स्कूल बसों में ठूंस-ठूंस कर भरे बच्चे: जज भड़कीं, बोलीं- 'जानवरों से भी बुरी स्थिति, सिक्योरिटी से कोई लेना-देना नहीं, बस फीस से मतलब'

बाड़मेर में जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव कृष्णा गुप्ता ने स्कूल बसों में बच्चों को जानवरों की तरह ठूंस-ठूंस कर भरने पर भड़क गईं। उन्होंने डेजी डेज इंटरनेशनल स्कूल सहित कई स्कूलों की 18 बसें-वैन सीज कर दीं और कहा - “सिक्योरिटी से किसी को मतलब नहीं, सिर्फ फीस से मतलब है।”

Dec 4, 2025 - 12:13
स्कूल बसों में ठूंस-ठूंस कर भरे बच्चे: जज भड़कीं, बोलीं- 'जानवरों से भी बुरी स्थिति, सिक्योरिटी से कोई लेना-देना नहीं, बस फीस से मतलब'

बाड़मेर (राजस्थान), 4 दिसंबर 2025:

बाड़मेर जिले में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहां स्कूल बसों में बच्चों को जानवरों की तरह ठूंस-ठूंस कर भरने का मामला पकड़ा गया। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव कृष्णा गुप्ता ने इस निरीक्षण के दौरान कड़ी नाराजगी जाहिर की और स्कूल प्रशासन पर तीखा प्रहार किया। उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि बच्चों की सुरक्षा से किसी का कोई लेना-देना नहीं लगता, बस फीस वसूलने से मतलब है। इस घटना ने न केवल स्थानीय स्तर पर हड़कंप मचा दिया है, बल्कि स्कूलों की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

घटना का पूरा विवरण: निरीक्षण के दौरान खुलासा दोपहर करीब 1 बजे का समय था, जब जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव कृष्णा गुप्ता स्कूल बसों का नियमित निरीक्षण करने के लिए बाड़मेर के विभिन्न इलाकों में पहुंचीं। उनका मुख्य उद्देश्य बच्चों की परिवहन सुविधाओं की जांच करना था, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि स्कूल बसें सुरक्षा मानकों का पालन कर रही हैं या नहीं। इस दौरान वे डेजी डेज इंटरनेशनल स्कूल पहुंचीं, जहां का नजारा देखकर वे भड़क गईं।स्कूल की बसों को मॉडिफाई (संशोधित) करके उनमें सामान्य क्षमता से कहीं अधिक बच्चे ठूंस दिए गए थे। एक बस में जहां सामान्यत: 10-12 बच्चे ही बैठने की जगह होती है, वहां 22 बच्चों को जबरन समेट लिया गया था। बसों की सीटें हटा दी गईं थीं, और बच्चे एक-दूसरे पर चढ़े हुए थे। कुछ बच्चे खड़े होकर सफर करने को मजबूर थे, जबकि जगह की तंगी के कारण हवा का प्रवाह भी बाधित हो रहा था। यह दृश्य देखकर सचिव कृष्णा गुप्ता का गुस्सा फूट पड़ा।

जज का तीखा प्रहार: 'यह क्या जानवर हैं? 'सचिव गुप्ता ने तुरंत ड्राइवर और स्कूल प्रबंधन को फटकार लगाई। उन्होंने गुस्से में कहा, "यह क्या जानवर हैं जो इस तरीके से ठूंस दिए गए हैं? जानवरों से भी बुरी स्थिति है यहां। कोई कमी रह गई है तो और ठूंस दो!" उनके ये शब्द न केवल मौके पर मौजूद लोगों के कान खड़े कर गए, बल्कि पूरे स्कूल में सन्नाटा छा गया। गुप्ता ने आगे कहा, "बच्चों की सिक्योरिटी से किसी का कोई लेना-देना नहीं है। बस फीस वसूलने से मतलब है। क्या यही है आपकी जिम्मेदारी? अगर कोई हादसा हो गया तो क्या जवाब दोगे?"उन्होंने स्पष्ट किया कि स्कूल बसें केवल फीस कमाने का साधन नहीं हो सकतीं। बच्चों की जान जोखिम में डालना अपराध के दायरे में आता है। निरीक्षण टीम ने पाया कि न केवल डेजी डेज इंटरनेशनल स्कूल, बल्कि आसपास के अन्य स्कूलों की बसें, वैन और ऑटो रिक्शा भी इसी तरह ओवरलोडेड थे। कई वाहनों में सीट बेल्ट की व्यवस्था नहीं थी, और ड्राइवरों के पास वैध लाइसेंस या परमिट की कमी भी पाई गई।

तत्काल कार्रवाई: 18 गाड़ियां सीज, आगे की जांच गुस्से में भरी सचिव गुप्ता ने कोई ढील नहीं बरती। उन्होंने तुरंत सभी दोषी बसों, वैन और ऑटो रिक्शाओं को सीज करने का आदेश दिया। निरीक्षण टीम ने मौके पर ही 18 वाहनों को जब्त कर लिया, जिनमें डेजी डेज इंटरनेशनल स्कूल की अधिकांश बसें शामिल थीं। सीज की गई गाड़ियों को परिवहन विभाग के यार्ड में खड़ा कर दिया गया है, और इनके मालिकों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया शुरू हो गई है।जिला विधिक सेवा प्राधिकरण ने इस मामले में पुलिस और परिवहन विभाग को भी पत्र लिखा है, ताकि आगे की जांच हो सके। प्राधिकरण के अनुसार, यह निरीक्षण 'बच्चों के अधिकारों की रक्षा' के तहत किया जा रहा था, और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए नियमित चेकिंग अभियान चलाया जाएगा। स्कूल प्रबंधन से भी स्पष्टीकरण मांगा गया है, और यदि लापरवाही साबित हुई तो लाइसेंस रद्द करने तक की कार्रवाई हो सकती है।

विशेषज्ञों की राय: सुरक्षा मानकों की अनदेखी क्यों? इस घटना पर स्थानीय शिक्षा विशेषज्ञों और अभिभावकों ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। एक वरिष्ठ शिक्षा अधिकारी ने बताया कि राजस्थान में स्कूल बसों के लिए सख्त दिशानिर्देश हैं, जिनमें प्रति बस अधिकतम 20 बच्चों की सीमा, सीट बेल्ट, फर्स्ट एड किट और प्रशिक्षित ड्राइवर शामिल हैं। लेकिन निजी स्कूल अक्सर फीस बढ़ाने के चक्कर में इनका उल्लंघन करते हैं। अभिभावक संघ के अध्यक्ष ने कहा, "हमारे बच्चे स्कूल जाते समय ही खतरे में हैं। सरकार को तुरंत सख्ती बरतनी चाहिए।"पिछले कुछ वर्षों में बाड़मेर और आसपास के जिलों में ओवरलोडेड स्कूल बसों से जुड़े कई हादसे हो चुके हैं, जिनमें बच्चों को चोटें आई हैं। यह घटना एक चेतावनी है कि लापरवाही कब घातक साबित हो जाए, कहा नहीं जा सकता। जिला प्रशासन ने घोषणा की है कि अगले सप्ताह पूरे जिले में एक विशेष ड्राइव चलाई जाएगी, जिसमें सभी स्कूल वाहनों की जांच होगी।