लेखिका चौधरी: योगासन की नन्हीं सितारा, स्वर्णिम सफलता के साथ बिहार में भी चमकने को तैयार

दूसरी एशियाई योगासन स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में भारत की उभरती योग स्टार लेखिका चौधरी ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में एशिया के 21 देशों के 200 से अधिक एथलीटों ने हिस्सा लिया, और भारत ने योगासन, जो भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, में सर्वाधिक पदक हासिल कर अपनी श्रेष्ठता साबित की।

Apr 30, 2025 - 19:57
लेखिका चौधरी: योगासन की नन्हीं सितारा, स्वर्णिम सफलता के साथ बिहार में भी चमकने को तैयार

नई दिल्ली के इंदिरा गांधी इंडोर स्टेडियम में 25 से 27 अप्रैल 2025 तक आयोजित दूसरी एशियाई योगासन स्पोर्ट्स चैंपियनशिप में भारत की उभरती योग स्टार लेखिका चौधरी ने स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया। इस प्रतिष्ठित चैंपियनशिप में एशिया के 21 देशों के 200 से अधिक एथलीटों ने हिस्सा लिया, और भारत ने योगासन, जो भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, में सर्वाधिक पदक हासिल कर अपनी श्रेष्ठता साबित की। लेखिका की यह उपलब्धि न केवल उनके व्यक्तिगत कौशल को दर्शाती है, बल्कि योग को वैश्विक खेल के रूप में स्थापित करने की भारत की प्रतिबद्धता को भी रेखांकित करती है।

एशियाई योगासन चैंपियनशिप में भारत का दबदबा

एशियाई योगासन स्पोर्ट्स चैंपियनशिप 2025 का आयोजन युवा मामले और खेल मंत्रालय, भारतीय खेल प्राधिकरण (SAI), और योगासन भारत के सहयोग से किया गया। इस चैंपियनशिप में आर्टिस्टिक, रिदमिक, और टीम श्रेणियों में प्रतिस्पर्धाएं हुईं, जिसमें चार आयु वर्ग (10-18, 18-28, 28-35, और 35-45 वर्ष) शामिल थे। भारत ने इन सभी श्रेणियों में शानदार प्रदर्शन करते हुए पदक तालिका में शीर्ष स्थान हासिल किया। लेखिका चौधरी ने अपनी श्रेणी में असाधारण प्रदर्शन करते हुए स्वर्ण पदक पर कब्जा जमाया, जिससे न केवल जोधपुर बल्कि पूरे देश को गर्व का अवसर मिला।

लेखिका चौधरी: छोटे गांव से वैश्विक मंच तक

लेखिका चौधरी राजस्थान के जोधपुर जिले के भोपालगढ़ तहसील के छोटे से गांव सुरपुरा खुर्द की रहने वाली हैं। उनकी यह यात्रा प्रेरणादायक है, क्योंकि एक साधारण पृष्ठभूमि से निकलकर उन्होंने योग के क्षेत्र में अपनी मेहनत और लगन से यह मुकाम हासिल किया। उनके कोच यशदीप सिंह कच्छवाहा ने बताया कि लेखिका रोजाना जोधपुर के पावटा स्थित योगा एनलाइस योग क्लास में चार घंटे तक कठिन अभ्यास करती हैं। उनकी यह मेहनत और अनुशासन ही उन्हें राष्ट्रीय और अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सफलता दिला रहा है।

लेखिका को योग गुरु स्वामी रामदेव का भी समर्थन प्राप्त है, जिन्होंने इस चैंपियनशिप के उद्घाटन समारोह में कहा, “योगासन केवल शरीर नहीं, जीवन को भी सजाते हैं। यह आत्मविकास की वह यात्रा है जो साधक को नारायण और जीव को ब्रह्म बना सकती है।” स्वामी रामदेव के प्रेरणादायक शब्दों और लेखिका के कोच के मार्गदर्शन ने उनकी इस स्वर्णिम सफलता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

राष्ट्रीय स्तर पर पहले भी बिखेर चुकी हैं जलवा

लेखिका चौधरी इससे पहले कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में पदक जीत चुकी हैं। उनकी निरंतरता और समर्पण ने उन्हें योग के क्षेत्र में एक उभरता सितारा बनाया है। चाहे वह तकनीकी कौशल हो या योग मुद्राओं में संतुलन और मानसिक स्पष्टता, लेखिका हर पहलू में उत्कृष्ट प्रदर्शन करती हैं। उनकी यह सफलता उन युवाओं के लिए प्रेरणा है जो खेलों में करियर बनाना चाहते हैं, खासकर योगासन जैसे उभरते खेल में।

खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भी दिखाएंगी दम

लेखिका चौधरी अब अपनी अगली चुनौती के लिए तैयार हैं। वह 4 मई 2025 से बिहार में आयोजित होने वाले खेलो इंडिया यूथ गेम्स में भाग लेंगी। यह प्रतियोगिता भारत के युवा एथलीटों के लिए एक बड़ा मंच है, जहां लेखिका एक बार फिर अपने कौशल का प्रदर्शन करेंगी। खेलो इंडिया यूथ गेम्स का छठा संस्करण हाल ही में तमिलनाडु में संपन्न हुआ था, जिसमें 26 खेलों में 933 पदक दांव पर थे। इस बार बिहार में होने वाले आयोजन में भी योगासन को शामिल किए जाने की संभावना है, और लेखिका से स्वर्ण पदक की प्रबल उम्मीद की जा रही है।

योगासन: भारत की सांस्कृतिक धरोहर से वैश्विक खेल तक

योगासन, जो भारत की प्राचीन सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा है, अब वैश्विक खेल के रूप में उभर रहा है। दूसरी एशियाई योगासन चैंपियनशिप का आयोजन भारत में होना और इसमें भारत का शानदार प्रदर्शन इस बात का प्रमाण है कि योग अब केवल आध्यात्मिक अभ्यास नहीं, बल्कि एक प्रतिस्पर्धी खेल भी है। इस चैंपियनशिप में दिल्ली की मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता और केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भी शिरकत की और इसे भारत के सांस्कृतिक नेतृत्व का प्रतीक बताया।

लेखिका का संदेश: मेहनत और लगन से सब संभव

लेखिका चौधरी की कहानी हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है जो अपने सपनों को पूरा करना चाहता है। छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच पर स्वर्ण पदक जीतने तक का उनका सफर दर्शाता है कि मेहनत, लगन, और सही मार्गदर्शन के साथ कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं। लेखिका का कहना है, “योग मेरे लिए केवल एक खेल नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका है। मैं अपने देश और गांव का नाम और ऊंचा करने के लिए कठिन मेहनत जारी रखूंगी।” 

Ashok Shera "द खटक" एडिटर-इन-चीफ