बेंगलुरु भगदड़ त्रासदी: सीएम सिद्धारमैया का सख्त एक्शन, पुलिस कमिश्नर से लेकर स्टेडियम इंचार्ज तक सस्पेंड, जिम्मेदारों पर गिरेगी गाज
बेंगलुरु के चिन्नास्वामी स्टेडियम में 4 जून 2025 को आरसीबी की आईपीएल जीत के जश्न के दौरान भगदड़ में 11 लोगों की मौत और 37 से अधिक घायल हो गए। सीएम सिद्धारमैया ने बेंगलुरु सिटी पुलिस कमिश्नर, कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन के अधिकारियों, स्टेडियम प्रभारी सहित कई को सस्पेंड कर दिया। आरसीबी, डीएनए नेटवर्क्स, और केएससीए के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है। जांच के लिए हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुवाई में आयोग और सीआईडी की एसआईटी गठित की गई है। मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा हुई है।

बेंगलुरु के एम. चिन्नास्वामी स्टेडियम के बाहर रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु (आरसीबी) की ऐतिहासिक आईपीएल 2025 जीत के जश्न के दौरान मची भगदड़ ने पूरे देश को झकझोर दिया। इस दुखद हादसे में 11 लोगों की जान चली गई, जबकि 37 से अधिक लोग घायल हो गए। इस घटना ने प्रशासन, आयोजकों और पुलिस की तैयारियों पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए। जवाबदेही तय करने के लिए कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने सख्त कदम उठाए हैं, जिसमें बेंगलुरु सिटी पुलिस कमिश्नर से लेकर कई वरिष्ठ अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। साथ ही, आरसीबी, इवेंट मैनेजमेंट कंपनी डीएनए नेटवर्क्स और कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (केएससीए) के खिलाफ आपराधिक लापरवाही का मामला दर्ज किया गया है।
क्या हुआ था चिन्नास्वामी स्टेडियम में?
4 जून 2025 को, आरसीबी ने 18 साल बाद पहली बार आईपीएल खिताब जीता। इस जीत का जश्न मनाने के लिए कर्नाटक राज्य क्रिकेट एसोसिएशन (केएससीए) ने चिन्नास्वामी स्टेडियम में एक विशेष समारोह का आयोजन किया। हजारों प्रशंसक अपनी पसंदीदा टीम और खिलाड़ियों की एक झलक पाने के लिए स्टेडियम के बाहर जमा हो गए। बताया जाता है कि स्टेडियम की क्षमता 35,000 थी, लेकिन करीब 2.5 से 3 लाख लोग वहां पहुंच गए। भीड़ को नियंत्रित करने में नाकामी और अपर्याप्त सुरक्षा व्यवस्था के कारण भगदड़ मच गई। एक अस्थायी स्लैब के टूटने से स्थिति और बिगड़ गई, जिसके परिणामस्वरूप 11 लोगों की दुखद मृत्यु हो गई, जिसमें 13 साल की एक बच्ची और कई युवा शामिल थे।
सीएम सिद्धारमैया का सख्त रुख
इस त्रासदी के बाद 5 जून को मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने विधानसभा कॉन्फ्रेंस हॉल में प्रेस कॉन्फ्रेंस कर घटना पर गहरा दुख जताया। उन्होंने इसे एक अप्रत्याशित और दुखद हादसा बताया, लेकिन साथ ही दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई का ऐलान किया। उन्होंने कहा, "हम इस हादसे का बचाव नहीं करेंगे। लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।" सीएम ने तत्काल प्रभाव से निम्नलिखित अधिकारियों को निलंबित कर दिया:
बेंगलुरु सिटी पुलिस कमिश्नर
कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन के पुलिस इंस्पेक्टर
स्टेशन हाउस ऑफिसर (एसएचओ)
स्टेशन हाउस मास्टर
सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी), कब्बन पार्क
उप पुलिस आयुक्त (डीसीपी), सेंट्रल डिवीजन
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त, वेस्ट जोन
चिन्नास्वामी स्टेडियम का प्रभारी
इसके अलावा, सीएम ने एक उच्चस्तरीय जांच के आदेश दिए। कर्नाटक हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस माइकल डी'कुन्हा की अध्यक्षता में एक एकल जांच आयोग का गठन किया गया है, जो 30 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपेगा। साथ ही, आपराधिक जांच विभाग (सीआईडी) के तहत एक विशेष जांच दल (एसआईटी) भी इस मामले की गहन जांच करेगा।
पुलिस ने दर्ज की FIR, गंभीर धाराओं में मुकदमा
कब्बन पार्क पुलिस स्टेशन में आरसीबी, डीएनए नेटवर्क्स, केएससीए और अन्य संबंधित पक्षों के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) 2023 की निम्नलिखित धाराओं के तहत प्राथमिकी (FIR) दर्ज की गई है:
धारा 105: गैर-इरादतन हत्या
धारा 125(12): दूसरों की जिंदगी या सुरक्षा को खतरे में डालने वाले कार्य
धारा 142: गैरकानूनी सभा
धारा 121: अपराध के लिए उकसाना
धारा 190: गैरकानूनी सभा के सदस्यों द्वारा किए गए अपराधों की सामूहिक जिम्मेदारी
पुलिस ने इस मामले में आपराधिक लापरवाही का आरोप लगाया है। बताया जाता है कि आरसीबी ने सोशल मीडिया पर विजय जुलूस की घोषणा बिना पुलिस की अनुमति के की थी, जिससे भारी भीड़ जमा हो गई। इसके अलावा, पुलिस ने पहले ही आयोजन को रद्द करने की सलाह दी थी, लेकिन दबाव में इसे आयोजित किया गया।
जिम्मेदारों पर गिरफ्तारी की तलवार
सीएम सिद्धारमैया ने स्पष्ट किया कि इस हादसे के लिए जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने राज्य के डीजीपी और आईजीपी को निर्देश दिए हैं कि आरसीबी, डीएनए इवेंट कंपनी और केएससीए के प्रतिनिधियों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी इस मामले का स्वत: संज्ञान लिया है और सरकार से 10 जून तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने भी जिला प्रशासन और पुलिस से एक सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है।
मुआवजे का ऐलान, लेकिन दुख बरकरार
कर्नाटक सरकार ने मृतकों के परिवारों को 10 लाख रुपये और घायलों के इलाज का पूरा खर्च उठाने की घोषणा की है। आरसीबी ने भी प्रत्येक मृतक के परिवार को 10 लाख रुपये और घायलों के लिए 'आरसीबी केयर' नामक राहत कोष की स्थापना की बात कही है। केएससीए ने भी 5 लाख रुपये प्रति मृतक के लिए मुआवजे का वादा किया है। हालांकि, ये मुआवजे उन परिवारों का दर्द कम नहीं कर सकते, जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया।
प्रारंभिक जांच में सामने आया कि इस हादसे के पीछे कई कारण थे:
अनियंत्रित भीड़: स्टेडियम के बाहर 2.5-3 लाख लोग जमा हो गए थे, जो इसकी क्षमता से कहीं अधिक था।
अपर्याप्त सुरक्षा: 1,380 पुलिसकर्मी और 325 केएसआरपी कर्मी तैनात थे, लेकिन इतनी बड़ी भीड़ को संभालने के लिए यह नाकाफी था।
आयोजन में लापरवाही: पुलिस की अनुमति के बिना सोशल मीडिया पर जुलूस की घोषणा और अपर्याप्त भीड़ प्रबंधन ने स्थिति को और खराब किया।
संरचनात्मक खामी: एक अस्थायी स्लैब के टूटने से भगदड़ की स्थिति और गंभीर हो गई।
जनता में आक्रोश, भविष्य के लिए सबक
इस घटना ने पूरे देश को सदमे में डाल दिया है। सोशल मीडिया पर लोग जिम्मेदारों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कर्नाटक हाई कोर्ट ने भी आयोजकों और प्रशासन की भूमिका पर सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने पूछा, "ऐसे खिलाड़ियों को क्यों सम्मानित किया गया, जो देश के लिए नहीं खेलते?" यह घटना भविष्य में बड़े आयोजनों के लिए सुरक्षा और भीड़ प्रबंधन की अहमियत को रेखांकित करती है।
बेंगलुरु की यह भगदड़ न केवल एक त्रासदी है, बल्कि यह आयोजकों, प्रशासन और पुलिस की लापरवाही का दुखद परिणाम है। सीएम सिद्धारमैया का सख्त एक्शन और जांच के आदेश इस दिशा में पहला कदम हैं। अब यह देखना बाकी है कि जांच में क्या खुलासे होते हैं और पीड़ितों को कितना न्याय मिल पाता है।