"कंबोडिया में बंधक बाड़मेर का युवक:विदेश मंत्रालय और दूतावास की त्वरित कार्रवाई से बची जान

बाड़मेर, राजस्थान बायतु के अकदड़ा गांव के युवक रेखाराम को कंबोडिया में नौकरी के लिए भेजा गया था, लेकिन वहां एक चीनी कंपनी ने उसे बंधक बना लिया। कंपनी ने उसके दस्तावेज छीन लिए, खाना-पानी बंद कर दिया और अत्याचार किया। रेखाराम ने अपने पिता दीपाराम को फोन कर मदद मांगी। पिता ने विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा, जिसके बाद भारतीय दूतावास ने रेस्क्यू ऑपरेशन चलाकर रेखाराम को मुक्त कराया। वह जल्द भारत लौटेगा।

Jun 19, 2025 - 09:44

बाड़मेर, राजस्थान के एक युवक की विदेश में नौकरी की चाहत उसे एक भयावह अनुभव में बदल गई, जब उसे कंबोडिया में बंधक बना लिया गया। लेकिन भारतीय विदेश मंत्रालय और कंबोडिया में भारतीय दूतावास की त्वरित और समन्वित कार्रवाई ने उसकी जान बचाई। यह कहानी न केवल एक भारतीय नागरिक के साथ हुए अन्याय को उजागर करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि कैसे भारत सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास करती है।

क्या है पूरा मामला?

बाड़मेर जिले के बायतु क्षेत्र के अकदड़ा गांव निवासी रेखाराम, एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाला युवक, बेहतर आजीविका की तलाश में विदेश जाने का सपना देखता था। इस सपने को पूरा करने के लिए उसने एक एजेंट के जरिए कंबोडिया में मजदूरी का काम हासिल किया। 11 मई 2025 को वह बैंगलोर से बैंकॉक होते हुए कंबोडिया की राजधानी नोम पेन्ह पहुंचा। उसे एक चीनी कंपनी में काम पर रखा गया, जहां शुरूआत में सब ठीक लग रहा था।

लेकिन 17 जून 2025 को रेखाराम ने अपने पिता दीपाराम को एक परेशान करने वाला फोन किया। उसने बताया कि कंपनी ने उसे नौकरी से निकाल दिया है और बंधक बना लिया है। रेखाराम ने कहा कि उसके साथ अत्याचार हो रहा है, उसे खाना-पानी देना बंद कर दिया गया है, और उसके वीजा सहित सभी महत्वपूर्ण दस्तावेज छीन लिए गए हैं। उसने सोशल मीडिया के जरिए अपनी लोकेशन भेजी, लेकिन उसे यह भी नहीं पता था कि वह कहां है। रेखाराम ने अपने पिता से गुहार लगाई कि उसे जल्द से जल्द वहां से निकाला जाए, क्योंकि कंपनी के लोग उसके साथ मारपीट कर रहे हैं। उसने यह भी बताया कि उसका फोन कभी भी छीना जा सकता है।

पिता की पुकार और विदेश मंत्रालय की कार्रवाई

रेखाराम के इस कॉल ने उसके पिता दीपाराम को हिलाकर रख दिया। उन्होंने तुरंत विदेश मंत्री को पत्र लिखकर अपने बेटे को सकुशल भारत वापस लाने की अपील की। पत्र में उन्होंने बताया कि रेखाराम को एक एजेंट ने विदेश में नौकरी का झांसा देकर भेजा था, और अब वह अमानवीय परिस्थितियों में फंसा हुआ है। दीपाराम ने रेखाराम की कॉल की रिकॉर्डिंग को भी ई-मेल के जरिए विदेश मंत्रालय को भेजा, ताकि मामले की गंभीरता को समझा जा सके।

विदेश मंत्रालय ने इस मामले को गंभीरता से लिया और तुरंत कंबोडिया में भारतीय दूतावास से संपर्क किया। दूतावास ने स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर रेखाराम को मुक्त कराने की प्रक्रिया शुरू की। इस बीच, रेखाराम ने एक बार फिर संदेश भेजा कि वह कॉल नहीं उठा सकता, क्योंकि कंपनी के लोग उसके आसपास हैं, और उसने मदद की गुहार लगाई।

रेस्क्यू ऑपरेशन

भारतीय दूतावास ने कंबोडिया की स्थानीय पुलिस और अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर एक समन्वित रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया। उनकी मेहनत रंग लाई, और रेखाराम को आखिरकार बंधन से मुक्त करा लिया गया। दूतावास के अनुसार, रेखाराम को सुरक्षित निकाल लिया गया है और वह 20 जून 2025 तक नोम पेन्ह पहुंच जाएगा, जहां से उसे भारत वापस लाने की व्यवस्था की जाएगी।

साइबर ठगी और मानव तस्करी का खतरा

रेखाराम का मामला उन कई भारतीय युवाओं की कहानियों में से एक है, जो विदेश में नौकरी के नाम पर ठगी और मानव तस्करी का शिकार हो रहे हैं। कंबोडिया, म्यांमार, थाईलैंड और लाओस जैसे देशों में भारतीय युवकों को फर्जी नौकरी के ऑफर देकर बुलाया जाता है, और फिर उन्हें बंधक बनाकर साइबर ठगी जैसे गैरकानूनी कामों में धकेल दिया जाता है। रेखाराम के मामले में यह स्पष्ट नहीं है कि उसे साइबर ठगी के लिए मजबूर किया गया था या नहीं, लेकिन उसकी स्थिति दर्शाती है कि कैसे बेरोजगार युवाओं को आसानी से निशाना बनाया जाता है।

सरकार की सख्ती और सलाह

भारत सरकार ने ऐसे मामलों पर लगाम लगाने के लिए कई कदम उठाए हैं। गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय, और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) मानव तस्करी और साइबर ठगी के नेटवर्क को तोड़ने के लिए लगातार काम कर रहे हैं। सरकार ने युवाओं को सलाह दी है कि वे विदेश में नौकरी के ऑफर की सत्यता जांचे बिना किसी एजेंट पर भरोसा न करें। साथ ही, विदेश यात्रा से पहले भारतीय दूतावास में अपने विवरण दर्ज कराने की सलाह भी दी जाती है, ताकि आपात स्थिति में मदद मिल सके।

एक उम्मीद की किरण

रेखाराम की कहानी एक डरावने अनुभव से शुरू हुई, लेकिन भारतीय सरकार और दूतावास की त्वरित कार्रवाई ने इसे सुखद अंत की ओर ले जाया। यह घटना उन सभी भारतीयों के लिए एक सबक है जो विदेश में नौकरी की तलाश में हैं। साथ ही, यह भारत सरकार की उस प्रतिबद्धता को दर्शाता है, जो अपने नागरिकों को दुनिया के किसी भी कोने में सुरक्षित रखने के लिए हर संभव प्रयास करती है।

रेखाराम के परिवार को अब अपने बेटे के सकुशल वापसी का इंतजार है, और इस घटना ने एक बार फिर विदेश में फंसे भारतीयों को बचाने के लिए सरकार की सक्रियता को सामने लाया है।