राजस्थान हाईकोर्ट ने डीडवाना की ग्रीन बेल्ट भूमि पर सर्किट हाउस निर्माण पर लगाई रोक: मास्टर प्लान का उल्लंघन, कलेक्टर ने बिना प्रक्रिया अपनाए जारी किया आदेश

राजस्थान हाईकोर्ट जोधपुर ने डीडवाना की ग्रीन बेल्ट भूमि पर सर्किट हाउस निर्माण पर रोक लगाई; मास्टर प्लान में आवासीय प्रावधान था लेकिन कलेक्टर ने बिना प्रक्रिया पूरी किए आदेश दिया, याचिका पर यथा स्थिति बनाए रखने का निर्देश।

Nov 7, 2025 - 11:00
राजस्थान हाईकोर्ट ने डीडवाना की ग्रीन बेल्ट भूमि पर सर्किट हाउस निर्माण पर लगाई रोक: मास्टर प्लान का उल्लंघन, कलेक्टर ने बिना प्रक्रिया अपनाए जारी किया आदेश

जोधपुर, 7 नवंबर 2025: राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर बेंच ने नागौर जिले के डीडवाना क्षेत्र में ग्रीन बेल्ट के रूप में चिह्नित एक भूमि पर सर्किट हाउस के निर्माण पर तत्काल रोक लगा दी है। जस्टिस (डॉ.)

नूपुर भाटी की एकलपीठ ने इस मामले में दायर सिविल रिट पिटिशन पर सुनवाई करते हुए यथास्थिति बनाए रखने का सख्त आदेश जारी किया है। कोर्ट ने राज्य सरकार और संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया है। यह फैसला पर्यावरण संरक्षण और शहरी नियोजन के नियमों के पालन को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

मामले का पृष्ठभूमि और विवाद का केंद्र;  यह विवाद डीडवाना तहसील के शेखा बासनी गांव में स्थित लगभग 10 बीघा भूमि से जुड़ा है, जिसे डीडवाना-कुचामन सिटी के मास्टर प्लान 2025 के तहत स्पष्ट रूप से "ग्रीन बेल्ट" के रूप में चिह्नित किया गया है। ग्रीन बेल्ट का मतलब है कि यह क्षेत्र हरित पट्टी के रूप में संरक्षित है, जहां कोई भी निर्माण कार्य—चाहे वह आवासीय हो या व्यावसायिक—वर्जित है। इसका उद्देश्य शहर के विस्तार को नियंत्रित करना, पर्यावरण संतुलन बनाए रखना और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटना है।हालांकि, मास्टर प्लान में इस भूमि पर आवासीय विकास का कोई प्रावधान नहीं है, फिर भी नागौर जिले के कलेक्टर ने बिना किसी औपचारिक प्रक्रिया अपनाए सर्किट के निर्माण का आदेश जारी कर दिया। याचिकाकर्ताओं के अनुसार, कलेक्टर ने 15 अक्टूबर 2025 को एक संक्षिप्त नोटिस के माध्यम से निर्माण कार्य शुरू करने की अनुमति दे दी, जिसमें न तो पर्यावरण प्रभाव मूल्यांकन (EIA) किया गया, न ही स्थानीय निवासियों या विशेषज्ञों से परामर्श लिया गया। इससे न केवल मास्टर प्लान का उल्लंघन हुआ, बल्कि ग्रीन बेल्ट की संरक्षा को भी खतरा पैदा हो गया।याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट में दावा किया कि यह भूमि उनके पूर्वजों की पैतृक संपत्ति है, जो दशकों से कृषि और हरित क्षेत्र के रूप में उपयोग में है। निर्माण से न केवल उनकी आजीविका प्रभावित होगी, बल्कि आसपास के जल स्रोतों और जैव विविधता को भी नुकसान पहुंचेगा। डीडवाना क्षेत्र पहले से ही सूखाग्रस्त है, और ग्रीन बेल्ट का विनाश मिट्टी क्षरण तथा बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं को बढ़ावा दे सकता है।

याचिकाकर्ता: स्थानीय निवासियों की आवाज इस सिविल रिट पिटिशन को डीडवाना के शेखा बासनी गांव के चार स्थानीय निवासियों—मोहम्मद यूनुस खान, मोहम्मद यूसुफ, रुस्तम खान और लियाकत खान—ने दायर की है। ये सभी याचिकाकर्ता उस भूमि के निकटवर्ती किसान और निवासी हैं, जिनकी आजीविका मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर है। उन्होंने कोर्ट में शपथ-पत्र के माध्यम से बताया कि कलेक्टर का आदेश बिना किसी सार्वजनिक सुनवाई या तकनीकी समिति की सिफारिश के जारी किया गया, जो राजस्थान नगरपालिका अधिनियम 2009 और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 का स्पष्ट उल्लंघन है।याचिकाकर्ताओं के वकील, एडवोकेट अब्दुल गफ्फार ने तर्क दिया कि सर्किट हाउस जैसे सार्वजनिक निर्माण के लिए भी वैकल्पिक भूमि उपलब्ध हैं, जैसे कि शहर के बाहरी इलाकों में पहले से चिह्नित गैर-हरित क्षेत्र। उन्होंने मास्टर प्लान की प्रति कोर्ट में पेश की, जिसमें ग्रीन बेल्ट को "नो डेवलपमेंट जोन" घोषित किया गया है। वकील ने चेतावनी दी कि यदि निर्माण कार्य जारी रहा, तो यह अपरिवर्तनीय क्षति पहुंचाएगा, जिसकी भरपाई बाद में संभव नहीं होगी।

कोर्ट की कार्यवाही और आदेश;  हाईकोर्ट में सुनवाई 5 नवंबर 2025 को हुई, जब जस्टिस नूपुर भाटी ने राज्य सरकार के प्रतिनिधियों से स्पष्टीकरण मांगा। कोर्ट ने पाया कि प्रशासनिक पक्ष ने कोई ठोस दस्तावेज पेश नहीं किए, जो निर्माण की वैधता साबित करें। जस्टिस भाटी ने टिप्पणी की, "मास्टर प्लान एक वैधानिक दस्तावेज है, जिसका उल्लंघन प्रशासनिक मनमानी को दर्शाता है। पर्यावरण संरक्षण अब मौलिक अधिकार का हिस्सा है, और इसका दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।"कोर्ट ने निम्नलिखित आदेश जारी किए:

यथास्थिति बनाए रखें: भूमि पर किसी भी प्रकार का निर्माण कार्य तत्काल प्रभाव से रोका जाए। कोई मशीनरी या सामग्री नहीं ले जाई जाएगी। 

नोटिस जारी: राज्य सरकार, नागौर कलेक्टर, डीडवाना-कुचामन विकास प्राधिकरण (DUDP) और अन्य संबंधित अधिकारियों को चार सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश।

अगली सुनवाई: मामले की अगली सुनवाई 3 दिसंबर 2025 को निर्धारित की गई है।

यह आदेश पर्यावरण कार्यकर्ताओं के बीच सराहनीय माना जा रहा है, जो अक्सर शहरीकरण के नाम पर हरित क्षेत्रों के अतिक्रमण के खिलाफ लड़ते हैं।

प्रशासन का पक्ष और संभावित प्रभाव;  राज्य सरकार के वकील ने प्रारंभिक सुनवाई में तर्क दिया कि सर्किट हाउस का निर्माण "सार्वजनिक हित" में है, जो जिला अधिकारियों और न्यायिक यात्रियों के लिए आवश्यक सुविधा प्रदान करेगा। उन्होंने दावा किया कि भूमि का उपयोग अस्थायी होगा और पर्यावरण को न्यूनतम नुकसान पहुंचेगा। हालांकि, कोर्ट ने इस दलील को खारिज करते हुए कहा कि सार्वजनिक हित का दावा बिना कानूनी प्रक्रिया के अमान्य है।इस फैसले के व्यापक प्रभाव हो सकते हैं। एक ओर, यह राजस्थान के अन्य जिलों में ग्रीन बेल्ट उल्लंघनों पर नजर रखने का संकेत देता है, जहां तेजी से शहरीकरण के कारण हरित क्षेत्र सिकुड़ रहे हैं। दूसरी ओर, यदि कोर्ट का आदेश बरकरार रहा, तो डीडवाना प्रशासन को वैकल्पिक स्थल तलाशना पड़ेगा, जो बजट और समय की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण हो सकता है। पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय मास्टर प्लान जैसे दस्तावेजों को मजबूत बनाएगा और स्थानीय समुदायों को अपनी भूमि की रक्षा करने का अधिकार देगा।