बाड़मेर जिला अस्पताल में 25 संविदा कर्मचारियों की बेरहम बर्खास्तगी: माँओं और बुजुर्गों की टूटी उम्मीदें"

बाड़मेर, 4 अप्रैल 2025: बाड़मेर जिला अस्पताल में आज एक ऐसी घटना ने मानवता को झकझोर दिया, जहाँ 25 संविदा कर्मचारियों को बिना किसी पूर्व सूचना के नौकरी से निकाल दिया गया। इनमें सिक्योरिटी गार्ड और हेल्पर जैसे पदों पर कार्यरत लोग शामिल थे, जिनमें कई महिलाएँ और बुजुर्ग भी थे। ये वो मेहनतकश लोग थे, जो अपनी आर्थिक मजबूरी के चलते दिन-रात अस्पताल में ड्यूटी कर अपने परिवार का पेट पालते थे। इनमें से कुछ माँएँ ऐसी थीं, जो अपने बच्चों को स्कूल भेजने और उनकी छोटी-छोटी जरूरतें पूरी करने के लिए इस नौकरी पर निर्भर थीं, तो कुछ बुजुर्ग अपनी जिंदगी के आखिरी पड़ाव में भी मेहनत करने को मजबूर थे।
पीड़ित कर्मचारियों ने बताया कि जब वे अपनी शिकायत लेकर अस्पताल के पीएमओ के पास पहुँचे, तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उनकी व्यथा यहीं खत्म नहीं हुई—इनमें से कई ने कहा कि उनकी पिछले तीन महीने की तनख्वाह भी बकाया है। अचानक नौकरी छिन जाने और बकाया वेतन न मिलने से इन परिवारों के सामने अब भूख और बेबसी का संकट मंडरा रहा है।
हैरानी की बात यह है कि ये सब उस जिले में हुआ, जहाँ जिला कलेक्टर टीना डाबी जैसे संवेदनशील और चर्चित अधिकारी बैठे हैं। अपनी गुहार लेकर ये कर्मचारी कलेक्टर कार्यालय पहुँचे और उन्होंने टीना डाबी को एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में उन्होंने अपनी पीड़ा बयान करते हुए कहा, "हमें बिना किसी सूचना के निकाल दिया गया। हमारी तीन महीने की सेलरी भी बाकी है। हमारे बच्चों का भविष्य और हमारी रोजी-रोटी दाँव पर लग गई है।"
इस घटना ने न केवल इन कर्मचारियों के जीवन में अंधेरा ला दिया, बल्कि यह सवाल भी खड़ा कर दिया कि आखिर संविदा कर्मचारियों के साथ ऐसा अमानवीय व्यवहार क्यों? क्या उनकी मेहनत और मजबूरी की कोई कीमत नहीं? जिला प्रशासन से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन इन कर्मचारियों की चीत्कार हर संवेदनशील दिल को बेचैन करने के लिए काफी है। क्या इन माँओं, बुजुर्गों और उनके परिवारों को न्याय मिलेगा, या यह सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा? यह समय ही बताएगा।