30 के बाद PCOS का बढ़ता जोखिम: लक्षण पहचानें, समाधान अपनाएँ

पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) 30 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन के कारण बढ़ रही समस्या है। इसके लक्षणों में अनियमित मासिक धर्म, अत्यधिक बाल उगना, मुंहासे, मोटापा और बांझपन शामिल हैं। जेनेटिक कारण और खराब जीवनशैली, जैसे अनहेल्दी खानपान, शराब, धूम्रपान, इसके प्रमुख कारण हैं। बचाव के लिए स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम, वजन नियंत्रण, तनाव प्रबंधन और पर्याप्त नींद जरूरी है। लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें। समय पर इलाज और जीवनशैली में बदलाव से PCOS को नियंत्रित किया जा सकता है।

Jun 16, 2025 - 14:08
30 के बाद PCOS का बढ़ता जोखिम: लक्षण पहचानें, समाधान अपनाएँ

आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी और खराब खानपान के कारण महिलाओं में 30 वर्ष की आयु के बाद पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (PCOS) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। यह एक हार्मोनल विकार है, जिसमें अंडाशय में छोटी-छोटी सिस्ट बन जाती हैं, जो हार्मोनल असंतुलन का कारण बनती हैं। PCOS से पीड़ित महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, अत्यधिक बालों का उगना, मुंहासे, और यहां तक कि बांझपन जैसी गंभीर समस्याएं देखी जा सकती हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इस बीमारी से बचाव और नियंत्रण के लिए समय पर जागरूकता और जीवनशैली में बदलाव जरूरी है।

PCOS के कारण

हालांकि PCOS के सटीक कारणों का अभी तक पूरी तरह पता नहीं चल सका है, लेकिन डॉक्टरों का मानना है कि इसके पीछे निम्नलिखित कारक हो सकते हैं:

  1. जेनेटिक कारण: अगर परिवार में किसी को PCOS की समस्या रही है, तो इसके होने की संभावना बढ़ जाती है।

  2. खराब जीवनशैली: अनहेल्दी खानपान, शराब, धूम्रपान, और तनावपूर्ण जीवनशैली PCOS को ट्रिगर कर सकती है।

  3. मोटापा: अधिक वजन या मोटापा हार्मोनल असंतुलन को बढ़ावा देता है, जो PCOS का कारण बन सकता है।

  4. इंसुलिन प्रतिरोध: शरीर में इंसुलिन का असामान्य स्तर भी इस समस्या को बढ़ा सकता है।

PCOS के लक्षण

PCOS के लक्षण शुरुआती दौर में ही दिखाई देने लगते हैं, लेकिन अक्सर महिलाएं इन्हें नजरअंदाज कर देती हैं। इन लक्षणों को समय पर पहचानना जरूरी है, ताकि इलाज जल्द शुरू हो सके। प्रमुख लक्षणों में शामिल हैं:

  • अनियमित मासिक धर्म: मासिक धर्म का अनियमित होना या देरी से आना।

  • असामान्य बाल विकास: चेहरे, छाती या शरीर के अन्य हिस्सों पर अत्यधिक बाल उगना (हिर्सुटिज्म)।

  • मुंहासे और तैलीय त्वचा: हार्मोनल बदलाव के कारण चेहरे पर मुंहासे और त्वचा का तैलीय होना।

  • वजन बढ़ना: अचानक या अनियंत्रित वजन बढ़ना।

  • त्वचा का काला पड़ना: गर्दन, बगल या जांघों के आसपास त्वचा का काला पड़ना।

  • बालों का पतला होना: सिर के बालों का पतला होना या गंजापन।

  • स्किन टैग: त्वचा पर छोटे-छोटे मांस के टुकड़े उभरना।

  • बांझपन: अनुपचारित PCOS के कारण गर्भधारण में कठिनाई।

PCOS का इलाज और बचाव

PCOS का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन इसे जीवनशैली में बदलाव और चिकित्सीय उपचार के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, निम्नलिखित उपाय इस समस्या को कंट्रोल करने में मददगार हो सकते हैं:

  1. स्वस्थ आहार: संतुलित और पौष्टिक भोजन लें। हरी सब्जियां, फल, साबुत अनाज, और प्रोटीन युक्त आहार को प्राथमिकता दें। प्रोसेस्ड फूड और चीनी से बचें।

  2. नियमित व्यायाम: रोजाना 30-40 मिनट का व्यायाम, जैसे योग, वॉकिंग, या स्ट्रेंथ ट्रेनिंग, वजन को नियंत्रित करने और हार्मोनल संतुलन में मदद करता है।

  3. वजन नियंत्रण: अगर आपका वजन अधिक है, तो उसे कम करने का प्रयास करें। 5-10% वजन कम करने से भी PCOS के लक्षणों में सुधार हो सकता है।

  4. तनाव प्रबंधन: तनाव को कम करने के लिए मेडिटेशन, योग, या गहरी सांस लेने की तकनीकों का सहारा लें।

  5. पर्याप्त नींद: 7-8 घंटे की अच्छी नींद हार्मोनल संतुलन के लिए जरूरी है।

  6. धूम्रपान और शराब से दूरी: इनका सेवन बंद करें, क्योंकि ये हार्मोनल असंतुलन को और बढ़ा सकते हैं।

  7. डॉक्टर से संपर्क: लक्षण दिखने पर तुरंत स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। डॉक्टर दवाइयों, जैसे हार्मोनल थेरेपी या इंसुलिन सेंसिटाइज़र, के जरिए इलाज कर सकते हैं।

समय पर इलाज क्यों जरूरी है?

PCOS को नजरअंदाज करने से गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं, जैसे बांझपन, डायबिटीज, हृदय रोग, और गर्भाशय कैंसर का खतरा। समय पर इलाज और जीवनशैली में बदलाव न केवल लक्षणों को नियंत्रित करता है, बल्कि भविष्य में मां बनने की संभावनाओं को भी बढ़ाता है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .