उदयपुर की सोम नदी में डूबा बचपन: तीन मासूम भाई-बहनों की मौत, पुल की कमी ने उजाड़ा परिवार

उदयपुर के लराठी गांव में सोम नदी में डूबने से तीन सगे भाई-बहनों—निरमा (15), खुशबू (12) और कल्पेश (10)—की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा रविवार शाम हुआ, जब बच्चे भैंस की तलाश में नदी पार करने गए। नदी पर पुल न होने और गहरे पानी के कारण यह त्रासदी हुई। ग्रामीणों ने प्रशासन की लापरवाही और बुनियादी सुविधाओं की कमी को जिम्मेदार ठहराया। परिवार और गांव में शोक की लहर है, और लोग नदी पर पुल बनाने की मांग कर रहे हैं।

Jun 9, 2025 - 16:21
उदयपुर की सोम नदी में डूबा बचपन: तीन मासूम भाई-बहनों की मौत, पुल की कमी ने उजाड़ा परिवार

उदयपुर, राजस्थान: उदयपुर जिले के खेरवाड़ा थाना क्षेत्र में स्थित लराठी गांव से एक हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया है। सोम नदी में डूबने से तीन मासूम सगे भाई-बहनों—निरमा मीणा (15), खुशबू मीणा (12) और कल्पेश मीणा (10)— की दर्दनाक मौत हो गई। यह त्रासदी रविवार, 8 जून 2025 की शाम को उस समय हुई, जब तीनों बच्चे अपनी भैंस की तलाश में नदी के पास पहुंचे और गहरे पानी में उतरते ही डूब गए। यह घटना न केवल एक परिवार की अनमोल जिंदगियों का नुकसान है, बल्कि यह प्रशासन की लापरवाही और बुनियादी ढांचे की कमी का क्रूर सबूत भी है।

हादसे की दुखद कहानी

लराठी गांव के निवासी दिनेश मीणा, जो एक छोटी सी चाय की दुकान चलाते हैं, के तीनों बच्चे स्कूल में पढ़ाई के साथ-साथ घर के कामों में भी हाथ बंटाते थे। निरमा दसवीं कक्षा में थी, खुशबू सातवीं और कल्पेश छठी कक्षा में पढ़ता था। रविवार की शाम करीब 6 बजे, तीनों बच्चे गांव के मवेशियों के झुंड के साथ गई अपनी भैंस को ढूंढने निकले। ग्रामीणों के अनुसार, भैंस नदी के उस पार दिखाई दी, जिसे लाने के लिए तीनों ने सोम नदी पार करने की कोशिश की। नदी के किनारे-किनारे चलते हुए वे उस हिस्से में पहुंच गए, जहां पानी अचानक गहरा हो गया। अनजाने में गहरे पानी में उतरने के कारण तीनों बच्चे डूब गए।

परिजनों और ग्रामीणों ने रातभर बच्चों की तलाश की, लेकिन अंधेरा और साधनों की कमी के कारण कोई सफलता नहीं मिली। सोमवार सुबह 6:30 बजे, जब सूरज की किरणें नदी पर पड़ीं, तो ग्रामीणों ने बच्चों के शव पानी में तैरते हुए देखे। खेरवाड़ा थाना पुलिस को सूचना दी गई, और एएसआई दिग्विजय सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने तैराकों की मदद से शवों को बाहर निकाला। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए, लेकिन इस हादसे ने पूरे गांव को गहरे शोक में डुबो दिया।

परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़

दिनेश मीणा के पांच बच्चों में से अब केवल दो—लालचंद (22) और रवीना (6)— ही बचे हैं। इस हादसे ने दिनेश और उनके परिवार को पूरी तरह तोड़ दिया है। गांव के सरपंच लालूराम, जो इस दुखद घटना के गवाह बने, कहते हैं, “ये बच्चे न केवल अपने परिवार का भविष्य थे, बल्कि पूरे गांव की शान थे। उनकी हंसी और मेहनत अब केवल यादों में रह गई है।” गांव में हर तरफ मातम का माहौल है, और लोग इस सदमे से उबरने की कोशिश कर रहे हैं।

पुल की कमी बनी मौत का कारण

यह हादसा केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि प्रशासन की उदासीनता और बुनियादी सुविधाओं की कमी का परिणाम है। लराठी गांव में सोम नदी पर कोई स्थायी पुल नहीं है। नजदीकी पुल करीब 2 किलोमीटर दूर है, जिसके कारण ग्रामीणों को नदी पार करने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ती है। बारिश के मौसम में नदी का जलस्तर बढ़ने पर स्थिति और खतरनाक हो जाती है। ग्रामीणों ने बताया कि बच्चों ने भैंस को लाने के लिए नदी पार करने की कोशिश की, लेकिन गहरे पानी और तेज बहाव ने उन्हें अपनी चपेट में ले लिया।

गांव के पूर्व सरपंच चंद्रपाल मीणा ने गहरे दुख के साथ कहा, “हमने कई बार जिला प्रशासन से नदी पर पुल बनाने की मांग की, लेकिन हर बार केवल आश्वासन मिले। अगर समय रहते पुल बन गया होता, तो शायद आज ये मासूम हमारे बीच होते।” ग्रामीण देवीलाल मीणा ने भी प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा, “यह इलाका आज भी विकास से कोसों दूर है। नदी पार करना हर दिन की चुनौती है, और इस बार इसकी कीमत तीन बच्चों की जिंदगी से चुकानी पड़ी।”

लराठी गांव के निवासियों ने इस त्रासदी के बाद प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि अगर सोम नदी पर एक स्थायी पुल होता, तो यह हादसा टाला जा सकता था। इसके अलावा, नदी के खतरनाक स्थानों पर चेतावनी बोर्ड या बैरिकेडिंग की कमी भी इस घटना का एक बड़ा कारण रही। सरपंच लालूराम ने कहा, “हर बार चुनाव में बड़े-बड़े वादे किए जाते हैं, लेकिन हमारे गांव का हाल वही पुराना है। क्या तीन मासूमों की मौत के बाद भी प्रशासन नहीं जागेगा?”

 हादसे ने न केवल लराठी गांव, बल्कि पूरे उदयपुर जिले में प्रशासनिक लापरवाही के खिलाफ गुस्से को हवा दी है। ग्रामीणों ने मांग की है कि सरकार तुरंत सोम नदी पर एक स्थायी पुल का निर्माण करे और ऐसी खतरनाक जगहों की मैपिंग कर सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करे। साथ ही, पीड़ित परिवार को उचित मुआवजा और सहायता प्रदान करने की मांग भी उठ रही है।

एक सबक, जो खून से लिखा गया 

यह हादसा केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं, बल्कि उन तमाम ग्रामीण इलाकों की हकीकत है, जहां बुनियादी सुविधाओं की कमी आज भी लोगों की जिंदगी छीन रही है। निरमा, खुशबू और कल्पेश की मौत ने एक बार फिर सवाल उठाया है कि आखिर कब तक ग्रामीण भारत विकास के वादों के भरोसे जीता रहेगा? क्या इस त्रासदी के बाद प्रशासन जागेगा और लराठी गांव को वह पुल मिलेगा, जिसकी कमी ने तीन मासूमों की जिंदगी छीन ली? समय ही इसका जवाब देगा, लेकिन तब तक दिनेश मीणा का परिवार और लराठी गांव अपने इस दर्द के साथ अकेले जूझता रहेगा।