अलवर में जहरीली शराब का कहर: 6 की मौत, 2 और की आशंका, परिवारों का करुण क्रंदन

अलवर जिले में जहरीली शराब ने एक बार फिर अपना कहर बरपाया है। जिला मुख्यालय से करीब 26 किलोमीटर दूर सिलीसेढ़ के पास पैंतपुर, किशनपुर और बख्तपुरा गांवों में 26 से 28 अप्रैल तक मौत का तांडव चला। इस दौरान 6 लोगों की जान चली गई,

May 1, 2025 - 14:44
अलवर में जहरीली शराब का कहर: 6 की मौत, 2 और की आशंका, परिवारों का करुण क्रंदन
AI फोटो

रिपोर्ट जसवंत सिंह शिवकर - राजस्थान के अलवर जिले में जहरीली शराब ने एक बार फिर अपना कहर बरपाया है। जिला मुख्यालय से करीब 26 किलोमीटर दूर सिलीसेढ़ के पास पैंतपुर, किशनपुर और बख्तपुरा गांवों में 26 से 28 अप्रैल तक मौत का तांडव चला। इस दौरान 6 लोगों की जान चली गई, जबकि ग्रामीणों का दावा है कि दो और मौतें जहरीली शराब के कारण हुई हैं। हर तरफ मातम का माहौल है, परिवारों का रो-रोकर बुरा हाल है। दैनिक भास्कर की टीम जब ग्राउंड जीरो पर पहुंची, तो मृतकों के परिजनों के बयान ने जहरीली कच्ची शराब की भयावह सच्चाई को उजागर कर दिया। 

एक पिता का दर्द: "बेटे ने कहा- मां, मुझे दिखाई नहीं दे रहा, फिर..."

"27 अप्रैल की शाम 5 बजे मेरा बेटा कच्ची शराब पीकर घर आया था। इसके बाद नहाया था। थोड़ी देर में उल्टी होने लगी। अपनी मां के कंधे पर सिर रखकर बोला- मां, मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा। मैं उसे गाड़ी करके डॉक्टर को दिखाने ले गया। वहां उसने दम तोड़ दिया।" यह कहते हुए एक बुजुर्ग पिता की आंखें भर आईं। उनका गला रुंध गया, और शब्दों ने साथ छोड़ दिया। यह दर्द सिर्फ एक पिता का नहीं, बल्कि उन तमाम परिवारों का है, जिन्होंने इस त्रासदी में अपने प्रियजनों को खोया।

मौत का सिलसिला: 26 से 28 अप्रैल तक थम नहीं पाया

मौत का यह सिलसिला 26 अप्रैल से शुरू हुआ और लगातार तीन दिन तक चला। पहली मौत पैंतपुर के सुरेश वाल्मीकि (45) की हुई। अगले दिन 27 अप्रैल को किशनपुर के रामकिशोर (47) और बख्तपुरा के रामकुमार (39) ने दम तोड़ा। 28 अप्रैल को त्रासदी ने और विकराल रूप लिया, जब किशनपुर के लालाराम (60), भारत (40) और पैंतपुर के ओमी (65) की जान चली गई। ग्रामीणों का कहना है कि इसके अलावा दो और लोगों की मौत जहरीली शराब के कारण हुई, लेकिन प्रशासन ने इन्हें दर्ज नहीं किया।

ग्रामीणों का आरोप: कच्ची शराब का धंधा खुलेआम, प्रशासन बेखबर

इन गांवों में कच्ची शराब का बिकना कोई नई बात नहीं है। ग्रामीणों का आरोप है कि बाहर से लोग प्लास्टिक के पाउच में जहरीली शराब बेचते हैं, जिसका सेवन करने से मौतें हो रही हैं। एक ग्रामीण ने बताया, "30 रुपये में 500 मिलीलीटर कच्ची शराब मिल रही है। यह धंधा लंबे समय से चल रहा है, लेकिन पुलिस और प्रशासन कोई कार्रवाई नहीं करते।" ग्रामीणों में प्रशासन के खिलाफ गुस्सा है, और उन्होंने दोषी अधिकारियों व शराब माफिया पर सख्त कार्रवाई की मांग की है।

प्रशासन का रवैया: जहरीली शराब से मौत की पुष्टि नहीं

जिला कलेक्टर अर्पित शुक्ला ने बताया कि शुरुआती जांच में तीन लोगों की मौत का कारण अधिक शराब पीना पाया गया है, जबकि अन्य तीन की मौत का संबंध शराब से नहीं है। एक व्यक्ति की मौत कीटनाशक के संपर्क में आने, एक की हाई बीपी और एक की दमा अटैक से बताई गई है। प्रशासन ने जहरीली शराब से मौत की पुष्टि नहीं की है, लेकिन ग्रामीणों के बयान इसके उलट हैं। आबकारी विभाग ने आसपास के क्षेत्रों में अवैध शराब के खिलाफ अभियान शुरू किया है।

परिजनों का दावा: स्वस्थ थे मृतक, बीमारी नहीं थी

मृतकों के परिजनों ने साफ कहा कि सभी स्वस्थ थे और उन्हें कोई गंभीर बीमारी नहीं थी। एक परिजन ने बताया, "शराब पीने के बाद अचानक उल्टी, आंखों की रोशनी जाने और बेहोशी की शिकायत हुई। यह सब जहरीली शराब की वजह से हुआ।" ग्रामीणों ने प्रशासन पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए महापंचायत बुलाने की बात कही है।

राजनीतिक प्रतिक्रियाएं: सरकार पर उठे सवाल

राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष टीकाराम जूली ने आरोप लगाया कि आबकारी अधिकारियों की मिलीभगत से अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। वहीं, स्थानीय नेताओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इस घटना को "सरकारी संरक्षण में हत्या" करार दिया। सोशल मीडिया पर भी लोग सरकार और प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं।

आगे क्या?

इस त्रासदी ने एक बार फिर अवैध शराब के कारोबार पर सख्त कार्रवाई की जरूरत को उजागर किया है। ग्रामीणों की मांग है कि दोषी शराब माफिया और लापरवाह अधिकारियों को सजा दी जाए। प्रशासन ने जांच तेज करने और अवैध शराब के खिलाफ अभियान चलाने का दावा किया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या यह कार्रवाई पहले नहीं हो सकती थी? क्या इन बेकसूर जिंदगियों को बचाया नहीं जा सकता था? 

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ