1975 से भी बदतर हालात? गहलोत ने BJP के शासन को बताया ‘संविधान की हत्या’

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा के ‘संविधान हत्या दिवस’ पर तीखा हमला बोला, मौजूदा हालात को ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया। उन्होंने भाजपा पर लोकतंत्र, संविधान और स्वतंत्र मीडिया को कमजोर करने का आरोप लगाया।

Jun 26, 2025 - 13:11
1975 से भी बदतर हालात? गहलोत ने BJP के शासन को बताया ‘संविधान की हत्या’

राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता अशोक गहलोत ने आपातकाल की 50वीं बरसी पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा देश भर में ‘संविधान हत्या दिवस’ मनाए जाने की कड़ी आलोचना की है। गहलोत ने भाजपा पर लोकतंत्र और संविधान को कमजोर करने का गंभीर आरोप लगाते हुए मौजूदा हालात को ‘अघोषित आपातकाल’ करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपनी पोस्ट में भाजपा की इस पहल को ‘बेईमान व्यक्ति का ईमानदारी पर ज्ञान देने’ जैसा बताया।

‘पिछले 11 सालों में लोकतंत्र का सबसे अधिक ह्रास’

गहलोत ने अपनी पोस्ट में कहा, “भाजपा सरकारों द्वारा संविधान हत्या दिवस मनाना ऐसा है जैसा किसी बेईमान व्यक्ति का ईमानदारी पर ज्ञान देना। इस देश में यदि लोकतंत्र का सबसे ज्यादा ह्रास हुआ है तो वह पिछले 11 सालों में हुआ है।” उन्होंने दावा किया कि वर्तमान स्थिति में न तो संविधान को औपचारिक रूप से निलंबित किया गया है और न ही राष्ट्रपति ने आपातकाल की घोषणा की है, फिर भी जनता के अधिकार, बोलने की आजादी, और विपक्ष की आवाज को दबाने का प्रयास लगातार जारी है।

‘पत्रकार, छात्र, और विपक्षी नेता निशाने पर’

पूर्व मुख्यमंत्री ने मौजूदा सरकार पर तीखा हमला बोलते हुए कहा कि आज पत्रकारों को सवाल पूछने पर ‘देशद्रोही’, छात्रों को विरोध करने पर ‘आतंकवादी’, और विपक्षी नेताओं को सरकार का विरोध करने पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का शिकार बनाया जा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया, “क्या यही है भाजपा सरकार के लोकतंत्र का नया मॉडल? असल में लोकतंत्र की हत्या यही है।”

स्वतंत्र मीडिया पर अंकुश का आरोप

गहलोत ने स्वतंत्र मीडिया पर अंकुश लगाने का भी गंभीर आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि एनडीटीवी, दैनिक भास्कर, बीबीसी, और न्यूजक्लिक जैसे मीडिया संस्थानों पर छापेमारी केवल इसलिए की गई क्योंकि इन्होंने सरकार की खामियों को उजागर करने वाली खबरें दिखाईं। उन्होंने पत्रकार सिद्धीक कप्पन का उदाहरण देते हुए कहा कि उनकी रिपोर्टिंग के लिए उन्हें सालों तक जेल में रखा गया, जो प्रेस की आजादी का गला घोंटने का स्पष्ट प्रमाण है।

1975 की इमरजेंसी से तुलना

गहलोत ने 1975 के आपातकाल की तुलना मौजूदा स्थिति से करते हुए इसे और गंभीर बताया। उन्होंने कहा कि आपातकाल के दौरान किसी मुख्यमंत्री को गिरफ्तार नहीं किया गया था और न ही किसी की संसद सदस्यता रद्द की गई थी। लेकिन वर्तमान में झारखंड और दिल्ली के मुख्यमंत्रियों को जेल में डाला गया, कांग्रेस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द की गई, और 200 से अधिक विपक्षी नेताओं पर ईडी की कार्रवाई हुई। उन्होंने यह भी जोड़ा कि कई नेता भाजपा में शामिल होने के बाद इन कार्रवाइयों से बच गए।

विधायकों की खरीद-फरोख्त का आरोप

गहलोत ने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के जरिए सरकारें गिराने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि 1975 के आपातकाल में किसी राज्य में ऐसी राजनीतिक साजिश नहीं हुई, लेकिन पिछले 11 वर्षों में मध्य प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, अरुणाचल प्रदेश, गोवा, और मणिपुर जैसे राज्यों में जनमत को चुराकर सरकारें गिराई गईं।

‘फोन टैपिंग और जासूसी का डर’

पूर्व मुख्यमंत्री ने यह भी आरोप लगाया कि विपक्षी नेताओं के फोन टैप किए जा रहे हैं और उनकी जासूसी की जा रही है। उन्होंने कहा, “आज पूरे देश में पति-पत्नी तक नॉर्मल कॉल पर बात करने से डरते हैं और फेसटाइम व वॉट्सऐप पर बात करते हैं। हर किसी को डर है कि उनकी बातचीत कोई सुन रहा है।”

संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी

गहलोत ने केंद्र सरकार पर संवैधानिक प्रावधानों की अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सूची के विषयों पर कानून बनाकर उन्हें तानाशाही से लागू किया जा रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि जहां भाजपा की सरकारें हैं, वहां मुख्यमंत्री थोपे गए हैं, और जहां विपक्ष की सरकारें हैं, वहां राज्यपालों के माध्यम से हस्तक्षेप किया जा रहा है।

‘लड़ते रहेंगे’

अंत में, गहलोत ने जोर देकर कहा कि वह और उनकी पार्टी संविधान, लोकतंत्र, और जनता की आवाज को बचाने के लिए लड़ते रहेंगे। उन्होंने कहा, “हम डरेंगे नहीं। झुकेंगे नहीं। संविधान और लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा।”

यह बयान राजस्थान और देश भर में राजनीतिक चर्चा का विषय बन गया है, क्योंकि आपातकाल की बरसी पर दोनों प्रमुख दलों के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिल रही है।

Yashaswani Journalist at The Khatak .