परिचय: वांगचुक की नजरबंदी पर पत्नी का नया खुलासा
जोधपुर सेंट्रल जेल में राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (एनएसए) के तहत बंद पर्यावरण कार्यकर्ता सोनम वांगचुक की नजरबंदी को आज (27 अक्टूबर 2025) एक महीना हो गया। उनकी पत्नी गीतांजलि अंगमो ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट साझा कर आरोप लगाया कि सरकार उनके पति के शब्दों को तोड़-मरोड़कर उनकी नजरबंदी को जायज ठहराने की कोशिश कर रही है। एडवाइजरी बोर्ड की सुनवाई के बाद उन्होंने इसे "न्याय की विडंबना" और "भारतीय लोकतंत्र का मजाक" बताया, लेकिन वांगचुक के हवाले से कहा, "इंसाफ के घर देरी है, अंधेर नहीं।"
सुनवाई का अपडेट: बोर्ड के समक्ष शब्दों के तोड़-मरोड़ने का आरोप
पिछले सप्ताह जोधपुर जेल में हुई तीन सदस्यीय एडवाइजरी बोर्ड की सुनवाई में वांगचुक ने अपनी बात रखी। बोर्ड, जो जस्टिस (रिटायर्ड) एम.के. हंजुरा के नेतृत्व में लेह प्रशासन द्वारा गठित किया गया, ने नजरबंदी की वैधता की समीक्षा की। वांगचुक ने दावा किया कि उनके बयानों को जानबूझकर संदर्भ से हटाकर, गलत अनुवादित और व्याख्या किया गया ताकि उन्हें लेह हिंसा का उकसाने वाला दिखाया जा सके। गीतांजलि के अनुसार, वीडियो का अनुवाद गलत तरीके से किया गया और सीआरपीएफ, लद्दाख पुलिस व व्यक्तियों के बीच छोटी-मोटी झड़पों को वांगचुक से जोड़ा गया।
गीतांजलि का बयान: लोकतंत्र का मजाक और समर्थन के प्रति आभार
गीतांजलि ने पोस्ट में लिखा कि यह पूरी प्रक्रिया न्याय की कार्रवाई है, लेकिन देरी जरूर हुई। उन्होंने वांगचुक के समर्थकों के प्रति आभार जताया जो दुनिया भर से एकजुट हो रहे हैं। पहले भी उन्होंने भाषणों के गलत अनुवाद का आरोप लगाया था, जिससे वांगचुक को राष्ट्रविरोधी दिखाने की साजिश रची गई। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल हलफनामे में निगरानी की शिकायत की गई थी।
पृष्ठभूमि: लेह हिंसा और एनएसए कार्रवाई का विवाद
24 सितंबर 2025 को लेह में छठी अनुसूची लागू करने की मांग वाले आंदोलन के दौरान हुई हिंसा में चार नागरिक मारे गए थे। वांगचुक को मुख्य आरोपी ठहराकर 26 सितंबर को गिरफ्तार किया गया। लेह प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वांगचुक राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए पूर्वाग्रहपूर्ण गतिविधियों में लिप्त थे। गिरफ्तारी के बाद गीतांजलि ने पुलिस की आलोचना की और कहा कि उनके पति के साथ अपराधी जैसा बर्ताव हो रहा है। वकील प्रशांत भूषण ने भी कार्रवाई को चुनौती दी। कश्मीर मीडिया सर्विस के अनुसार, लद्दाखी नेता जैसे कर्गिल डेमोक्रेटिक एलायंस के सज्जाद कर्गिली ने इसे कठोर कानून बताते हुए रिहाई की मांग की।
सुप्रीम कोर्ट में नई प्रगति: संशोधन की इजाजत, सुनवाई 29 अक्टूबर को
सुप्रीम कोर्ट ने 15 अक्टूबर को गीतांजलि की हेबियस कॉर्पस याचिका में संशोधन की अनुमति दी, जिसमें माला फाइड नजरबंदी का आरोप लगाया गया। जस्टिस अरविंद कुमार और एन.वी. अंजारिया की बेंच ने सुनवाई 29 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी। 14 अक्टूबर को भी समय की कमी से मामला टाला गया था। जेल अधीक्षक ने कोर्ट को बताया कि वांगचुक एकाकी कैद में नहीं हैं। यह प्रगति लद्दाख आंदोलन को नई उम्मीद दे रही है।