जोधपुर में रेजिडेंट डॉक्टर राकेश विश्नोई आत्महत्या मामला: रेजिडेंट चिकित्सकों का पूर्ण कार्य बहिष्कार, HOD को हटाने की मांग तेज
जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉ. राकेश विश्नोई की आत्महत्या के सात दिन बाद भी कार्रवाई न होने से 590 रेजिडेंट चिकित्सकों ने पूर्ण कार्य बहिष्कार शुरू किया। आपातकालीन सेवाएं इससे मुक्त हैं। RDA, बिश्नोई समाज और परिजन HOD डॉ. राजकुमार राठौड़ को हटाने और निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। जयपुर में भी धरना जारी है। मेडिकल कॉलेज प्रशासन वैकल्पिक इंतजाम कर रहा है, लेकिन चिकित्सा सेवाएं बाधित हो सकती हैं।

जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में रेजिडेंट डॉक्टर राकेश विश्नोई की आत्महत्या के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस घटना के सात दिन बीत जाने के बावजूद कोई ठोस कार्रवाई नहीं होने से नाराज़ रेजिडेंट चिकित्सकों ने पूर्ण कार्य बहिष्कार शुरू कर दिया है। हालांकि, आपातकालीन सेवाओं को इस बहिष्कार से बाहर रखा गया है ताकि मरीजों को तत्काल इलाज में परेशानी न हो। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन (RDA), बिश्नोई समाज और परिजनों की एकमात्र मांग है कि फार्माकोलॉजी विभाग के HOD डॉ. राजकुमार राठौड़ को तत्काल पद से हटाया जाए और मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक समिति गठित की जाए ताकि आत्महत्या के पीछे के कारणों का पता लगाया जा सके।
मामले का विवरण
डॉ. राकेश विश्नोई, जोधपुर के डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में फार्माकोलॉजी विभाग में पीजी तृतीय वर्ष के छात्र थे। 13 जून 2025 को उन्होंने मथुरादास माथुर अस्पताल के हॉस्टल में सल्फास की गोलियां खाकर आत्महत्या का प्रयास किया। गंभीर हालत में उन्हें जयपुर के एसएमएस अस्पताल रेफर किया गया, जहां 14 जून की रात उनकी मृत्यु हो गई। मृत्यु से पहले राकेश ने एक वीडियो बयान में HOD डॉ. राजकुमार राठौड़ पर थीसिस सबमिशन को लेकर मानसिक प्रताड़ना और दबाव डालने का आरोप लगाया। उनके भाई सुभाष बिश्नोई ने शास्त्रीनगर थाने में डॉ. राठौड़ के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कराया।
रेजिडेंट चिकित्सकों का आक्रोश और कार्य बहिष्कार
डॉ. एसएन मेडिकल कॉलेज में कुल 590 रेजिडेंट चिकित्सक कार्यरत हैं, और इस मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई की मांग को लेकर सभी ने एकजुटता दिखाई है। पिछले दो-तीन दिनों से सुबह 8 से 10 बजे तक रेजिडेंट्स पेन-डाउन हड़ताल कर रहे थे, लेकिन 20 जून को उन्होंने पूर्ण कार्य बहिष्कार का ऐलान किया। रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन के महासचिव डॉ. रंजीत चौधरी ने कहा, “जब तक हमारी मांगें पूरी नहीं होतीं, हड़ताल जारी रहेगी। हम डॉ. राकेश को न्याय दिलाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
RDA की प्रमुख मांगें:
HOD डॉ. राजकुमार राठौड़ को तत्काल पद से हटाया जाए।
स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच समिति गठित की जाए।
रेजिडेंट चिकित्सकों के लिए मानसिक सुरक्षा और बेहतर कार्य वातावरण सुनिश्चित किया जाए।
दोषियों पर सख्त कार्रवाई और पीड़ित परिवार को न्याय।
जयपुर में भी धरना-प्रदर्शन
जयपुर के एसएमएस अस्पताल के बाहर डॉ. राकेश के परिजन और रेजिडेंट चिकित्सक पिछले सात दिनों से धरना दे रहे हैं। परिजनों ने शव का अंतिम संस्कार करने से इनकार कर दिया है और मांग की है कि जब तक HOD के खिलाफ कार्रवाई नहीं होती, वे शव नहीं लेंगे। इस धरने में नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, विधायक अभिमन्यु पूनिया, छात्र नेता निर्मल चौधरी और अन्य जनप्रतिनिधि भी शामिल हुए हैं। परिजनों और प्रदर्शनकारियों का कहना है कि यह आत्महत्या नहीं, बल्कि “संस्थागत हत्या” है।
मेडिकल कॉलेज और पुलिस की प्रतिक्रिया
मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने वैकल्पिक इंतजाम शुरू किए हैं ताकि चिकित्सा सेवाएं बाधित न हों। मथुरादास माथुर अस्पताल में सीनियर डॉक्टर्स को ओपीडी, आईपीडी और ट्रॉमा वार्ड में तैनात किया गया है ताकि मरीजों को असुविधा न हो। शास्त्रीनगर थानाधिकारी जुल्फिकार अली ने बताया कि हड़ताल को देखते हुए अस्पताल में पुलिस जाप्ता तैनात किया गया है ताकि कानून-व्यवस्था बनी रहे।
मरीजों पर असर और वैकल्पिक इंतजाम
हड़ताल के कारण मथुरादास माथुर अस्पताल में मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, खासकर ओपीडी सेवाओं में। प्रशासन ने सीनियर डॉक्टर्स और वैकल्पिक स्टाफ को तैनात कर व्यवस्थाओं को सुचारू रखने की कोशिश की है। फिर भी, रेजिडेंट चिकित्सकों की अनुपस्थिति से चिकित्सा सेवाओं पर दबाव बढ़ गया है।
परिजनों और समाज का गुस्सा
डॉ. राकेश के भाई सुभाष बिश्नोई ने कहा, “मेरे भाई ने पुलिस को दिए बयान में साफ बताया कि HOD की प्रताड़ना के कारण उसने यह कदम उठाया। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हो रही।” बिश्नोई समाज और परिजनों ने इसे हत्या करार देते हुए न्यायिक जांच की मांग की है। नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने चिकित्सा व्यवस्था पर सवाल उठाते हुए कहा कि जोधपुर में ECMO मशीन की कमी और प्रशिक्षित स्टाफ न होने के कारण राकेश को जयपुर रेफर करना पड़ा, जिससे उनकी जान नहीं बच सकी।
डॉ. राकेश विश्नोई की आत्महत्या का मामला जोधपुर से जयपुर तक गूंज रहा है। रेजिडेंट चिकित्सकों का पूर्ण कार्य बहिष्कार और परिजनों का धरना-प्रदर्शन इस मामले की गंभीरता को दर्शाता है। RDA और परिजनों की मांग है कि HOD डॉ. राजकुमार राठौड़ को तत्काल पद से हटाया जाए और निष्पक्ष जांच के जरिए सच सामने आए। अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो हड़ताल और धरना अनिश्चितकाल तक जारी रह सकता है, जिससे चिकित्सा सेवाएं और प्रभावित हो सकती हैं।
सुझावित उपाय: प्रशासन को तुरंत एक स्वतंत्र जांच समिति गठित करनी चाहिए और रेजिडेंट चिकित्सकों के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता प्रणाली को मजबूत करना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों।