"राजस्थान में आंगनबाड़ी केंद्रों पर बड़ा बदलाव:गर्भवती-धात्री महिलाओं को पोषाहार के लिए नई शर्तें"
1 जुलाई 2025 से राजस्थान के आंगनबाड़ी केंद्रों पर 5.50 लाख गर्भवती और धात्री महिलाओं को पोषाहार (दलिया, खिचड़ी आदि) के लिए फेस वेरिफिकेशन और e-KYC अनिवार्य होगा। बिना सत्यापन के पोषाहार नहीं मिलेगा, जिससे 6 महीने से 3 साल के बच्चे भी प्रभावित होंगे। यह कदम पारदर्शिता और कालाबाजारी रोकने के लिए है। साथ ही, 'सुपोषण न्यूट्री किट' योजना शुरू होगी, जिसमें गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक किट दी जाएगी।

राजस्थान के आंगनबाड़ी केंद्रों में 1 जुलाई 2025 से पोषाहार वितरण की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब गर्भवती और धात्री महिलाओं (जो अपने बच्चों को स्तनपान कराती हैं) को पोषाहार प्राप्त करने के लिए अपनी पहचान सत्यापित करानी होगी। इस नई व्यवस्था के तहत, लाभार्थियों को ई-केवाईसी (e-KYC) और फेस वेरिफिकेशन से गुजरना होगा। इसके बिना उन्हें पोषाहार जैसे दलिया, खिचड़ी और अन्य पौष्टिक पैकेट नहीं मिलेंगे। इस बदलाव का असर राज्य की करीब 5.50 लाख गर्भवती और धात्री महिलाओं पर पड़ सकता है, जो अब तक इन केंद्रों से पोषाहार प्राप्त कर रही थीं। साथ ही, 6 महीने से 3 साल तक के उन बच्चों को भी पोषाहार नहीं मिलेगा, जिनके अभिभावक इस नई प्रक्रिया को पूरा नहीं करेंगे।
कारण:
महिला एवं बाल विकास विभाग ने यह कदम पोषाहार वितरण में पारदर्शिता लाने और कालाबाजारी को रोकने के लिए उठाया है। पहले कई बार ऐसी शिकायतें सामने आई थीं कि पोषाहार गलत हाथों में पहुंच रहा था या अपात्र लोग इसका लाभ उठा रहे थे। इस समस्या को दूर करने के लिए सरकार ने फेस रिकग्निशन और ओटीपी आधारित सत्यापन प्रणाली लागू की है।
नई व्यवस्था के तहत:
पहचान सत्यापन अनिवार्य: लाभार्थी को आंगनबाड़ी केंद्र पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होकर फेस वेरिफिकेशन कराना होगा। इसके साथ ही उनके रजिस्टर्ड मोबाइल नंबर पर आने वाले ओटीपी को पोषण ट्रैकर ऐप में दर्ज करना होगा।
प्रशिक्षण और तैयारी: आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को इस नई प्रणाली के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है ताकि सत्यापन प्रक्रिया में कोई तकनीकी समस्या न आए।
बच्चों के लिए भी लागू होगी व्यवस्था: भविष्य में इस सिस्टम को 6 महीने से 3 साल और 3 से 6 साल तक के बच्चों के लिए भी लागू करने की योजना है।
पोषाहार का विवरण:
पोषाहार योजना के तहत गर्भवती और धात्री महिलाओं को निम्नलिखित सामग्री दी जाती है:
1400 ग्राम फोर्टिफाइड मीठा दलिया
फोर्टिफाइड मूंग दाल
चावल और खिचड़ी
700 ग्राम फोर्टिफाइड सादा गेहूं और दलिया
इसके अलावा, 7 महीने से 3 साल तक के बच्चों के लिए दलिया, खिचड़ी और बालाहार जैसे पौष्टिक आहार दिए जाते हैं।
नई सुपोषण न्यूट्री किट योजना:
इसके साथ ही, राजस्थान सरकार ने गर्भवती महिलाओं के लिए 'सुपोषण न्यूट्री किट' योजना की घोषणा की है, जो जुलाई 2025 से शुरू होगी। इस योजना के तहत 2.35 लाख गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक किट दी जाएगी, जिसमें देसी घी, मखाने, खजूर, गुड़, भुने चने और मूंगफली जैसे पोषक तत्वों से भरपूर सामग्री होगी। इस किट का वजन लगभग 3 किलो होगा और यह गर्भावस्था के पांचवें और नौवें महीने में दो बार दी जाएगी। इसके लिए 25 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया है, जिसमें प्रति लाभार्थी 1064 रुपये खर्च होंगे।
प्रभाव और चुनौतियां:
लाभ: इस नई व्यवस्था से पोषाहार का सही लाभार्थियों तक पहुंचना सुनिश्चित होगा और कालाबाजारी पर रोक लगेगी। यह कदम मां और बच्चे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मददगार होगा।
चुनौतियां: कई ग्रामीण क्षेत्रों में तकनीकी जागरूकता और स्मार्टफोन की उपलब्धता कम होने के कारण फेस वेरिफिकेशन और ओटीपी सिस्टम लागू करने में दिक्कतें आ सकती हैं। इसके अलावा, कुछ लाभार्थियों को आंगनबाड़ी केंद्रों तक पहुंचने में असुविधा हो सकती है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं का मानदेय: सरकार ने आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, सहायिकाओं और आशा सहयोगिनियों के मानदेय में 20% की वृद्धि की है, जो 1 अप्रैल 2025 से लागू हो चुकी है। उदाहरण के लिए, मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को अब 6470 रुपये और सहायिकाओं को 4890 रुपये प्रतिमाह मिलेंगे
राजस्थान सरकार का यह कदम पोषाहार वितरण में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके सफल क्रियान्वयन के लिए तकनीकी और जमीनी स्तर की चुनौतियों का समाधान जरूरी होगा। गर्भवती और धात्री महिलाओं को यह सुनिश्चित करना होगा कि वे समय पर रजिस्ट्रेशन और सत्यापन प्रक्रिया पूरी करें, ताकि उन्हें और उनके बच्चों को पोषाहार का लाभ मिलता रहे। साथ ही, सुपोषण न्यूट्री किट जैसी योजनाएं मातृ और शिशु स्वास्थ्य को और बेहतर बनाने में सहायक होंगी।