बालोतरा में डिप्रेशन के चलते डॉक्टर ने दी जान, ट्रेन से कटकर टुकड़ों में बिखरा शरीर
बालोतरा, राजस्थान में 35 वर्षीय एमबीबीएस डॉक्टर प्रदीप सिंह राजपुरोहित ने डिप्रेशन के चलते कालका एक्सप्रेस ट्रेन के सामने रेलवे पटरी पर लेटकर आत्महत्या की। ट्रेन से कटने से उनके शरीर के टुकड़े हो गए, जो सीसीटीवी में कैद हुआ। मानसिक तनाव और बेरोजगारी से जूझ रहे थे। पुलिस ने शव मॉर्च्यूरी भेजा और जांच शुरू की।

बालोतरा, राजस्थान: एक हृदयविदारक घटना ने पूरे इलाके को झकझोर कर रख दिया। सोमवार शाम को बालोतरा रेलवे स्टेशन से करीब 2 किलोमीटर दूर तीसरे रेलवे क्रॉसिंग के पास एक 35 वर्षीय डॉक्टर ने ट्रेन के सामने लेटकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली। मृतक की पहचान डॉ. प्रदीप सिंह राजपुरोहित के रूप में हुई है, जो लंबे समय से डिप्रेशन से जूझ रहे थे। इस दर्दनाक घटना का पूरा वाकया पास के एक सीसीटीवी कैमरे में कैद हो गया, जिसने इस भयावहता को और उजागर कर दिया।
घटना का विवरण
पुलिस के अनुसार, सोमवार शाम करीब 5 बजे डॉ. प्रदीप सिंह राजपुरोहित अपने कालूड़ी स्थित घर से निकले। वह बालोतरा रेलवे स्टेशन के पास तीसरे रेलवे फाटक पर पहुंचे और वहां रेलवे ट्रैक के किनारे खड़े हो गए। शाम 7:12 बजे जोधपुर से बाड़मेर जा रही कालका एक्सप्रेस ट्रेन को आता देख उन्होंने तुरंत ट्रैक पर पेट के बल लेटकर आत्महत्या कर ली। ट्रेन के गुजरने के बाद उनके शरीर के टुकड़े-टुकड़े हो गए, जिसमें उनका सिर और दोनों हाथ अलग हो गए।
इस भयावह दृश्य को देखकर आसपास के लोग स्तब्ध रह गए। घटना के बाद ट्रेन करीब 25 मिनट तक रुकी रही। बालोतरा थाने की पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और शव के टुकड़ों को एक चादर में बांधकर बालोतरा हॉस्पिटल की मॉर्च्यूरी में ले जाया गया।
डिप्रेशन से जूझ रहे थे डॉक्टर
बालोतरा थाने के सहायक उप निरीक्षक करनाराम ने बताया कि डॉ. प्रदीप सिंह राजपुरोहित कालूड़ी, बालोतरा के निवासी थे। उनकी शादी 9 साल पहले हुई थी, वह लंबे समय से मानसिक तनाव और डिप्रेशन से पीड़ित थे। परिवार वालों के अनुसार, प्रदीप ने एमबीबीएस की डिग्री हासिल की थी, लेकिन इसके बावजूद वह कोई नौकरी नहीं कर रहे थे। उनकी मानसिक स्थिति दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही थी, जिसके चलते वह इस हद तक चले गए।
सीसीटीवी में कैद हुआ हादसा
इस पूरी घटना को पास की सड़क किनारे एक ऑफिस और एक मकान के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरों ने रिकॉर्ड कर लिया। वीडियो में साफ दिख रहा है कि डॉ. प्रदीप ट्रैक के किनारे खड़े थे और ट्रेन आते ही वह पेट के बल पटरी पर लेट गए। यह दृश्य इतना हृदयविदारक था कि इसे देखने वालों की आंखें नम हो गईं।
परिवार और समाज में शोक की लहर
डॉ. प्रदीप की आत्महत्या की खबर सुनकर उनके परिवार और स्थानीय लोगों में शोक की लहर दौड़ गई। परिवार वालों ने बताया कि वह कई बार अपनी मानसिक स्थिति को लेकर बात करते थे, लेकिन कोई नहीं समझ पाया कि वह इतना बड़ा कदम उठा लेंगे। इस घटना ने एक बार फिर मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता और समय पर इलाज की जरूरत को रेखांकित किया है।
पुलिस की कार्रवाई
पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को कब्जे में लिया और पोस्टमॉर्टम के लिए अस्पताल भेजा। प्रारंभिक जांच में इसे आत्महत्या का मामला माना जा रहा है। पुलिस ने परिवार वालों के बयान दर्ज किए और सीसीटीवी फुटेज को सबूत के तौर में लिया,
यह घटना न केवल एक परिवार के लिए दुखद है, बल्कि यह समाज के लिए भी एक चेतावनी है। डिप्रेशन जैसी मानसिक बीमारियां खामोशी से किसी की जिंदगी को तबाह कर सकती हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि समय पर काउंसलिंग और परिवार का साथ ऐसी घटनाओं को रोक सकता है।
डॉ. प्रदीप सिंह राजपुरोहित की इस दुखद घटना ने सभी को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि मानसिक स्वास्थ्य को नजरअंदाज करना कितना घातक हो सकता है।