पाकिस्तान को दिया बड़ा झटका,बॉर्डर पर अब लगेगी स्मार्ट फैंसिंग, हर जगह होगी आसमान से निगरानी 

जैसलमेर में भारत-पाक सीमा पर शुरू हुई स्मार्ट फेंसिंग परियोजना, जिसमें उन्नत निगरानी प्रणाली, ड्रोन और सेंसर का उपयोग शामिल है, घुसपैठ और तस्करी को रोकने के लिए डिज़ाइन की गई है।

Jun 10, 2025 - 13:27
पाकिस्तान को दिया बड़ा झटका,बॉर्डर पर अब लगेगी स्मार्ट फैंसिंग, हर जगह होगी आसमान से निगरानी 

जैसलमेर : भारत-पाकिस्तान सीमा पर सुरक्षा को और मजबूत करने के लिए जैसलमेर सहित राजस्थान के सीमावर्ती क्षेत्रों में एक महत्वाकांक्षी "स्मार्ट फेंसिंग" परियोजना की शुरुआत की गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में शुरू की गई इस परियोजना का उद्देश्य घुसपैठ, तस्करी और अन्य अवैध गतिविधियों को रोकना है, साथ ही सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की क्षमताओं को आधुनिक तकनीक के साथ और सशक्त करना है। यह परियोजना श्री गंगानगर से शुरू होकर लगभग 1,000 किलोमीटर लंबी सीमा तक फैली हुई है, जिसमें जैसलमेर का रणक्षेत्र भी शामिल है। 

परियोजना का उद्देश्य और महत्व

भारत-पाकिस्तान सीमा, विशेष रूप से राजस्थान का जैसलमेर क्षेत्र, अपनी भौगोलिक और जलवायु चुनौतियों के लिए जाना जाता है। रेगिस्तानी इलाकों, ऊंचे तापमान और रेत के टीलों के बीच पारंपरिक तारबंदी प्रभावी नहीं रही है। जिससे घुसपैठ और तस्करी की घटनाएं बढ़ रही थीं। स्मार्ट फेंसिंग परियोजना इन कमियों को दूर करने के लिए शुरू की गई है। इसका मुख्य उद्देश्य सीमा पर निगरानी को और सटीक, त्वरित और तकनीकी रूप से उन्नत बनाना है।

स्मार्ट फेंसिंग की विशेषताएं

उन्नत निगरानी प्रणाली: स्मार्ट फेंसिंग में हाई-रिजॉल्यूशन कैमरे, थर्मल इमेजिंग सेंसर, मोशन डिटेक्टर और अन्य आधुनिक निगरानी उपकरण शामिल हैं। ये उपकरण दिन-रात, हर मौसम में संदिग्ध गतिविधियों का पता लगाने में सक्षम हैं।

सैटेलाइट और ड्रोन आधारित निगरानी: सैटेलाइट तकनीक और ड्रोन का उपयोग कर सीमा की 24/7 निगरानी सुनिश्चित की जा रही है। ड्रोन न केवल संदिग्ध गतिविधियों की वास्तविक समय में जानकारी प्रदान करते हैं, बल्कि दुर्गम क्षेत्रों में भी नजर रखते हैं।

स्मार्ट अलार्म सिस्टम: कोई भी अनधिकृत गतिविधि होने पर तुरंत अलार्म सिस्टम सक्रिय हो जाता है, जो बीएसएफ के कमांड सेंटर को तत्काल सूचित करता है।

सड़क और बुनियादी ढांचा विकास: परियोजना के तहत सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का निर्माण और सुधार किया जा रहा है, ताकि बीएसएफ की गश्ती टीमें और वाहन तेजी से प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंच सकें।

कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) का उपयोग: डेटा विश्लेषण और पैटर्न पहचान के लिए एआई-आधारित प्रणालियों को शामिल किया गया है, जो संदिग्ध गतिविधियों की भविष्यवाणी और रोकथाम में मदद करती हैं।

जैसलमेर में परियोजना की प्रासंगिकता

जैसलमेर का रेगिस्तानी इलाका भारत-पाकिस्तान सीमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह क्षेत्र अपनी लंबी और खुली सीमा के कारण घुसपैठ और तस्करी के लिए संवेदनशील रहा है। स्मार्ट फेंसिंग परियोजना इस क्षेत्र में विशेष रूप से प्रभावी होगी, क्योंकि यह रेगिस्तानी चुनौतियों को ध्यान में रखकर डिज़ाइन की गई है। उन्नत सेंसर और ड्रोन उन क्षेत्रों में निगरानी को आसान बनाते हैं, जहां मानव गश्ती दल को मुश्किलों का सामना करना पड़ता है।

परियोजना की शुरुआत और प्रगति

इस परियोजना की शुरुआत श्री गंगानगर से हुई, लेकिन इसका विस्तार अब जैसलमेर, बाड़मेर और बीकानेर जैसे अन्य सीमावर्ती जिलों तक हो रहा है। बीएसएफ के महानिदेशक ने हाल ही में इस परियोजना की प्रगति की समीक्षा की और इसे समयबद्ध तरीके से पूरा करने के निर्देश दिए। परियोजना के पहले चरण में पुरानी तारबंदी को हटाकर नई स्मार्ट फेंसिंग स्थापित की जा रही है, जबकि अगले चरणों में और अधिक तकनीकी उन्नयन और बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है।

स्मार्ट फेंसिंग परियोजना न केवल सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगी, बल्कि स्थानीय समुदायों के लिए भी सकारात्मक प्रभाव डालेगी। सड़क निर्माण और बुनियादी ढांचे के विकास से स्थानीय लोगों की आवाजाही और आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। साथ ही, यह परियोजना सीमा पर रहने वाले लोगों में सुरक्षा की भावना को बढ़ाएगी।

भविष्य में, इस परियोजना को अन्य सीमावर्ती राज्यों, जैसे गुजरात और पंजाब, तक विस्तारित करने की योजना है। इसके अलावा, सरकार और बीएसएफ अन्य नवीन तकनीकों, जैसे ड्रोन-रोधी प्रणालियों और साइबर सुरक्षा उपायों, को भी शामिल करने पर विचार कर रहे हैं, ताकि सीमा पर हर तरह के खतरे से निपटा जा सके।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ