कोटा में भामाशाह मंडी के गेट 2 पर किसानों का हंगामा: एंट्री में देरी से भड़के किसान, ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लगी लंबी कतारें

कोटा की भामाशाह मंडी में गेट 2 पर तय समय पर एंट्री न मिलने से किसानों ने हंगामा किया, ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लंबी कतारें लगीं, डेढ़ घंटे बाद गेट खुले।

Nov 13, 2025 - 14:07
कोटा में भामाशाह मंडी के गेट 2 पर किसानों का हंगामा: एंट्री में देरी से भड़के किसान, ट्रैक्टर-ट्रॉलियों की लगी लंबी कतारें

 शहर की प्रमुख भामाशाह सब्जी-फल मंडी में बुधवार को उस समय हंगामा मच गया, जब तय समय पर किसानों को एंट्री नहीं मिली। मंडी के गेट नंबर 2 के बाहर सैकड़ों ट्रैक्टर-ट्रॉलियां खड़ी हो गईं, जिससे लंबी कतारें लग गईं। गुस्साए किसानों ने मंडी प्रशासन के खिलाफ जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। यह स्थिति करीब डेढ़ घंटे तक बनी रही, जिसके बाद मंडी प्रशासन ने गेट खोल दिए और किसानों को अंदर प्रवेश करने दिया गया। मंडी सचिव ने जगह की कमी और जिंसों की लोडिंग-अनलोडिंग को इसका मुख्य कारण बताया।

घटना का विवरण: कैसे शुरू हुआ हंगामा?  भामाशाह मंडी कोटा की सबसे बड़ी थोक सब्जी-फल मंडी है, जहां रोजाना सैकड़ों किसान अपनी उपज बेचने आते हैं। सामान्यत: मंडी के गेट सुबह तय समय पर खुलते हैं, ताकि किसान अपनी ट्रैक्टर-ट्रॉलियां अंदर ले जाकर जिंस उतार सकें। लेकिन बुधवार को गेट नंबर 2 पर सुबह से ही ताला लगा रहा। किसानों का कहना था कि उन्हें सुबह 10 बजे से एंट्री मिलनी थी, लेकिन घंटों इंतजार के बाद भी गेट नहीं खुले।किसानों की शिकायत: बाहर खड़े किसानों ने आरोप लगाया कि मंडी प्रशासन की लापरवाही के कारण उनकी उपज खराब होने का खतरा बढ़ गया। कई किसानों की ट्रॉलियों में ताजी सब्जियां और फल लदे थे, जो गर्मी में जल्दी खराब हो सकते थे। एक किसान ने कहा, "हम दूर-दराज के गांवों से आए हैं। समय पर एंट्री नहीं मिली तो नुकसान कौन भरेगा?" 

नारेबाजी और कतारें: गेट के बाहर करीब 200 से अधिक ट्रैक्टर-ट्रॉलियां खड़ी हो गईं, जिससे मुख्य सड़क पर जाम जैसी स्थिति बन गई। किसानों ने 'मंडी प्रशासन मुर्दाबाद', 'एंट्री दो-एंट्री दो' जैसे नारे लगाए। कुछ किसानों ने मंडी सचिव मनोज मीणा के इस्तीफे की मांग भी की। हंगामा बढ़ता देख मंडी के सुरक्षा कर्मी और पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे, लेकिन उन्होंने किसानों को समझा-बुझाकर शांत करने की कोशिश की।

मंडी प्रशासन का पक्ष: जगह की कमी मुख्य वजहमंडी सचिव मनोज मीणा ने घटना पर सफाई देते हुए कहा कि हंगामा अनावश्यक था। उनके अनुसार:मंडी परिसर में जिंसों की लोडिंग-अनलोडिंग का काम चल रहा था, जिसके कारण जगह की भारी कमी हो गई। बाहर से आने वाली नई ट्रॉलियों को अंदर जगह नहीं मिल पा रही थी, इसलिए गेट बंद रखना पड़ा।जिंसों के उठाव (खरीदारों द्वारा माल ले जाने) के बाद सुबह 11:30 बजे गेट खोल दिए गए। इससे पहले की देरी के लिए खेद व्यक्त किया गया। मीणा ने आगे बताया कि मंडी में रोजाना हजारों टन सब्जी-फल की आवक होती है, और वर्तमान बुनियादी ढांचा इस भार को संभालने में असमर्थ हो रहा है। "हम कोशिश कर रहे हैं कि भविष्य में ऐसी समस्या न हो। जगह बढ़ाने के लिए प्रस्ताव भेजे गए हैं," उन्होंने कहा।

प्रभाव और किसानों की मांगें;  किसानों का नुकसान: देरी से कई किसानों की उपज को नुकसान पहुंचा। कुछ ट्रॉलियों में रखी सब्जियां गर्मी से मुरझा गईं, जिससे बाजार भाव कम मिलने की आशंका जताई जा रही है।,व्यापारियों का कहना: मंडी के अंदर मौजूद कुछ व्यापारियों ने बताया कि लोडिंग-अनलोडिंग में देरी से पूरे दिन का कारोबार प्रभावित हुआ।,किसानों की मांग: हंगामे के दौरान किसानों ने मंडी में अतिरिक्त गेट खोलने, पार्किंग की व्यवस्था सुधारने और समयबद्ध एंट्री की मांग की। कुछ ने स्थानीय प्रशासन से मंडी विस्तार की पुरानी मांग दोहराई।

पृष्ठभूमि: भामाशाह मंडी की समस्याएं भामाशाह मंडी कोटा जिले के किसानों के लिए जीवनरेखा है। यहां से रोजाना राजस्थान सहित पड़ोसी राज्यों में सब्जी-फल सप्लाई होती है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से जगह की कमी, ट्रैफिक जाम और एंट्री सिस्टम की खामियां बार-बार विवाद का कारण बन रही हैं। इससे पहले भी कई बार किसानों ने प्रदर्शन किए हैं। स्थानीय कृषि विभाग के अधिकारी मानते हैं कि मंडी का विस्तार जरूरी है, लेकिन बजट और जमीन की कमी बाधा बन रही है।