दिल्ली यूनिवर्सिटी में छात्रसंघ चुनाव की बिगुल, एबीवीपी-एनएसयूआई ने कसी कमर
डूसू चुनाव 2025 के लिए एबीवीपी और एनएसयूआई ने अपने उम्मीदवारों की घोषणा की, जिसमें 18 सितंबर को होने वाले मतदान में हॉस्टल, सुरक्षा और फीस जैसे मुद्दे छाए रहेंगे। दोनों संगठन जोरदार प्रचार के साथ छात्रों का भरोसा जीतने को तैयार हैं।
दिल्ली विश्वविद्यालय छात्रसंघ (DUSU) चुनाव 2025 का बिगुल बज चुका है। इस बार 18 सितंबर को होने वाले मतदान के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) और नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) ने अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। यह चुनाव न केवल विश्वविद्यालय के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि राष्ट्रीय राजनीति की नब्ज को भी दर्शाता है। दोनों संगठनों ने अपने पैनल में नए चेहरों को मौका दिया है, और इस बार महिला नेतृत्व की मजबूत मौजूदगी ने मुकाबले को और रोचक बना दिया है।
DUSU चुनाव 2025: तारीख और प्रक्रिया
DUSU चुनाव 2025 का आयोजन 18 सितंबर को होगा, और मतगणना अगले दिन यानी 19 सितंबर को होगी। नामांकन प्रक्रिया 11 सितंबर को पूरी हो चुकी है, जिसमें चार प्रमुख पदों - अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव और संयुक्त सचिव - के लिए कुल 73 नामांकन वैध पाए गए हैं। गुरुवार, 11 सितंबर को नाम वापसी की अंतिम समय सीमा समाप्त होने के बाद सभी संगठनों ने अपने उम्मीदवारों की अंतिम सूची जारी की।
चुनाव समिति के मुख्य चुनाव अधिकारी प्रोफेसर राज किशोर ने बताया कि नामांकन वापसी की प्रक्रिया के बाद अंतिम सूची गुरुवार शाम 5 बजे तक जारी कर दी गई। इस बार का चुनाव छात्रों के बीच कई मुद्दों को लेकर चर्चा में है, जिसमें हॉस्टल सुविधाएं, पुस्तकालय ढांचा, कैंपस सुरक्षा, और शुल्क संरचना प्रमुख हैं।
एनएसयूआई का पैनल: महिला नेतृत्व को बढ़ावा
कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई ने इस बार अध्यक्ष पद के लिए जोसलीन नंदिता चौधरी को उम्मीदवार बनाया है, जो 17 साल बाद इस पद के लिए उनकी पहली महिला प्रत्याशी हैं। यह कदम छात्र राजनीति में महिला नेतृत्व को बढ़ावा देने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। एनएसयूआई ने इसे "छात्र राजनीति में नए युग की शुरुआत" करार दिया है।
एनएसयूआई के पैनल में निम्नलिखित उम्मीदवार शामिल हैं:
एनएसयूआई ने अपने अभियान में "हम बदलेंगे DU" का नारा दिया है, जिसमें बेहतर कैंपस ढांचा, सामाजिक न्याय, और मासिक धर्म अवकाश जैसे मुद्दों पर जोर दिया गया है। संगठन का दावा है कि वह छात्रों की रोजमर्रा की समस्याओं का स्थायी समाधान प्रदान करेगा।
एबीवीपी का पैनल: समर्पण और विकास का वादा
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) समर्थित एबीवीपी ने इस बार अध्यक्ष पद के लिए आर्यन मान को मैदान में उतारा है। संगठन ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर उम्मीदवारों की घोषणा करते हुए कहा, "हम दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रत्येक छात्र की आवाज को मजबूत करने के लिए समर्पण, विकास और छात्र कल्याण की दृष्टि से प्रतिबद्ध हैं।"
एबीवीपी के पैनल में निम्नलिखित उम्मीदवार शामिल हैं:
अध्यक्ष पद के प्रत्याशी आर्यन मान ने कहा कि वह विश्वविद्यालय में प्रवेश के पहले दिन से ही छात्रों के मुद्दों को समझते रहे हैं। उन्होंने फीस वृद्धि के विरोध, बुनियादी सुविधाओं के विकास, और अन्य मुद्दों पर लगातार काम करने का दावा किया है।
आइसा-एसएफआई गठबंधन: वामपंथी ताकत की चुनौती
इस बार ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (आइसा) और स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) ने गठबंधन बनाकर डूसू चुनाव लड़ने का फैसला किया है। गठबंधन ने अध्यक्ष पद के लिए इंद्रप्रस्थ महिला कॉलेज की छात्रा अंजलि को उम्मीदवार बनाया है, जो कैंपस में महिला सुरक्षा और छात्रावास सुविधाओं जैसे मुद्दों पर सक्रिय रही हैं।
आइसा-एसएफआई के पैनल में निम्नलिखित उम्मीदवार शामिल हैं:
गठबंधन ने छात्र सुविधाओं, मेट्रो रियायतों, और अन्य मुद्दों को उठाने का वादा किया है।
मतगणना के बाद 19 सितंबर को परिणाम घोषित होंगे
DUSU चुनाव हमेशा से राष्ट्रीय राजनीति का आईना रहे हैं, और इस बार भी यह परंपरा कायम है। छात्रों के बीच हॉस्टल सुविधाओं की कमी, पुस्तकालयों का अपर्याप्त ढांचा, कैंपस में सुरक्षा, और बढ़ती फीस जैसे मुद्दे चर्चा में हैं। इसके अलावा, इस बार महिला नेतृत्व का उभरना एक बड़ा मुद्दा बन रहा है, क्योंकि एनएसयूआई और आइसा-एसएफआई ने अध्यक्ष पद के लिए महिला उम्मीदवारों को चुना है।
चुनाव प्रचार अब जोर पकड़ रहा है। अगले कुछ दिनों में कैंपस में पोस्टर, डिबेट, और संपर्क सत्रों की बाढ़ आएगी। दोनों प्रमुख संगठन, एनएसयूआई और एबीवीपी, इस चुनाव को न केवल विश्वविद्यालय स्तर पर बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर अपनी ताकत दिखाने के अवसर के रूप में देख रहे हैं।
18 सितंबर को होने वाला यह चुनाव तय करेगा कि क्या एनएसयूआई अपनी पकड़ बनाए रखेगी या एबीवीपी जोरदार वापसी करेगी। आइसा-एसएफआई गठबंधन भी इस बार एक मजबूत चुनौती पेश कर रहा है। मतगणना के बाद 19 सितंबर को परिणाम घोषित होंगे, जो न केवल दिल्ली विश्वविद्यालय बल्कि देश भर के युवा मतदाताओं के मूड को दर्शाएंगे।