सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में उग्र प्रदर्शन, भड़के छात्र कुलपति को 6 घंटे तक घेरे रखा
मोहनलाल सुखाड़िया यूनिवर्सिटी में कुलपति सुनीता मिश्रा के औरंगजेब को "कुशल प्रशासक" बताने वाले बयान से छात्रों में आक्रोश। मंगलवार को छात्रों ने प्रशासनिक भवन लॉक कर वीसी को 6 घंटे बंदी बनाया, पुलिस ने रात 11:30 बजे उन्हें सुरक्षित निकाला।

मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर सुनीता मिश्रा के विवादित बयान को लेकर छात्रों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा। मंगलवार को छात्रों ने प्रशासनिक भवन को लॉक कर दिया, जिसमें वीसी खुद मौजूद थीं। लगभग छह घंटे की मशक्कत के बाद रात 11:30 बजे पुलिस सुरक्षा में उन्हें घर पहुंचाया गया। इस घटना ने विश्वविद्यालय परिसर को हाई अलर्ट पर ला दिया है, जबकि राज्यपाल और राज्य सरकार ने मामले की रिपोर्ट मांग ली है।
औरंगजेब को 'कुशल प्रशासक' बताने वाला बयान
सारा विवाद 12 सितंबर को विश्वविद्यालय के एक कार्यक्रम से शुरू हुआ। कुलपति सुनीता मिश्रा ने ऐतिहासिक संदर्भ में कहा था, "हम महाराणा प्रताप, पृथ्वीराज चौहान और अकबर जैसे कई राजाओं के बारे में सुनते हैं। इनमें कुछ औरंगजेब जैसे कुशल प्रशासक भी थे।" इस बयान को छात्रों ने औरंगजेब की प्रशंसा के रूप में लिया, जो राजपूत इतिहास के संदर्भ में संवेदनशील मुद्दा है।
बयान वायरल होते ही छात्र संगठनों में रोष फैल गया। छात्रों का आरोप है कि यह बयान हिंदू भावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला है। विवाद बढ़ने पर प्रोफेसर मिश्रा ने माफी मांगते हुए स्पष्टीकरण जारी किया। उन्होंने कहा, "मेरा बयान तोड़ा-मरोड़ा गया है। पूरा संदर्भ सुनने पर साफ हो जाएगा कि मैंने औरंगजेब की प्रशंसा नहीं की। मैं मूल रूप से अहिंदी भाषी हूं, इसलिए भाषा में कुछ असमंजस हो सकता है। यदि किसी की भावनाएं आहत हुईं, तो मैं क्षमा मांगती हूं।"
भवन लॉक, वीसी फंसीं
मंगलवार दोपहर छात्रों का जत्था विश्वविद्यालय के प्रशासनिक भवन की ओर बढ़ा। नारेबाजी करते हुए वे पहले होटल मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट पहुंचे, जहां वीसी के स्वागत की सामग्री को तोड़ दिया। इसके बाद आर्ट्स कॉलेज में हंगामा मचा, जहां दोपहर 3 बजे परीक्षा होनी थी। छात्रों ने परीक्षा रोकने की मांग की और प्रशासन पर दबाव बनाया।
शाम 5:30 बजे छात्र नेता वीसी के चैंबर के बाहर चेन गेट पर ताला जड़ दिया। प्रोफेसर मिश्रा अंदर ही फंस गईं। छात्र नेता चेन गेट के बाहर धरने पर बैठ गए। पुलिस ने छात्रों को रोकने की कोशिश की, लेकिन वे अंदर घुस आए। इससे झड़प हुई और पुलिस को छात्रों को धक्का देकर खदेड़ना पड़ा, जिससे आक्रोश और भड़क गया।
देर रात तक प्रदर्शन चला। जब छात्र धीरे-धीरे छंटने लगे, तब पुलिस ने ताला तोड़ा और वीसी को सुरक्षित बाहर निकाला। उनके साथ एडिशनल एसपी उमेश ओझा, एडीएम दीपेंद्र सिंह, सुखेर थानाधिकारी रविंद्र चारण और सविना थानाधिकारी अजयसिंह राव जाब्ते मौजूद थे। छात्रों की एक प्रमुख मांग मान ली गई कि विवाद शांत होने तक वीसी परिसर में नहीं आएंगी।
साजिश का आरोप, छात्रों से अपील
प्रोफेसर मिश्रा ने दैनिक भास्कर को दिए बयान में कहा, "मेरे खिलाफ साजिश रची जा रही है। कुछ अस्थायी और स्थायी कर्मचारी इसमें शामिल हैं, छात्र खुद ऐसा नहीं कर सकते। बयान के कुछ हिस्से ही दिखाए जा रहे हैं।" उन्होंने छात्रों के तोड़फोड़ की निंदा की और कहा, "वे मुझसे मिलने आ सकते हैं, लेकिन हिंसा गलत है।"
उनके कार्यकाल में हुए अन्य विवादों पर भी उन्होंने सफाई दी। राज्यपाल, डिप्टी सीएम और उच्च शिक्षा मंत्री ने विश्वविद्यालय से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है, लेकिन अभी तक कोई आधिकारिक पूछताछ नहीं हुई।
दफ्तर आने पर नहीं छोड़ेंगे
पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष मयूरध्वज सिंह, रौनकराज सिंह, मिलिंद पालीवाल और पुष्पेंद्र सिंह ने चेतावनी दी है कि वीसी को दफ्तर नहीं आने देंगे। छात्र संगठनों का कहना है कि बयान वापस लेने और माफी मांगने तक आंदोलन जारी रहेगा। विश्वविद्यालय में सुरक्षा बढ़ा दी गई है, और परीक्षाओं पर असर पड़ने की आशंका है।