राजस्थान में मनरेगा में 1200 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ा: फर्जी अटेंडेंस दिखाकर मोटा पैसा उठा रहे थे मेट; 5 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को नोटिस

May 5, 2025 - 12:26
राजस्थान में मनरेगा में 1200 करोड़ का फर्जीवाड़ा पकड़ा: फर्जी अटेंडेंस दिखाकर मोटा पैसा उठा रहे थे मेट; 5 हजार से ज्यादा कर्मचारियों को नोटिस

जयपुर, 4 मई 2025: राजस्थान में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत 1200 करोड़ रुपये का बड़ा घोटाला सामने आया है। तकनीकी जांच के माध्यम से इस फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ, जिसमें फर्जी अटेंडेंस और मजदूरों के नाम पर गलत तरीके से भुगतान जैसी गड़बड़ियां पकड़ी गईं। इस मामले में 5,000 से अधिक मनरेगा कर्मचारियों, खासकर मेट्स (कार्यस्थल पर मजदूरों की निगरानी करने वाले कर्मचारी) को नोटिस जारी किए गए हैं। राज्य सरकार ने इस घोटाले की गहन जांच के आदेश दे दिए हैं।

फर्जीवाड़े का खुलासा: तकनीक ने खोली पोल

मनरेगा योजना के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार प्रदान करने के लिए मजदूरों की उपस्थिति और कार्य का रिकॉर्ड डिजिटल रूप से रखा जाता है। हाल ही में सरकार ने तकनीकी उपायों, जैसे कि नेशनल मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम (NMMS) और आधार-लिंक्ड भुगतान प्रणाली की मदद से भुगतान और अटेंडेंस की जांच शुरू की। इस जांच में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। कई मामलों में एक ही व्यक्ति को कई कार्यस्थलों पर एक साथ काम करते दिखाया गया, जबकि कुछ फर्जी मजदूरों के नाम पर भुगतान किए जा रहे थे। 

सूत्रों के अनुसार, मेट्स ने फर्जी अटेंडेंस रजिस्टर तैयार कर मजदूरों की गलत उपस्थिति दर्ज की और इसके आधार पर सरकारी धन का गबन किया। कुछ मामलों में, जिन लोगों ने कभी मनरेगा के तहत काम नहीं किया, उनके नाम पर भी भुगतान किए गए। इस तरह से करोड़ों रुपये की राशि गलत तरीके से निकाली गई।

1200 करोड़ का घोटाला: कैसे हुआ खेल?

जांच में पाया गया कि यह घोटाला कई जिलों में फैला हुआ है, जिनमें जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, और उदयपुर जैसे प्रमुख जिले शामिल हैं। मेट्स और कुछ स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से यह फर्जीवाड़ा लंबे समय से चल रहा था। प्रमुख अनियमितताओं में शामिल हैं:

- फर्जी मजदूरों का रजिस्ट्रेशन: गैर-मौजूद व्यक्तियों के नाम पर जॉब कार्ड बनाए गए।

- एक व्यक्ति, कई कार्यस्थल: एक ही मजदूर को एक दिन में कई जगहों पर काम करते दिखाया गया, जो संभव नहीं है।

- फर्जी अटेंडेंस: मेट्स द्वारा मजदूरों की उपस्थिति को गलत तरीके से दर्ज किया गया, जिसके आधार पर भुगतान स्वीकृत हुआ।

- आधार और बैंक खातों का दुरुपयोग: फर्जी आधार नंबरों और बैंक खातों के जरिए पैसे ट्रांसफर किए गए।

इस घोटाले की राशि 1200 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है, जो मनरेगा के तहत राजस्थान में आवंटित बजट का एक बड़ा हिस्सा है। यह राशि ग्रामीण विकास और रोजगार सृजन के लिए थी, लेकिन इसका दुरुपयोग होने से गरीब मजदूरों के हक पर डाका डाला गया।

 5,000 से अधिक कर्मचारियों को नोटिस

घोटाले के खुलासे के बाद सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। 5,000 से अधिक मनरेगा कर्मचारियों, जिनमें ज्यादातर मेट्स शामिल हैं, को नोटिस जारी किए गए हैं। इन कर्मचारियों से जवाब मांगा गया है कि उनके द्वारा दर्ज की गई अटेंडेंस और भुगतान में अनियमितताएं क्यों पाई गईं। नोटिस में चेतावनी दी गई है कि दोषी पाए जाने पर न केवल नौकरी से बर्खास्तगी, बल्कि कानूनी कार्रवाई और गबन की गई राशि की वसूली भी की जाएगी।

सरकार का रुख: जांच और सख्त कार्रवाई

राजस्थान सरकार ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। मुख्यमंत्री ने इस घोटाले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) गठित करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही, ग्रामीण विकास विभाग को निर्देश दिया गया है कि मनरेगा के तहत सभी कार्यों की दोबारा जांच की जाए। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि दोषियों को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाएगा।

ग्रामीण विकास मंत्री ने एक बयान में कहा, "मनरेगा गरीबों के लिए एक महत्वपूर्ण योजना है, और इसका दुरुपयोग बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हमने तकनीक के माध्यम से इस घोटाले को पकड़ा है और आगे भी ऐसी गड़बड़ियों को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएंगे।"

 पहले भी सामने आए हैं मनरेगा घोटाले

यह पहली बार नहीं है जब मनरेगा में अनियमितताएं सामने आई हैं। हाल ही में कर्नाटक के यदगीर जिले में एक मामला सामने आया था, जहां पुरुषों ने साड़ी पहनकर फर्जी अटेंडेंस दर्ज की थी और 3 लाख रुपये की राशि हड़पी थी।

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ