें किसान और उपभोक्ता भी शामिल होंगे। हड़ताल का नोटिस 15 जून को सरकारों को सौंपा जाएगा।

चंडीगढ़, 9 जून 2025: देश भर के बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की सर्वोच्च संस्था, नेशनल कॉर्डिनेशन कमेटी ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज एंड इंजीनियर (NCCOEEE) ने बिजली विभाग के निजीकरण के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए 9 जुलाई को राष्ट्रव्यापी हड़ताल का ऐलान किया है। सोमवार को हुई कोर कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया, जिसमें देश के करीब 27 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर शामिल होंगे। इस हड़ताल का मुख्य उद्देश्य बिजली क्षेत्र के निजीकरण को रोकना और कर्मचारियों की लंबित मांगों का समाधान करना है।
निजीकरण के खिलाफ एकजुटता, 2 जुलाई को देशभर में विरोध प्रदर्शन
बैठक में उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा पूर्वांचल और दक्षिणांचल डिस्कॉम के निजीकरण की प्रक्रिया को तत्काल रोकने की मांग की गई। इसके साथ ही ठेका और संविदा कर्मचारियों को नियमित करने, पुरानी पेंशन योजना (OPS) को बहाल करने, और आठवें वेतन आयोग की अधिसूचना जारी करने की मांगें जोर-शोर से उठाई गईं। समिति ने उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों के समर्थन में 2 जुलाई को देश भर में विरोध प्रदर्शन आयोजित करने का फैसला किया। इसके अलावा, अगर उत्तर प्रदेश में निजीकरण के लिए टेंडर प्रक्रिया शुरू होती है, तो पूरे देश के 27 लाख बिजली कर्मचारी एक दिन की सांकेतिक हड़ताल करेंगे।
उत्तर प्रदेश में आंदोलन की सराहना, उत्पीड़न की निंदा
कोर कमेटी ने उत्तर प्रदेश में विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा निजीकरण के खिलाफ चलाए जा रहे आंदोलन की जमकर सराहना की। साथ ही, आंदोलनरत कर्मचारियों और इंजीनियरों के कथित उत्पीड़न की कड़े शब्दों में निंदा की गई। समिति ने केंद्र और राज्य सरकारों को चेतावनी दी कि निजीकरण की प्रक्रिया को आगे बढ़ाने से पहले कर्मचारियों की मांगों पर गंभीरता से विचार किया जाए।
22 जून को महापंचायत, किसानों और उपभोक्ताओं का भी समर्थन
बैठक में यह भी तय हुआ कि 22 जून को बिजली निजीकरण के खिलाफ आयोजित होने वाली महापंचायत में बिजली कर्मचारी, इंजीनियर, किसान, और आम घरेलू उपभोक्ता एकजुट होकर अपनी आवाज बुलंद करेंगे। इस महापंचायत में ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे, ऑल इंडिया पावर डिप्लोमा इंजीनियर्स फेडरेशन के महासचिव अभिमन्यु धनकड़, ऑल इंडिया फेडरेशन ऑफ इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज के महासचिव मोहन शर्मा, इलेक्ट्रिसिटी इंप्लाइज फेडरेशन ऑफ इंडिया के संयोजक सुदीप दत्ता, उप प्रधान सुभाष लांबा, और अन्य प्रमुख नेता शामिल होंगे।
15 जून से हड़ताल की औपचारिक शुरुआत
कमेटी ने फैसला किया कि 15 जून को केंद्र और सभी राज्य सरकारों को हड़ताल का नोटिस सौंपा जाएगा। ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेंद्र दुबे और NCCOEEE के उपाध्यक्ष सुभाष लांबा ने बताया कि यह आंदोलन न केवल बिजली कर्मचारियों के हितों की रक्षा के लिए है, बल्कि आम उपभोक्ताओं और किसानों के हक में भी है, जो निजीकरण के बाद बिजली की बढ़ती कीमतों और सेवाओं की अनिश्चितता से प्रभावित हो सकते हैं।
निजीकरण के खिलाफ एकजुट देश
यह हड़ताल और आंदोलन बिजली क्षेत्र में निजीकरण की प्रक्रिया को रोकने और कर्मचारियों की मांगों को पूरा करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम साबित हो सकता है। देश भर के बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इस मुहिम में एकजुट होकर अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए तैयार हैं।