"बरसात में लापरवाही बनी जानलेवा" जोधपुर के घोड़ा घाटी तालाब में दोस्तों के साथ तैरने उतरे युवक के डूबने की घटना.

जोधपुर के घोड़ा घाटी इलाके में सूरसागर रोड पर स्थित तालाब में 19 जुलाई 2025 को एक युवक अपने दोस्तों के साथ तैरने उतरा और डूब गया। बरसात के कारण तालाब में तेज बहाव और गहरा पानी था, जिसके चलते युवक संभवतः कीचड़ या झाड़ियों में फंस गया। उसके दोस्त बच निकले, लेकिन युवक का अभी तक कोई सुराग नहीं मिला। पुलिस और एसडीआरएफ की टीमें सर्च ऑपरेशन चला रही हैं। प्रशासन ने लोगों से जलाशयों से दूर रहने की अपील की है, क्योंकि बरसात में ऐसी जगहें खतरनाक हो सकती हैं। यह घटना जलाशयों के पास लापरवाही के गंभीर परिणामों को दर्शाती है।

Jul 19, 2025 - 14:32
"बरसात में लापरवाही बनी जानलेवा" जोधपुर के घोड़ा घाटी तालाब में दोस्तों के साथ तैरने  उतरे युवक के डूबने की घटना.

जोधपुर के घोड़ा घाटी इलाके में सूरसागर रोड पर स्थित एक तालाब में 19 जुलाई 2025 को एक दुखद घटना सामने आई, जिसमें एक युवक की डूबने की सूचना सामने आई। यह हादसा उस समय हुआ जब युवक अपने दोस्तों के साथ तालाब में तैरने के लिए उतरा था। इस घटना ने एक बार फिर बरसात के मौसम में जलाशयों के पास लापरवाही बरतने की प्रवृत्ति को उजागर किया है, जो बार-बार लोगों को दुर्घटना का शिकार बना रही है

घटना का विवरण

जानकारी के अनुसार, युवक अपने कुछ दोस्तों के साथ सूरसागर थाना क्षेत्र में स्थित तालाब में नहाने गया था। बरसात के कारण तालाब में पानी का स्तर बढ़ा हुआ था और बहाव तेज था। नहाते समय युवक गहरे पानी में चला गया और संभवतः कीचड़ या झाड़ियों में फंस गया। उसके दोस्तों ने शोर मचाकर स्थानीय लोगों को इकट्ठा किया, जिन्होंने तुरंत पुलिस और प्रशासन को सूचना दी। सूचना मिलते ही सूरसागर पुलिस और एसडीआरएफ (राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल) की टीम मौके पर पहुंची और सर्च ऑपरेशन शुरू किया। गोताखोरों ने घंटों तक तालाब में तलाशी ली, लेकिन युवक का कोई सुराग मिला और न ही उसका शव बरामद हो सका। इस घटना से परिजनों और स्थानीय लोगों में चिंता और शोक की लहर दौड़ गई।

लापरवाही का घातक परिणाम

यह घटना एक बार फिर उस लापरवाही को रेखांकित करती है, जो लोग बरसात के मौसम में जलाशयों के पास बरतते हैं। राजस्थान में हाल के दिनों में भारी बारिश ने नदियों, तालाबों और नालों को उफान पर ला दिया है। इसके बावजूद, लोग बिना सुरक्षा उपायों के इन खतरनाक स्थानों पर नहाने या घूमने जाते हैं। जोधपुर में ही हाल के दिनों में कई ऐसी घटनाएं सामने आई हैं, जहां लापरवाही के कारण लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। उदाहरण के लिए, राजीव गांधी नगर थाना क्षेत्र के मोकलावास गांव में अरना-झरना जलाशय में भी एक युवक की डूबने से मौत हो गई थी, जबकि उसके दोस्तों को बचा लिया गया था। 

प्रशासन की अपील और सुरक्षा चेतावनी

इस हादसे के बाद जोधपुर प्रशासन ने लोगों से सख्त अपील की है कि वे जलभराव वाले स्थानों, जैसे तालाब, बावड़ी, कुंड और नदियों, से दूर रहें। बरसात के मौसम में इन जगहों पर पानी का बहाव तेज होने के साथ-साथ गहराई का अंदाजा लगाना भी मुश्किल हो जाता है। प्रशासन ने यह भी सुझाव दिया है कि लोग ऐसी जगहों पर अकेले या बिना सुरक्षा उपकरणों के न जाएं। इसके अलावा, तालाबों और जलाशयों के आसपास चेतावनी बोर्ड लगाने और गोताखोरों की उपलब्धता बढ़ाने जैसे कदमों पर भी जोर दिया जा रहा है।

लापरवाही की प्रवृत्ति: एक सामाजिक समस्या

बरसात के मौसम में जलाशयों में डूबने की घटनाएं केवल जोधपुर तक सीमित नहीं हैं। पूरे राजस्थान और देश के अन्य हिस्सों में भी ऐसी घटनाएं आम हो रही हैं। हाल ही में राजसमंद के ओड़ा गांव में तालाब फूटने से सात लोग बहाव में फंस गए थे, जिन्हें कड़ी मशक्कत के बाद बचाया गया। इसी तरह, झांसी में सपरार बांध के पास नरूआ तालाब में एक युवक के डूबने की घटना में भी सर्च ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन कोई सुराग नहीं मिला। ये घटनाएं इस बात का प्रमाण हैं कि लोग बार-बार सुरक्षा चेतावनियों को नजरअंदाज करते हैं। 

लोगों में यह लापरवाही कई कारणों से देखी जाती है:

जागरूकता की कमी: कई लोग जलाशयों की गहराई और बहाव के खतरे को समझ नहीं पाते। खासकर युवा, रोमांच की तलाश में बिना सोचे-समझे पानी में उतर जाते हैं। 

सुरक्षा उपायों का अभाव: कई जलाशयों के पास चेतावनी बोर्ड, सुरक्षा रेलिंग या लाइफगार्ड की व्यवस्था नहीं होती, जिसके कारण लोग अनजाने में खतरे में पड़ जाते हैं।

रील्स और सेल्फी का क्रेज: सोशल मीडिया के दौर में युवा रील्स बनाने या सेल्फी लेने के लिए खतरनाक जगहों पर जाते हैं, जो कई बार जानलेवा साबित होता है।

तैराकी का ज्ञान न होना: अधिकांश मामलों में, डूबने वाले लोगों को तैरना नहीं आता, जिसके कारण वे गहरे पानी में फंसकर अपनी जान गंवा देते हैं।

रोकथाम के उपाय

ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कुछ ठोस कदम उठाए जा सकते हैं:

जागरूकता अभियान: प्रशासन और सामाजिक संगठनों को स्कूलों, कॉलेजों और समुदायों में जल सुरक्षा के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए। 

सुरक्षा व्यवस्था: तालाबों, नदियों और जलाशयों के पास चेतावनी बोर्ड, सुरक्षा रेलिंग और लाइफगार्ड की तैनाती अनिवार्य होनी चाहिए।

गोताखोरों की उपलब्धता: हर जिले में प्रशिक्षित गोताखोरों की टीमें तैनात की जानी चाहिए, जो आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई कर सकें।

सख्त नियम: खतरनाक जलाशयों में नहाने या प्रवेश करने पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए, और इसका उल्लंघन करने वालों पर जुर्माना लगाया जाए। 

घोड़ा घाटी तालाब हादसा एक दुखद अनुस्मारक है कि प्रकृति के साथ लापरवाही भारी पड़ सकती है। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए त्रासदी है, बल्कि समाज के लिए भी एक चेतावनी है कि हमें अपनी सुरक्षा को लेकर अधिक सतर्क रहने की जरूरत है। बरसात के मौसम में जलाशयों से दूरी बनाए रखें, सुरक्षा नियमों का पालन करें और प्रशासन की चेतावनियों को गंभीरता से लें।