जम्मू-कश्मीर: चलती ट्रेन से टकराई चील, विंडस्क्रीन टूटी, लोकोपायलट घायल; अनंतनाग में ट्रेन रोककर पक्षी को सुरक्षित निकाला...वीडियो वायरल

अनंतनाग में बारामुला-बनिहाल एक्सप्रेस की विंडस्क्रीन से चील टकराई, कांच टूटा, पायलट घायल; ट्रेन रोकी गई और चील को सुरक्षित निकाला गया।

Nov 8, 2025 - 19:04
जम्मू-कश्मीर: चलती ट्रेन से टकराई चील, विंडस्क्रीन टूटी, लोकोपायलट घायल; अनंतनाग में ट्रेन रोककर पक्षी को सुरक्षित निकाला...वीडियो वायरल

अनंतनाग (जम्मू-कश्मीर), 8 नवंबर 2025:

जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में शनिवार सुबह एक असामान्य और चौंकाने वाली घटना घटी, जब बारामुला-बनिहाल एक्सप्रेस ट्रेन की लोकोमोटिव विंडस्क्रीन से एक चील जोरदार टक्कर मारते हुए अंदर घुस गई। इस हादसे में ट्रेन की सामने की कांच की स्क्रीन पूरी तरह चटक गई और टूट गई, जबकि लोकोपायलट के चेहरे और शरीर पर कांच के टुकड़ों से गंभीर चोटें आईं। घटना के तुरंत बाद ट्रेन को अनंतनाग रेलवे स्टेशन पर रोक दिया गया, जहां रेलवे कर्मचारियों और स्थानीय लोगों की मदद से चील को केबिन से सुरक्षित बाहर निकाला गया। यह घटना बिजबेहरा और अनंतनाग रेलवे स्टेशनों के बीच सुबह करीब 8:30 बजे हुई। हादसे का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है, जिसमें चील के केबिन में फंसे होने और उसे निकालते हुए का दृश्य साफ दिखाई दे रहा है।

घटना का विस्तृत विवरण;  ट्रेन और स्थान: घटना बारामुला- बनिहाल एक्सप्रेस ट्रेन में हुई। यह हादसा बिजबेहरा रेलवे स्टेशन और अनंतनाग स्टेशन के बीच रेल ट्रैक पर हुआ, जो घाटी के हरे-भरे इलाके से गुजरता है। कश्मीर घाटी में पक्षियों की बड़ी आबादी है, और ऊंचाई पर उड़ने वाली चील जैसी प्रजातियां आम हैं। ट्रेन सामान्य गति से चल रही थी, जब अचानक चील सामने आ गई। 

टक्कर कैसे हुई: ट्रेन की रफ्तार करीब 80-100 किमी प्रति घंटा थी। चील शायद शिकार की तलाश में या हवा के बहाव में ऊंचाई पर उड़ रही थी, लेकिन ट्रेन के सामने आते ही जोरदार धक्का लगा। टक्कर इतनी तेज थी कि विंडस्क्रीन  पूरी तरह फट गया और उसके टुकड़े चारों ओर बिखर गए। चील सीधे केबिन में घुस गई और लोकोपायलट की सीट के पास बैठ गई। पक्षी भी चोटिल हो गया, लेकिन जीवित था।

लोकोपायलट की स्थिति: लोकोपायलट के चेहरे, गर्दन और हाथों पर कांच के टुकड़ों से कई कट और चोटें आईं। खून बहने लगा, लेकिन उनकी जान को कोई खतरा नहीं हुआ। सहायक लोकोपायलट ने तुरंत इमरजेंसी ब्रेक लगाया और ट्रेन को नियंत्रित किया। लोकोपायलट को प्राथमिक उपचार के लिए अनंतनाग के सरकारी अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मरहम-पट्टी की गई। रेलवे अधिकारियों ने बताया कि वह स्थिर हैं और जल्द ड्यूटी पर लौटेंगे। 

चील का रेस्क्यू: ट्रेन अनंतनाग स्टेशन पर रुकते ही रेलवे स्टाफ, जीआरपी और स्थानीय वन्यजीव विभाग के कर्मचारियों ने पहुंचकर ऑपरेशन शुरू किया। चील को सावधानी से पकड़ा गया – वह डरी हुई और चोटिल थी, लेकिन उड़ने में सक्षम लग रही थी। उसे एक डिब्बे में रखकर वन्यजीव संरक्षण केंद्र भेजा गया, जहां उसका इलाज किया जा रहा है।  चील की प्रजाति संरक्षित है, और ऐसी घटनाएं पक्षी प्रवास के मौसम में बढ़ जाती हैं। 

रेलवे की प्रतिक्रिया और सुरक्षा उपाय; उत्तरी रेलवे के प्रवक्ता ने बताया कि घटना की जांच शुरू कर दी गई है। ट्रेन की विंडस्क्रीन बदल दी गई और इसे कुछ घंटों बाद रवाना किया गया, जिससे यात्री सेवाएं प्रभावित नहीं हुईं। रेलवे ने पक्षी टक्करों को रोकने के लिए पहले से अल्ट्रासोनिक डिवाइस और रिफ्लेक्टिव टेप का इस्तेमाल शुरू किया है, लेकिन घाटी जैसे इलाकों में यह चुनौती बनी हुई है। पिछले सालों में कश्मीर रेल लाइन पर ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जहां हिरण, भालू या पक्षी ट्रेन से टकराए हैं।